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07:13, 16 जून 2013 के समय का अवतरण

जेतपुर बुंदेलखंड, हमीरपुर ज़िला, उत्तर प्रदेश में स्थित ऐतिहासिक स्थान है। इस स्थान के निकट बुंदेला नरेश महाराज छत्रसाल और महाराष्ट्र प्रमुख पेशवा बाजीराव प्रथम की संयुक्त सेना के साथ इलाहाबाद के सूबेदार मुहम्मद बंगश की विशाल फ़ौज का घोर युद्ध हुआ था, जिसमें मुस्लिम सेना की भारी हार हुई थी।[1]

छत्रसाल का अधिकार

जैतपुर का क़िला पहले मुहम्मद बंगश ने फ़तेह कर लिया था। मराठों और बुंदेलों ने क़िले का घेरा डाल दिया और जब रसद समाप्त हो गई तो बंगश की फ़ौज को आत्म समर्पण कर देना पड़ा। इस क़िले को वापस लेने और इस पर अपना अधिकार करने में छत्रसाल को छ: महीने लगे थे। इस युद्ध में बुंदेलों को मराठों की सहायता से बहुत उत्साह मिला। छत्रसाल के पुत्रों ने भी युद्ध में बहुत वीरता दिखाई। कहा जाता है कि जब मुहम्मद बंगश ने भारी फ़ौज के साथ बुंदेला राज्य पर आक्रमण करने की तैयारियाँ शुरू कीं तो घबरा कर छत्रसाल ने बाजीराव प्रथम के पास निम्न दोहा लिखकर भेजा और सहायता मांगी-

जो गति गज की ग्राह सों, सो गति भई है आज, बाजी जात बुंदेल की राखो बाजी लाज।

मराठा रियासत

पेशवा बाजीराव प्रथम ने, जिसकी शक्ति इस समय बहुत बड़ी-चड़ी थी, तत्काल ही छत्रसाल की सहायता की, जिसके कारण छत्रसाल को शत्रु पर भारी विजय प्राप्त हुई। विजय के उपहार-स्वरूप छत्रसाल ने झांसी का इलाका पेशवा को दे दिया, जहाँ कालान्तर में मराठा रियासत स्थापित हो गई। झांसी का राज्य रानी लक्ष्मीबाई के समय तक (1858 ई.) चलता रहा।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 369 |
  • ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

बाहरी कड़ियाँ

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