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'''शायनी विल्सन''' [[भारत]] की प्रसिद्ध महिला एथलीटों में से एक रही हैं। उन्होंने 'जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल' से प्रशिक्षण प्राप्त किया था। वर्ष [[1992]] में शायनी विल्सन 'बार्सिलोना ओलंपिक' में [[राष्ट्रीय ध्‍वज]] के साथ भारतीय दल की अगुवाई करने वाली प्रथम भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं। [[1998]] में उन्हें देश के प्रतिष्ठित सम्मान 'पद्मश्री' से भी सम्मानित किया गया था।
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'''शायनी विल्सन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Shiny Wilson'') [[भारत]] की प्रसिद्ध महिला एथलीटों में से एक रही हैं। उन्होंने 'जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल' से प्रशिक्षण प्राप्त किया था। वर्ष [[1992]] में शायनी विल्सन 'बार्सिलोना ओलंपिक' में [[राष्ट्रीय ध्‍वज]] के साथ भारतीय दल की अगुवाई करने वाली प्रथम भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं। [[1998]] में उन्हें देश के प्रतिष्ठित सम्मान '[[पद्मश्री]]' से भी सम्मानित किया गया था।
 
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==जन्म तथा प्रशिक्षण==
 
==जन्म तथा प्रशिक्षण==
शायनी विल्सन का जन्म [[केरल]] के इडुक्की नामक स्थान पर हुआ था। उन्हें छोटी उम्र में ही एथलेटिक्स ने अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। देश की प्रसिद्ध एथलेटिक्स [[पी. टी. उषा]] और एम. डी. वालसम्मा के साथ शायनी ने एनआईएस के कोच पी. जी. डेवेसला की निगरानी में एथलेटिक्स के हुनर सीखे थे। इसके बाद उन्होंने "जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल" में प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ष [[1984]] के लॉस एन्जल्स ओलंपिक में शायनी सेमीफाइनल में जगह पाने वाली पहली भारतीय धावक बनी थीं। इस ओलंपिक में वे 4X400 रिले टीम में एशियाई रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहीं।  
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शायनी विल्सन का जन्म [[केरल]] के इडुक्की नामक स्थान पर हुआ था। उन्हें छोटी उम्र में ही एथलेटिक्स ने अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। देश की प्रसिद्ध एथलेटिक्स [[पी. टी. उषा]] और एम. डी. वालसम्मा के साथ शायनी ने एनआईएस के कोच पी. जी. डेवेसला की निगरानी में एथलेटिक्स के हुनर सीखे थे। इसके बाद उन्होंने "जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल" में प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ष [[1984]] के लॉस एन्जल्स ओलंपिक में शायनी सेमीफाइनल में जगह पाने वाली पहली भारतीय धावक बनी थीं। इस ओलंपिक में वे 4X400 रिले टीम में एशियाई रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहीं।<ref name="ab">{{cite web |url=http://khabar.ibnlive.in.com/news/40750/4/33|title=शायनी विल्सन|accessmonthday=14 दिसम्बर|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
====भारतीय दल की अगुवाई====
 
====भारतीय दल की अगुवाई====
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भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में एक दुखद लम्हा उस समय आया, जब शायनी विल्सन [[1986]] के सियोल एशियन गेम्स में सबसे आगे थीं, लेकिन अचानक उन्हें डिसक्वालिफ़ाई कर दिया गया। वर्ष [[1992]] के बार्सिलोना ओलंपिक में [[तिरंगा|तिरंगे]] के साथ शायनी भारतीय दल की अगुवाई करने वाली प्रथम भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं।<ref name="ab"/>
  
 
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[[1989]] में दिल्ली एशियन ट्रैक एंड फ़ील्ड मीट में गर्भवती होने के बावजूद शायनी विल्सन [[चीन]] की सन सुमई के बाद दूसरे नंबर की खिलाड़ी बनीं। चीन की सन सुमई डोप टेस्ट में पोजिटिव पाई गईं और इस वजह से शायनी विल्सन को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इस इवेंट में शायनी ने 7 स्वर्ण, 6 रजत और 2 ब्रोंज पदक जीते।
 
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====विवाह====
शायनी विल्सन ने अंतर्राष्ट्रीय तैराक और '[[अर्जुन पुरस्कार]]' विजेता चेरियन विल्सन से [[विवाह]] कर लिया। विवाह के बाद वे शायनी एब्राहम से शायनी विल्सन बन गईं।  
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शायनी विल्सन ने अंतर्राष्ट्रीय तैराक और '[[अर्जुन पुरस्कार]]' विजेता चेरियन विल्सन से [[विवाह]] कर लिया। विवाह के बाद वे शायनी एब्राहम से शायनी विल्सन बन गईं।
 
==पुरस्कार व सम्मान==
 
==पुरस्कार व सम्मान==
वर्ष [[1985]] में शायनी विल्सन को 'अर्जुन पुरस्कार', [[1996]] में 'बिरला अवार्ड्स' और [[1998]] में '[[पद्मश्री]]' से नवाजा गया था।
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वर्ष [[1985]] में शायनी विल्सन को '[[अर्जुन पुरस्कार]]', [[1996]] में 'बिरला अवार्ड्स' और [[1998]] में '[[पद्मश्री]]' से नवाजा गया था।<ref name="ab"/>
  
 
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07:44, 19 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

शायनी विल्सन (अंग्रेज़ी: Shiny Wilson) भारत की प्रसिद्ध महिला एथलीटों में से एक रही हैं। उन्होंने 'जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल' से प्रशिक्षण प्राप्त किया था। वर्ष 1992 में शायनी विल्सन 'बार्सिलोना ओलंपिक' में राष्ट्रीय ध्‍वज के साथ भारतीय दल की अगुवाई करने वाली प्रथम भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं। 1998 में उन्हें देश के प्रतिष्ठित सम्मान 'पद्मश्री' से भी सम्मानित किया गया था।

जन्म तथा प्रशिक्षण

शायनी विल्सन का जन्म केरल के इडुक्की नामक स्थान पर हुआ था। उन्हें छोटी उम्र में ही एथलेटिक्स ने अपनी ओर आकर्षित कर लिया था। देश की प्रसिद्ध एथलेटिक्स पी. टी. उषा और एम. डी. वालसम्मा के साथ शायनी ने एनआईएस के कोच पी. जी. डेवेसला की निगरानी में एथलेटिक्स के हुनर सीखे थे। इसके बाद उन्होंने "जीवी राजा स्पोर्ट्स स्कूल" में प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ष 1984 के लॉस एन्जल्स ओलंपिक में शायनी सेमीफाइनल में जगह पाने वाली पहली भारतीय धावक बनी थीं। इस ओलंपिक में वे 4X400 रिले टीम में एशियाई रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहीं।[1]

भारतीय दल की अगुवाई

भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में एक दुखद लम्हा उस समय आया, जब शायनी विल्सन 1986 के सियोल एशियन गेम्स में सबसे आगे थीं, लेकिन अचानक उन्हें डिसक्वालिफ़ाई कर दिया गया। वर्ष 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में तिरंगे के साथ शायनी भारतीय दल की अगुवाई करने वाली प्रथम भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं।[1]

1989 में दिल्ली एशियन ट्रैक एंड फ़ील्ड मीट में गर्भवती होने के बावजूद शायनी विल्सन चीन की सन सुमई के बाद दूसरे नंबर की खिलाड़ी बनीं। चीन की सन सुमई डोप टेस्ट में पोजिटिव पाई गईं और इस वजह से शायनी विल्सन को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। इस इवेंट में शायनी ने 7 स्वर्ण, 6 रजत और 2 ब्रोंज पदक जीते।

विवाह

शायनी विल्सन ने अंतर्राष्ट्रीय तैराक और 'अर्जुन पुरस्कार' विजेता चेरियन विल्सन से विवाह कर लिया। विवाह के बाद वे शायनी एब्राहम से शायनी विल्सन बन गईं।

पुरस्कार व सम्मान

वर्ष 1985 में शायनी विल्सन को 'अर्जुन पुरस्कार', 1996 में 'बिरला अवार्ड्स' और 1998 में 'पद्मश्री' से नवाजा गया था।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 शायनी विल्सन (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 14 दिसम्बर, 2012।

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