"संकिसा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "हजार" to "हज़ार")
 
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 11 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{tocright}}
+
{{सूचना बक्सा ऐतिहासिक स्थान
संकिसा [[उत्तर प्रदेश]] के [[फ़र्रुख़ाबाद]] के निकट स्थित आधुनिक संकिस ग्राम से समीकृत किया जाता है। [[कनिंघम]] ने अपनी कृति 'द एनशॅंट जिऑग्राफी ऑफ़ इण्डिया' में संकिसा का विस्तार से वर्णन किया है। संकिसा का उल्लेख [[महाभारत]] में किया गया है।  
+
|चित्र=Buddha-Dharma-Stambh-Sankisa.jpg
 +
|चित्र का नाम=बुद्ध धर्म स्तम्भ, संकिसा
 +
|विवरण= [[बौद्ध]] अनुश्रुति के अनुसार 'संकिसा' वही स्थान है, जहाँ [[बुद्ध]], [[इन्द्र]] एवं [[ब्रह्मा]] सहित [[स्वर्ण]] अथवा [[रत्न]] की सीढ़ियों से त्रयस्तृन्सा स्वर्ग से [[पृथ्वी]] पर आये थे।
 +
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]]
 +
|केन्द्र शासित प्रदेश=
 +
|ज़िला=[[एटा ज़िला]]
 +
|निर्माण काल=
 +
|स्थापना=
 +
|मार्ग स्थिति=
 +
|प्रसिद्धि=सातवीं शताब्दी में [[युवानच्वांग]] ने विशाल 'सिंह स्तम्भ' देखा था जो 70 फुट ऊँचाई का था और जिसे [[सम्राट अशोक]] ने बनवाया था।
 +
|मानचित्र लिंक=
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=[[कनिंघम]] ने अपनी कृति 'द एनशॅंट जिऑग्राफी ऑफ़ इण्डिया' में संकिसा का विस्तार से वर्णन किया है। संकिसा का उल्लेख [[महाभारत]] में किया गया है।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
'''संकिसा''' [[उत्तर प्रदेश]] के [[फ़र्रुख़ाबाद]] के निकट स्थित आधुनिक संकिस ग्राम से समीकृत किया जाता है हांलंकि भौगोलिक रूप से यह जनपद [[एटा]] में आता है। [[कनिंघम]] ने अपनी कृति 'द एनशॅंट जिऑग्राफी ऑफ़ इण्डिया' में संकिसा का विस्तार से वर्णन किया है। संकिसा का उल्लेख [[महाभारत]] में किया गया है।  
 
==इतिहास==
 
==इतिहास==
उस समय यह नगर पांचाल की राजधानी [[कांपिल्य]] से अधिक दूर नहीं था। महाजनपद युग में संकिसा पांचाल जनपद का प्रसिद्ध नगर था। [[बौद्ध]] अनुश्रुति के अनुसार यह वही स्थान है, जहाँ [[बुद्ध]] [[इन्द्र]] एवं [[ब्रह्मा]] सहित स्वर्ण अथवा [[रत्न]] की सीढ़ियों से त्रयस्तृन्सा स्वर्ग से [[पृथ्वी]] पर आये थे। इस प्रकार [[गौतम बुद्ध]] के समय में भी यह एक ख्याति प्राप्त नगर था।  
+
उस समय यह नगर पांचाल की राजधानी [[कांपिल्य]] से अधिक दूर नहीं था। [[महाजनपद]] युग में संकिसा [[पांचाल]] जनपद का प्रसिद्ध नगर था। [[बौद्ध]] अनुश्रुति के अनुसार यह वही स्थान है, जहाँ [[बुद्ध]], [[इन्द्र]] एवं [[ब्रह्मा]] सहित [[स्वर्ण]] अथवा [[रत्न]] की सीढ़ियों से त्रयस्तृन्सा स्वर्ग से [[पृथ्वी]] पर आये थे। इस प्रकार [[गौतम बुद्ध]] के समय में भी यह एक ख्याति प्राप्त नगर था।  
 
====सांकाश्य====
 
====सांकाश्य====
 
{{Main|सांकाश्य}}
 
{{Main|सांकाश्य}}
 
प्राचीन [[भारत]] में [[पंचाल]] जनपद का प्रसिद्ध नगर जिसका सर्वप्रथम उल्लेख संभवत: [[वाल्मीकि रामायण]] <ref>वाल्मीकि आदि. 71, 16-19</ref> में है।  
 
प्राचीन [[भारत]] में [[पंचाल]] जनपद का प्रसिद्ध नगर जिसका सर्वप्रथम उल्लेख संभवत: [[वाल्मीकि रामायण]] <ref>वाल्मीकि आदि. 71, 16-19</ref> में है।  
 
==महात्मा बुद्ध का आगमन==
 
==महात्मा बुद्ध का आगमन==
इसी नगर में महात्मा बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य आनन्द के कहने पर यहाँ आये व संघ में स्त्रियों की प्रवृज्या पर लगायी गयी रोक को तोड़ा था और भिक्षुणी उत्पलवर्णा को दीक्षा देकर बौद्ध संघ का द्वार स्त्रियों के लिए खोल दिया गया था। बौद्ध ग्रंथों में इस नगर की गणना उस समय के बीस प्रमुख नगरों में की गयी है। प्राचीनकाल में यह नगर निश्चय ही काफ़ी बड़ा रहा होगा, क्योंकि इसकी नगर भित्ति के अवशेष, जो आज भी हैं, लगभग चार मील की परिधि में हैं। चीनी यात्री [[फ़ाह्यान]] पाँचवीं शताब्दी के पहले दशक में यहाँ [[मथुरा]] से चलकर आया था और यहाँ से कान्यकुब्ज, [[श्रावस्ती]] आदि स्थानों पर गया था। उसने संकिसा का उल्लेख सेंग-क्यि-शी नाम से किया है। उसने यहाँ [[हीनयान]] और [[महायान]] सम्प्रदायों के एक हज़ार भिक्षुओं को देखा था। कनिंघम को यहाँ से [[स्कन्दगुप्त]] का एक चाँदी का सिक्का मिला था।  
+
इसी नगर में महात्मा बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य आनन्द के कहने पर यहाँ आये व संघ में स्त्रियों की प्रवृज्या पर लगायी गयी रोक को तोड़ा था और भिक्षुणी उत्पलवर्णा को दीक्षा देकर बौद्ध संघ का द्वार स्त्रियों के लिए खोल दिया गया था। बौद्ध ग्रंथों में इस नगर की गणना उस समय के बीस प्रमुख नगरों में की गयी है। प्राचीनकाल में यह नगर निश्चय ही काफ़ी बड़ा रहा होगा, क्योंकि इसकी नगर भित्ति के [[अवशेष]], जो आज भी हैं, लगभग चार मील {{मील|मील =4}} की परिधि में हैं। चीनी यात्री [[फ़ाह्यान]] पाँचवीं शताब्दी के पहले दशक में यहाँ [[मथुरा]] से चलकर आया था और यहाँ से [[कान्यकुब्ज]], [[श्रावस्ती]] आदि स्थानों पर गया था। उसने संकिसा का उल्लेख सेंग-क्यि-शी नाम से किया है। उसने यहाँ [[हीनयान]] और [[महायान]] सम्प्रदायों के एक हज़ार भिक्षुओं को देखा था। [[कनिंघम]] को यहाँ से [[स्कन्दगुप्त]] का एक [[चाँदी]] का सिक्का मिला था।  
==विशाल सिंह प्रतिमा==
+
==विशाल 'सिंह' प्रतिमा==
 
सातवीं शताब्दी में [[युवानच्वांग]] ने यहाँ 70 फुट ऊँचाई स्तम्भ देखा था, जिसे [[सम्राट अशोक]] ने बनवाया था। उस समय भी इतना चमकदार था कि जल से भीगा-सा जान पड़ता था। स्तम्भ के शीर्ष पर विशाल सिंह प्रतिमा थी। उसने अपने विवरण में इस विचित्र तथ्य का उल्लेख किया है कि यहाँ के विशाल मठ के समीप निवास करने वाले [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] की संख्या कई हज़ार थी।  
 
सातवीं शताब्दी में [[युवानच्वांग]] ने यहाँ 70 फुट ऊँचाई स्तम्भ देखा था, जिसे [[सम्राट अशोक]] ने बनवाया था। उस समय भी इतना चमकदार था कि जल से भीगा-सा जान पड़ता था। स्तम्भ के शीर्ष पर विशाल सिंह प्रतिमा थी। उसने अपने विवरण में इस विचित्र तथ्य का उल्लेख किया है कि यहाँ के विशाल मठ के समीप निवास करने वाले [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] की संख्या कई हज़ार थी।  
 +
==वीथिका==
 +
<gallery>
 +
चित्र:Sankhisa.jpg|पुरातात्विक अधिग्रहण
 +
चित्र:Sankhisa1.jpg|अशोककालीन स्तम्भ के अवशेष
 +
चित्र:Sankhisa4 (2).jpg |पाली दंतकथाओं में वर्णित स्वर्ग की सीढियां
 +
चित्र:Sankhisa2.jpg|विषहरी देवी मंदिर के अवशेष
 +
चित्र:Sankhisa3.jpg|पुर्नस्थापित अशोककालीन स्तम्भ शीर्ष
 +
</gallery>
 +
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
  
{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति
 
|आधार=
 
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 +
ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
 +
==बाहरी कड़ियाँ==
 +
[https://www.facebook.com/photo.php?fbid=965364390160998&set=a.445121862185256.104233.100000623380448&type=1&theater&notif_t=like बौद्ध काल के बीस प्रमुख नगरों में से ऐक संखिसा]
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}
 
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}}
{{उत्तर प्रदेश के पर्यटन स्थल}}
 
 
 
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
 
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 +
__NOTOC__

06:18, 4 मई 2015 के समय का अवतरण

संकिसा
बुद्ध धर्म स्तम्भ, संकिसा
विवरण बौद्ध अनुश्रुति के अनुसार 'संकिसा' वही स्थान है, जहाँ बुद्ध, इन्द्र एवं ब्रह्मा सहित स्वर्ण अथवा रत्न की सीढ़ियों से त्रयस्तृन्सा स्वर्ग से पृथ्वी पर आये थे।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला एटा ज़िला
प्रसिद्धि सातवीं शताब्दी में युवानच्वांग ने विशाल 'सिंह स्तम्भ' देखा था जो 70 फुट ऊँचाई का था और जिसे सम्राट अशोक ने बनवाया था।
अन्य जानकारी कनिंघम ने अपनी कृति 'द एनशॅंट जिऑग्राफी ऑफ़ इण्डिया' में संकिसा का विस्तार से वर्णन किया है। संकिसा का उल्लेख महाभारत में किया गया है।

संकिसा उत्तर प्रदेश के फ़र्रुख़ाबाद के निकट स्थित आधुनिक संकिस ग्राम से समीकृत किया जाता है हांलंकि भौगोलिक रूप से यह जनपद एटा में आता है। कनिंघम ने अपनी कृति 'द एनशॅंट जिऑग्राफी ऑफ़ इण्डिया' में संकिसा का विस्तार से वर्णन किया है। संकिसा का उल्लेख महाभारत में किया गया है।

इतिहास

उस समय यह नगर पांचाल की राजधानी कांपिल्य से अधिक दूर नहीं था। महाजनपद युग में संकिसा पांचाल जनपद का प्रसिद्ध नगर था। बौद्ध अनुश्रुति के अनुसार यह वही स्थान है, जहाँ बुद्ध, इन्द्र एवं ब्रह्मा सहित स्वर्ण अथवा रत्न की सीढ़ियों से त्रयस्तृन्सा स्वर्ग से पृथ्वी पर आये थे। इस प्रकार गौतम बुद्ध के समय में भी यह एक ख्याति प्राप्त नगर था।

सांकाश्य

प्राचीन भारत में पंचाल जनपद का प्रसिद्ध नगर जिसका सर्वप्रथम उल्लेख संभवत: वाल्मीकि रामायण [1] में है।

महात्मा बुद्ध का आगमन

इसी नगर में महात्मा बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य आनन्द के कहने पर यहाँ आये व संघ में स्त्रियों की प्रवृज्या पर लगायी गयी रोक को तोड़ा था और भिक्षुणी उत्पलवर्णा को दीक्षा देकर बौद्ध संघ का द्वार स्त्रियों के लिए खोल दिया गया था। बौद्ध ग्रंथों में इस नगर की गणना उस समय के बीस प्रमुख नगरों में की गयी है। प्राचीनकाल में यह नगर निश्चय ही काफ़ी बड़ा रहा होगा, क्योंकि इसकी नगर भित्ति के अवशेष, जो आज भी हैं, लगभग चार मील (लगभग 6.4 कि.मी.) की परिधि में हैं। चीनी यात्री फ़ाह्यान पाँचवीं शताब्दी के पहले दशक में यहाँ मथुरा से चलकर आया था और यहाँ से कान्यकुब्ज, श्रावस्ती आदि स्थानों पर गया था। उसने संकिसा का उल्लेख सेंग-क्यि-शी नाम से किया है। उसने यहाँ हीनयान और महायान सम्प्रदायों के एक हज़ार भिक्षुओं को देखा था। कनिंघम को यहाँ से स्कन्दगुप्त का एक चाँदी का सिक्का मिला था।

विशाल 'सिंह' प्रतिमा

सातवीं शताब्दी में युवानच्वांग ने यहाँ 70 फुट ऊँचाई स्तम्भ देखा था, जिसे सम्राट अशोक ने बनवाया था। उस समय भी इतना चमकदार था कि जल से भीगा-सा जान पड़ता था। स्तम्भ के शीर्ष पर विशाल सिंह प्रतिमा थी। उसने अपने विवरण में इस विचित्र तथ्य का उल्लेख किया है कि यहाँ के विशाल मठ के समीप निवास करने वाले ब्राह्मणों की संख्या कई हज़ार थी।

वीथिका

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वाल्मीकि आदि. 71, 16-19

ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

बाहरी कड़ियाँ

बौद्ध काल के बीस प्रमुख नगरों में से ऐक संखिसा

संबंधित लेख