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*ललिता [[राधा]] की सखी है।  
 
*ललिता [[राधा]] की सखी है।  
*[[सूरदास]] ने राधा के अतिरिक्त ललिता का विशेष उल्लेख किया है और [[चन्द्रावली सखी|चन्द्रावली]] का भी।  
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*[[सूरदास]] ने राधा के अतिरिक्त ललिता का विशेष उल्लेख किया है और चन्द्रावली का भी।  
 
*उन्हें राधा की परम प्रिय, घनिष्ठ सखियों के रूप में 'मान' और 'खण्डिता' के प्रकरणों में चिन्तित किया है।  
 
*उन्हें राधा की परम प्रिय, घनिष्ठ सखियों के रूप में 'मान' और 'खण्डिता' के प्रकरणों में चिन्तित किया है।  
*'खण्उता' प्रकरणों में इन दो के अतिरिक्त सूरदास ने [[शीला सखी|शीला]], [[सुखमा सखी|सुखमा]], [[कामा सखी|कामा]], [[वृन्दा सखी|वृन्दा]], [[कुमुदा सखी|कुमुदा]] और [[प्रमदा सखी|प्रमदा]] का उल्लेख किया है।  
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*'खण्डिता' प्रकरणों में इन दो के अतिरिक्त सूरदास ने शीला, सुखमा, कामा, वृन्दा, कुमुदा और प्रमदा का उल्लेख किया है।  
*गोपियों में [[कृष्ण]]-प्रेम की अधिकारिणी ये ही हैं।  
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*गोपियों में [[कृष्ण]]-प्रेम की अधिकारिणी ये ही हैं। परन्तु इनमें से किसी का राधा से ईर्ष्याभाव नहीं है।  
*परन्तु इनमें से किसी का राधा से ईर्ष्याभाव नहीं है।  
 
 
*नित्य बिहारी राधा-कृष्ण की ललिता अभिन्न सहचरी है।  
 
*नित्य बिहारी राधा-कृष्ण की ललिता अभिन्न सहचरी है।  
 
*सखी भाव की उपासना में उसके व्यक्तित्व को आदर्श रूप में स्वीकार किया गया है।
 
*सखी भाव की उपासना में उसके व्यक्तित्व को आदर्श रूप में स्वीकार किया गया है।
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*स्वामी हरिदास [[वृन्दावन]] के निधि वन के एकांत में अपने दिव्य संगीत से प्रिया-प्रियतम(राधा-कृष्ण) को रिझाते थे।
 
*स्वामी हरिदास [[वृन्दावन]] के निधि वन के एकांत में अपने दिव्य संगीत से प्रिया-प्रियतम(राधा-कृष्ण) को रिझाते थे।
  
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==संबंधित लेख==
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08:51, 21 मई 2011 का अवतरण

  • ललिता राधा की सखी है।
  • सूरदास ने राधा के अतिरिक्त ललिता का विशेष उल्लेख किया है और चन्द्रावली का भी।
  • उन्हें राधा की परम प्रिय, घनिष्ठ सखियों के रूप में 'मान' और 'खण्डिता' के प्रकरणों में चिन्तित किया है।
  • 'खण्डिता' प्रकरणों में इन दो के अतिरिक्त सूरदास ने शीला, सुखमा, कामा, वृन्दा, कुमुदा और प्रमदा का उल्लेख किया है।
  • गोपियों में कृष्ण-प्रेम की अधिकारिणी ये ही हैं। परन्तु इनमें से किसी का राधा से ईर्ष्याभाव नहीं है।
  • नित्य बिहारी राधा-कृष्ण की ललिता अभिन्न सहचरी है।
  • सखी भाव की उपासना में उसके व्यक्तित्व को आदर्श रूप में स्वीकार किया गया है।
  • माना जाता है कि आज से लगभग पांच शताब्दी पूर्व राधा रानी की सखी ललिता ने स्वामी हरिदास के रूप में अवतार लिया।
  • स्वामी हरिदास वृन्दावन के निधि वन के एकांत में अपने दिव्य संगीत से प्रिया-प्रियतम(राधा-कृष्ण) को रिझाते थे।

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