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*स्थानीय किंवदंती के अनुसार [[बस्ती ज़िला]], उत्तर प्रदेश में 'टिनिच' रेलवे स्टेशन से दो मील पूर्व और कुश्रानो नदी के दक्षिणी किनारे पर रेल के पुल से आधा मील दूर 'बड़ा चक्रा' (वराह क्षेत्र) नामक एक ग्राम है, जो पुराणों में वर्णित व्याघ्रपुर के प्राचीन नगर के स्थान पर बसा हुआ है। इसे ही बौद्ध-साहित्य का 'कोलिय नगर' कहा जाता है, जहाँ सुप्रबुद्ध की राजधानी थी।
 
*स्थानीय किंवदंती के अनुसार [[बस्ती ज़िला]], उत्तर प्रदेश में 'टिनिच' रेलवे स्टेशन से दो मील पूर्व और कुश्रानो नदी के दक्षिणी किनारे पर रेल के पुल से आधा मील दूर 'बड़ा चक्रा' (वराह क्षेत्र) नामक एक ग्राम है, जो पुराणों में वर्णित व्याघ्रपुर के प्राचीन नगर के स्थान पर बसा हुआ है। इसे ही बौद्ध-साहित्य का 'कोलिय नगर' कहा जाता है, जहाँ सुप्रबुद्ध की राजधानी थी।
*बौद्ध साहित्य में मायादेवी का पितृगृह 'देवदह' नामक स्थान पर बताया गया है।
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*[[बौद्ध साहित्य]] में मायादेवी का पितृगृह '[[देवदह]]' नामक स्थान पर बताया गया है।
 
*'कोल' शब्द का अर्थ 'वराह' भी है और इसी कारण से शायद इस स्थान का परंपरागत नाम 'वराह क्षेत्र' या अपभ्रंश रूप में 'बड़ा चक्रा' चला आ रहा है।
 
*'कोल' शब्द का अर्थ 'वराह' भी है और इसी कारण से शायद इस स्थान का परंपरागत नाम 'वराह क्षेत्र' या अपभ्रंश रूप में 'बड़ा चक्रा' चला आ रहा है।
*कुछ लोगों का यह भी मत है कि पूर्वी [[उत्तर प्रदेश]] की एक जाति 'कोली' प्राचीन कोलियों से संबद्ध है।
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*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
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07:36, 12 अगस्त 2014 के समय का अवतरण

कोलिय गणराज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा नेपाल की सीमा पर स्थित बुद्ध कालीन गणराज्य था। महात्मा गौतम बुद्ध की माता 'मायादेवी' इसी राज्य के गण प्रमुख 'सुप्रबुद्ध' की कन्या थीं।[1]

  • स्थानीय किंवदंती के अनुसार बस्ती ज़िला, उत्तर प्रदेश में 'टिनिच' रेलवे स्टेशन से दो मील पूर्व और कुश्रानो नदी के दक्षिणी किनारे पर रेल के पुल से आधा मील दूर 'बड़ा चक्रा' (वराह क्षेत्र) नामक एक ग्राम है, जो पुराणों में वर्णित व्याघ्रपुर के प्राचीन नगर के स्थान पर बसा हुआ है। इसे ही बौद्ध-साहित्य का 'कोलिय नगर' कहा जाता है, जहाँ सुप्रबुद्ध की राजधानी थी।
  • बौद्ध साहित्य में मायादेवी का पितृगृह 'देवदह' नामक स्थान पर बताया गया है।
  • 'कोल' शब्द का अर्थ 'वराह' भी है और इसी कारण से शायद इस स्थान का परंपरागत नाम 'वराह क्षेत्र' या अपभ्रंश रूप में 'बड़ा चक्रा' चला आ रहा है।
  • कुछ लोगों का यह भी मत है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश की एक जाति 'कोली' प्राचीन कोलियों से संबद्ध है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 238 |
  • ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

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