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'''कुरिया''' [[रुहेलखंड]], [[उत्तर प्रदेश]] का प्राचीन नगर था। [[लखनऊ]]-काठगोदाम रेलमार्ग पर इस स्टेशन के 2 मील {{मील|मील=2}} पूर्व में 'माली' नामक ग्राम के पास इस प्राचीन बड़े नगर के खंडहर पाए जाते हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=206|url=}}</ref>
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'''कुरिया''' [[रुहेलखंड]], [[उत्तर प्रदेश]] का प्राचीन नगर था। [[लखनऊ]]-[[काठगोदाम]] रेलमार्ग पर इस स्टेशन के 2 मील {{मील|मील=2}} पूर्व में 'माली' नामक ग्राम के पास इस प्राचीन बड़े नगर के खंडहर पाए जाते हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=206|url=}}</ref>
  
 
*एक किंवदंती के अनुसार यह नगर राजा [[वेणु]] का बसाया हुआ था।
 
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*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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08:01, 4 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

कुरिया रुहेलखंड, उत्तर प्रदेश का प्राचीन नगर था। लखनऊ-काठगोदाम रेलमार्ग पर इस स्टेशन के 2 मील (लगभग 3.2 कि.मी.) पूर्व में 'माली' नामक ग्राम के पास इस प्राचीन बड़े नगर के खंडहर पाए जाते हैं।[1]

  • एक किंवदंती के अनुसार यह नगर राजा वेणु का बसाया हुआ था।
  • यहाँ के खंडहरों में अति प्राचीन पूर्व मौर्य या मौर्य कालीन आहत सिक्के, अहिच्छत्र के मित्र राजाओं और कुषाण काल तथा प्रारंभिक मुसलिम काल के सिक्के मिलते हैं। खंडहर 2 मील × 1 मील है।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 206 |
  2. (पाणिनि के सूत्र ‘रूपादाहतप्रशंसयोर्यप्’ में आहत शब्द प्राचीन सिक्कों के लिए है।)
  • ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

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