"पँख -अनूप सेठी" के अवतरणों में अंतर
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इकहरी ईंट की पर्दी वाले दो अढ़ाई कमरे | इकहरी ईंट की पर्दी वाले दो अढ़ाई कमरे | ||
सीमेंट की छत वाले हवादार डिब्बे सड़क किनारे | सीमेंट की छत वाले हवादार डिब्बे सड़क किनारे | ||
− | + | बाज़ार के पड़ोस में आ बैठा | |
पंखों को समेट के कुछ देर | पंखों को समेट के कुछ देर | ||
गोबर घास डंगरों के पानी सानी से दूर | गोबर घास डंगरों के पानी सानी से दूर | ||
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बाज़ार घर में घुस आया | बाज़ार घर में घुस आया | ||
गाँव से आए अचार के चटखारे लेता | गाँव से आए अचार के चटखारे लेता | ||
− | जैसे होता है कस्बों में | + | जैसे होता है कस्बों में सोफ़ा सेटों वाला घर |
फिर से जब लग गए एक बार पंख | फिर से जब लग गए एक बार पंख | ||
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बहुत लंबी पटड़ियों | बहुत लंबी पटड़ियों | ||
बहुत व्यस्त सड़कों से | बहुत व्यस्त सड़कों से | ||
− | बहुत व्यस्त | + | बहुत व्यस्त बाज़ारों में |
कुछ बूढ़े कुछ जवान कुछ बच्चे | कुछ बूढ़े कुछ जवान कुछ बच्चे | ||
जनाना मर्दाना | जनाना मर्दाना | ||
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<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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{{समकालीन कवि}} | {{समकालीन कवि}} | ||
[[Category:समकालीन साहित्य]] | [[Category:समकालीन साहित्य]] |
13:18, 26 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
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एक घर था उसको लग गए पँख |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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