"सोरों" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अका)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*'''सोरों''' कासगंज (ज़िला एटा, [[उत्तर प्रदेश]]) से 9 मील दूर प्राचीन [[शूकरक्षेत्र उत्तर प्रदेश|शूकरक्षेत्र]] है।
+
*'''सोरों''' [[कासगंज ज़िला|कासगंज]] [[उत्तर प्रदेश]] से 9 मील दूर प्राचीन [[शूकरक्षेत्र उत्तर प्रदेश|शूकरक्षेत्र]] है। प्राचीन समय में सोरों को [[सोरेय्य]] नाम से जाना जाता था।
*प्राचीन समय में सोरों को [[सोरेय्य]] नाम से जाना जाता था।
 
 
*पहले सोरों के निकट [[गंगा]] बहती थी, किंतु अब गंगा दूर हट गई है।
 
*पहले सोरों के निकट [[गंगा]] बहती थी, किंतु अब गंगा दूर हट गई है।
 
*पुरानी धारा के तट पर अनेक प्राचीन मन्दिर स्थित हैं।
 
*पुरानी धारा के तट पर अनेक प्राचीन मन्दिर स्थित हैं।
पंक्ति 12: पंक्ति 11:
 
*सोरों के प्राचीन नाम [[सोरेय्य]] का उल्लेख [[पाली भाषा|पाली]] साहित्य में भी है।
 
*सोरों के प्राचीन नाम [[सोरेय्य]] का उल्लेख [[पाली भाषा|पाली]] साहित्य में भी है।
  
{{प्रचार}}
+
{{seealso|शूकरक्षेत्र उत्तर प्रदेश|सोरेय्य}}  
{{लेख प्रगति
+
 
|आधार=
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
{{cite book | last = माथुर| first = विजयेन्द्र कुमार| title = ऐतिहासिक स्थानावली| edition = द्वितीय संस्करण-1990 | publisher = राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर| location = भारत डिस्कवरी पुस्तकालय | language = हिन्दी | pages = पृष्ठ संख्या-995 | chapter =}}
 
{{cite book | last = माथुर| first = विजयेन्द्र कुमार| title = ऐतिहासिक स्थानावली| edition = द्वितीय संस्करण-1990 | publisher = राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर| location = भारत डिस्कवरी पुस्तकालय | language = हिन्दी | pages = पृष्ठ संख्या-995 | chapter =}}

14:16, 15 जनवरी 2014 का अवतरण

  • सोरों कासगंज उत्तर प्रदेश से 9 मील दूर प्राचीन शूकरक्षेत्र है। प्राचीन समय में सोरों को सोरेय्य नाम से जाना जाता था।
  • पहले सोरों के निकट गंगा बहती थी, किंतु अब गंगा दूर हट गई है।
  • पुरानी धारा के तट पर अनेक प्राचीन मन्दिर स्थित हैं।
  • तुलसीदास ने रामायण की कथा अपने गुरु नरहरिदास से प्रथम बार यहीं पर सुनी थी।
  • उनके भ्राता नन्ददास जी द्वारा स्थापित बलदेव का मन्दिर सोरों का प्राचीन स्मारक है।
  • गंगा नदी के तट पर एक प्राचीन स्तूप के खण्डहर भी मिले हैं, जिनमें सीता-राम के नाम से प्रसिद्ध मन्दिर स्थित है।
  • कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण राजा बेन ने करवाया था।
  • प्राचीन मन्दिर काफ़ी विशाल था, जैसा कि उसकी प्राचीन भित्तियों की गहरी नींव से प्रतीत होता है।
  • अनेक प्राचीन अभिलेख भी इस मन्दिर पर उत्कीर्ण हैं, जिनमें सर्वप्राचीन अभिलेख 1226 विक्रम सम्वत=1169 ई. का है।
  • कहा जाता है कि इस मन्दिर को 1511 ई. के लगभग सिकन्दर लोदी ने नष्ट कर दिया था।
  • सोरों के प्राचीन नाम सोरेय्य का उल्लेख पाली साहित्य में भी है।

इन्हें भी देखें: शूकरक्षेत्र उत्तर प्रदेश एवं सोरेय्य


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

माथुर, विजयेन्द्र कुमार ऐतिहासिक स्थानावली, द्वितीय संस्करण-1990 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर, पृष्ठ संख्या-995।

  • ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

संबंधित लेख