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[[इटावा]] का पुराना नाम इष्टिकापुर कहा जाता है। [[हिंदी]] के प्रसिद्ध कवि देव इटावा-निवासी थे। उन्होंने स्वयं ही लिखा है-
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[[हिंदी]] के प्रसिद्ध [[देव|कवि देव]] की लिखी श्रृंगार-विलासिनी नामक पुस्तक<ref>(खड्गविलास प्रेस, बांकीपुर)</ref> के अनुसार वे इष्टिकापुर-वासी थे- देवदत्त कविरिष्टिकापुर वासी सचकार। इष्टकापुर [[इटावा]] का [[संस्कृत]] रूपांतर जान पड़ता है। किंवदंती है कि [[ब्रजभाषा]] के एक अन्य प्रसिद्ध कवि [[घनानन्द]] भी जो [[दिल्ली]] के [[मुग़ल]] [[मुहम्मदशाह|बादशाह मुहम्मदशाह]] रंगीले के समकालीन थे- इटावे के ही निवासी थे।  
:'द्यौसरिया कविदेव को नगर इटावी वास'।
 
देव का जन्म 1674 ई. के लगभग हुआ था। इटावा की जामा मसजिद प्राचीन बौद्ध या हिंदू मंदिर के खंडहरों पर बनाई गई मालूम होती है।
 
  
 
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[इटावा]]
 
{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[इटावा]]

11:08, 5 जुलाई 2011 का अवतरण

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हिंदी के प्रसिद्ध कवि देव की लिखी श्रृंगार-विलासिनी नामक पुस्तक[1] के अनुसार वे इष्टिकापुर-वासी थे- देवदत्त कविरिष्टिकापुर वासी सचकार। इष्टकापुर इटावा का संस्कृत रूपांतर जान पड़ता है। किंवदंती है कि ब्रजभाषा के एक अन्य प्रसिद्ध कवि घनानन्द भी जो दिल्ली के मुग़ल बादशाह मुहम्मदशाह रंगीले के समकालीन थे- इटावे के ही निवासी थे।

{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- इटावा

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (खड्गविलास प्रेस, बांकीपुर)

बाहरी कड़ियाँ

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