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− | '''वैरंजा''' [[उत्तर प्रदेश]] का एक प्राचीन नगर था। | + | '''वैरंजा''' [[उत्तर प्रदेश]] का एक प्राचीन नगर था। '[[बुद्धचरित]]' 21, 27 में [[बुद्ध]] का इस अनभिज्ञात नगर में पहुँचकर 'विरिंच' नामक व्यक्ति को [[धर्म]] की दीक्षा देने का उल्लेख है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=880|url=}}</ref> |
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*यह नगर [[श्रावस्ती]]-[[मथुरा]] मार्ग पर स्थित था और मथुरा के निकट ही था। | *यह नगर [[श्रावस्ती]]-[[मथुरा]] मार्ग पर स्थित था और मथुरा के निकट ही था। | ||
− | * | + | *वैरंजा नगर के [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] का [[बौद्ध साहित्य]] में उल्लेख है। |
− | *गौतम बुद्ध यहाँ पर ठहरे थे और उन्होंने इस नगर के निवासियों के समक्ष प्रवचन भी किया था। | + | *[[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] यहाँ पर ठहरे थे और उन्होंने इस नगर के निवासियों के समक्ष प्रवचन भी किया था। |
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12:37, 9 दिसम्बर 2014 के समय का अवतरण
वैरंजा उत्तर प्रदेश का एक प्राचीन नगर था। 'बुद्धचरित' 21, 27 में बुद्ध का इस अनभिज्ञात नगर में पहुँचकर 'विरिंच' नामक व्यक्ति को धर्म की दीक्षा देने का उल्लेख है।[1]
- यह नगर श्रावस्ती-मथुरा मार्ग पर स्थित था और मथुरा के निकट ही था।
- वैरंजा नगर के ब्राह्मणों का बौद्ध साहित्य में उल्लेख है।
- गौतम बुद्ध यहाँ पर ठहरे थे और उन्होंने इस नगर के निवासियों के समक्ष प्रवचन भी किया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 880 |