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मनप्रीत सिंह (कबड्डी)

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मनप्रीत सिंह माना (अंग्रेज़ी: Manpreet Singh) भारत के प्रसिद्ध कबड्डी खिलाड़ी हैं। देश व विदेशों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके पंजाब के कबड्डी स्टार खिलाड़ी मनप्रीत सिंह को राष्ट्रीय खेल दिवस पर देश के राष्ट्रपति ने 'ध्यानचंद पुरस्कार' (2020) से सम्मानित किया। मनप्रीत सिंह देश के लिए पिछले 22 सालों से लगातार कबड्डी खेल रहे हैं और 15 से अधिक इंटरनेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीतकर लाए है। एशियन गेम्स, वर्ल्ड कप, सैफ गेम्स, इंडो-पाक गेम्स में विपक्षी टीमों को अपने दम पर हराकर स्वर्ण पदक जीते हैं। इसके अलावा अन्य मैडल भी शामिल है।

परिचय

डेराबस्सी हलके के गांव मीरपुरा के होनहार इंटरनेशनल कबड्डी खिलाड़ी मनप्रीत सिंह को भारत सरकार ने 'ध्यानचंद पुरस्कार', 2020 से समानित किया है। इस सर्वोच्च खेल अवाॅर्ड के लिए नामांकित हुए 13 खिलाड़ियों में से कबड्डी खेल में मनप्रीत सिंह एकमात्र खिलाड़ी थे। उन्हें यह अवाॅर्ड 29 अगस्त, 2020 को दिल्ली में प्रदान किया गया।

109 किलो वजनी एवं 6 फुट 3 इंच की मजबूत कद काठी वाले मनप्रीत सिंह बीते 3 साल से नेशनल कबड्डी प्रो लीग में गुजरात फॉर्च्यून जैंट्स के कोच हैं जबकि 2016 में वे गोल्ड मेडलिस्ट टीम पटना पाइरेट्स के कप्तान भी रह चुके हैं। स्कूल के दिनों से ही नेशनल कबड्डी टीम में स्थान हासिल करने वाले मनप्रीत सिंह आक्रामक रीडर की भूमिका में रहे हैं। उन्होंने दो बार इंटरनेशनल वर्ल्ड कप में दो गोल्ड और दो बार एशियन गेम्स में दो गोल्ड के अलावा इंग्लैंड में सैफ खेलों में भी गोल्ड जीता है। अब तक 12 इंटरनेशनल गोल्ड हासिल कर चुके मनप्रीत सिंह राष्ट्रीय स्तर पर डेढ़ सौ से भी अधिक गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। फिलहाल वे सोनीपत स्थित ओएनजीसी कंपनी में क्लास वन अफसर हैं।[1]

ध्यानचंद पुरस्कार

खेलों की दुनिया में ध्यानचंद जैसे सर्वोच्च खेल अवार्ड के हकदार बने मनप्रीत सिंह कबड्डी में देश के केवल दूसरे कबड्‌डी खिलाड़ी हैं जो इस ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं। मनप्रीत सिंह के मुताबिक कबड्डी में यह अवार्ड अब तक केवल हरियाणा के शमशेर सिंह 2007 में हासिल कर पाए हैं जो इन दिनों हरियाणा पुलिस में डीएसपी हैं। उन्होंने डेराबस्सी हलका ही नहीं पंजाब और देश का नाम भी रोशन किया है। मनप्रीत सिंह को इस अवार्ड की क्लीयरेंस मिलने का पता मंगलवार को सोनीपत में लगा था। वह सर्वोच्च सम्मान के लिए चुने जाने का श्रेय अपने अलग-अलग कोच, सीनियर खिलाड़ी, परिवार, ग्राउंड मैन और शुभचिंतकों तक को देते हैं।

कबड्डी में वापसी

मनप्रीत सिंह का वजन 130 किलो तक पहुंच चुका था। दोबारा कबड्डी खेलने की छोड़ वह अपनी बेमिसाल उपलब्धियों की पुरानी यादों के मोहताज हो गये थे, परंतु बेटे सिमरप्रीत के मासूमियत भरे बोल ने उनके तन-मन को झिंझोड़ दिया। ऐसी अलख जगी कि मनप्रीत सिंह माना ने छह महीने के भीतर एक तिहाई वजन घटा लिया। वह न केवल दोबारा चीते सी फुर्ती वाले दोबारा प्रमुख रेडर बने बल्कि अपने प्रदर्शन के बूते अपनी टीम को प्रो कबड्‌डी लीग में स्वर्ण पदक भी दिलाया। दृढ़ निश्चय एवं अथक मेहनत से उन्होंने 47 किलो वजन घटा लिया।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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