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द्विचक्की नृत्य

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द्विचक्की नृत्य राजस्थान में भील जनजाति द्वारा विवाह के अवसर पर महिला-पुरुषों द्वारा दो वृत्त बनाकर किया जाता है।

  • इस नृत्य मे बाहरी वृत्त पुरुष बाएँ से दाहिनी ओर तथा अन्दर के वृत्त में महिलाएं दाएं से बाएँ और नृत्य करती हुई चलती हैं।
  • द्विचक्की नृत्य में दो चक्र पूरे होने के कारण ही इसे 'द्विचक्की' कहते हैं।
  • नृत्य के दौरान ऊँची हुंकारे भरते हैं तथा ऊंची आवाज में 'फाइरे-फाइरे' रणघोष कहकर मांदल बजाते हैं। यह नृत्य बेहद भयानक होता है।
  • द्विचक्की नृत्य में बहुत से नर्तक घायल भी हो जाते हैं। इसी कारण राज्य सरकार ने इस नृत्य पर प्रतिबंध लगा रखा है।


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