शिरडी
शिरडी
| |
विवरण | 'शिरडी' एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जिसका साईं बाबा से गहरा सम्बन्ध है। यह महाराष्ट्र प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। |
राज्य | महाराष्ट्र |
ज़िला | अहमदनगर |
प्रबंधक | शिरडी ट्रस्ट |
भौगोलिक स्थिति | शिरडी अहमदनगर-मनमाड़ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 पर अहमदनगर से लगभग 83 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | धार्मिक स्थल |
मुम्बई, पुणे | |
शिरडी, कोपरगाँव, मनमाड़, मुम्बई। | |
प्राईवेट टैक्सियाँ और ऑटो | |
संबंधित लेख | साईं बाबा, महाराष्ट्र, अहमदनगर
|
अन्य जानकारी | शिरडी में साईं बाबा का समाधि मंदिर है। कई श्रद्धालु यहाँ बाबा की समाधि पर चादर चढ़ाते हैं। समान्य दिनों में भी यहाँ श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ होती है कि दर्शन में एक घंटे तो लग ही जाते हैं। गुरुवार को कई घंटे लग सकते हैं। |
शिरडी एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जिसका आध्यात्मिक संत, योगी और फ़कीर साईं बाबा से घनिष्ठ सम्बन्ध है। शिरडी महाराष्ट्र के अहमदनगर ज़िले की राहटा तहसील के अंतर्गत आने वाला एक क़स्बा है। बड़ी संख्या में यहाँ साईं बाबा के भक्त उनके मन्दिर में दर्शनों के लिए आते हैं। साईं बाबा के भक्तों में सभी जाति-धर्म-पंथ के लोग शामिल हैं। जहाँ हिन्दू बाबा के चरणों में हार-फूल चढ़ाते, समाधि पर दूब रखकर अभिषेक करते हैं, वहीं मुस्लिम बाबा की समाधि पर चादर चढ़ाकर दुआएँ माँगते हैं। कुल मिलाकर शिरडी सर्वधर्म समभाव के धार्मिक सह-अस्तित्व का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन यहाँ आने वाले भक्त तो इन सबके परे केवल मन में साईं बाबा के प्रति श्रद्धा और विश्वास के चलते खिंचे चले आते हैं।
स्थिति
साईं धाम के नाम से प्रसिद्ध शिरडी अहमदनगर-मनमाड़ राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 10 पर अहमदनगर से लगभग 83 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिरडी कोपरगाँव से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। साईं बाबा का प्रसिद्ध और विशाल मन्दिर यहाँ है, जिसके दर्शनों के लिए सिर्फ़ भारत ही नहीं अपितु विदेशों से भी काफ़ी बड़ी संख्या में भक्तजन आते हैं। 'शिरडी ही साईं बाबा है और साईं बाबा ही शिरडी', एक दूसरे का प्रत्यक्ष पर्यायवाची होने के साथ-साथ यह आध्यामिक स्थान भी है। गोदावरी नदी पार करने के पश्चात् मार्ग सीधा शिरडी को जाता है। आठ मील चलने पर जब यात्री नीमगाँव पहुँचते हैं तो वहाँ से शिरडी दृष्टिगोचर होने लगती है।
बाबा का समाधि मंदिर
शिरडी में साईं बाबा का समाधि मंदिर है। कई श्रद्धालु यहाँ बाबा की समाधि पर चादर चढ़ाते हैं। ये सवा दो मीटर लंबी और एक मीटर चौड़ी होती है। समान्य दिनों में भी यहाँ श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ होती है कि दर्शन में एक घंटे तो लग ही जाते हैं। गुरुवार को कई घंटे लग सकते हैं। समाधि मंदिर के अलावा यहाँ द्वारकामाई का मंदिर चावडी और ताजिमखान बाबा चौक पर साईं भक्त अब्दुल्ला की झोपड़ी है। साई बाबा ने शिरडी में 1918 में समाधि ली थी। इससे पहले वे कई दशक शिरडी में रहे और इस दौरान कई चमत्कार किए। लोग कहते हैं कि साई बाबा ने कहा था कि एक समय आएगा, जब शिरडी में दूर-दूर से लोग आएँगे। साईं मंदिर में चार समय आरती होती है। 'काकड़ आरती' (प्रातःकालीन), 'मध्याह्न आरती', 'धूप आरती' और 'सेज आरती'।[1]
शिरडी के साईं मंदिर में ट्रस्ट का अपना प्रसाद काउंटर है। यहाँ आने वाले भक्त पेड़े आदि वहीं से ख़रीद सकते हैं। मंदिर के अंदर कैमरा, मोबाइल आदि प्रतिबंधित है। इन्हें जमा करने के लिए बाहर काउंटर बने हैं। मंदिर में प्रवेश के लिए तीन द्वार हैं। यात्री कहीं से भी प्रवेश कर सकते हैं। साईं बाबा महान् संत थे। लोग उन्हें कबीर की श्रेणी में मानते हैं। अपने सरल संदेशों के कारण वे अमीर ग़रीब, हिन्दू और मुस्लिम सबके बीच लोकप्रिय हैं। बाबा ने सभी जीवों के प्रति श्रद्धा रखने और सब्र करने का संदेश दिया। आज देश के हर शहर में साईं बाबा के मंदिर बन चुके हैं और देश भर से हर साल साईं भक्तों का शिरडी आने का सिलसिला चलता रहता है।
प्रसादालय
भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में शिरडी का अपना एक अलग ही महत्व है, और ये महत्व पिछले थोड़े से वक्त में ही काफ़ी बढ़ गया है। हर रोज तकरीबन 40 से 50 हजार श्रद्धालु साईं बाबा के दर्शनों के लिए शिरडी आते हैं। मुख्य मंदिर के अंदर और बाहर काफ़ी अच्छी व्यवस्थाएँ की गई हैं। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए भी बेहतर इंतजाम है। बाबा के दर्शन के साथ-साथ शिरडी में अगर कुछ और देखने लायक है तो वह है बोर्ड द्वारा तैयार किया गया नवीन प्रसादालय (डायनिंग हॉल)। एशिया के इस सबसे बड़े डायनिंग हॉल में एक बार में 5500 लोग बैठकर खाना खा सकते हैं। एक दिन में यहाँ 100,000 लोगों को भोजन कराने की व्यवस्था है। 7.5 एकड़ में फैले इस प्रसादालय को 240 मिलियन रुपए की लागत से तैयार किया गया है। शिरडी बोर्ड सालाना तकरीबन 190 मिलियन खाने पर ही खर्च करता है। प्रसादालय में खाने के दो तरह के कूपन मिलते हैं- पहला साधारण कूपन, जिसके लिए महज 10 रुपए चुकाने होते हैं और दूसरा वीआईपी कूपन, जो बस थोड़ा सा महंगा है। डायनिंग हॉल की एक और जो सबसे बड़ी ख़ासियत है, वह है साफ-सफाई। सफाई का आलम यहाँ ये है कि एक मक्खी तक नजर नहीं आती। सेवा कार्य में लगे कर्मचारी भी साफ-सुथरे कपड़ों के साथ हाथों में दस्ताने पहनकर प्रसाद वितरित करते हैं। प्रसादालय तक जाने के लिए बोर्ड की तरफ से बस भी चलाई जाती है, लेकिन रास्ता इतनी लंबा भी नहीं है कि बस की ज़रूरत पड़े। श्रद्धालु अगर चाहें तो पैदल भी जा सकते हैं।[2]
कैसे पहुँचें
शिरडी में हाल ही में एक रेलवे स्टेशन बनाया गया है, जो कि मंदिर से 10 कि.मी. की दूरी पर है। यहाँ से भारत के सभी शहरों के लिए ट्रेन मिलती है। शिरडी जाने वाले भक्तों के लिए ट्रेन सबसे अच्छा माध्यम है। शिरडी फास्ट पास और जनशताब्दी जैसी ट्रेन मुम्बई से शिरडी के लिए चलाई गई हैं। कोपरगाँव और मनमाड़ रेलवे स्टेशन भी शिरडी से 13 और 52 कि.मी. की दूरी पर हैं। इन सभी जगहों से शिरडी जाने के लिए प्राइवेट टैक्सी भी मिल जाती है।[3] मुंबई से रोज रात को 10:55 बजे शिरडी पैसेंजर खुलती है तो दादर से हफ्ते में तीन दिन शिरडी के लिए एक्सप्रेस ट्रेन भी है। अगर यात्री समूह में नहीं हैं तो वे स्टेशन से शिरडी जाने के लिए 'मैजिक' (बड़े टैम्पो) कर सकते हैं, जिसका किराया प्रति व्यक्ति 30 रुपए है।
कहाँ ठहरें
शिरडी में साईं भक्तों के लिए शिरडी ट्रस्ट की ओर से बड़ी संख्या में आवासीय सुविधा का प्रावधान है। सामान रखने के लिए लॉकर भी हैं। बड़ी संख्या में शिरडी पहुँचने वाले साईं भक्त यहाँ कुछ घंटे रुकने के बाद आस-पास के तीर्थ स्थलों की ओर प्रस्थान कर जाते हैं। यात्री साई ट्रस्ट में अपने आवास की एडवांस बुकिंग भी करा सकते हैं। वैसे शिरडी में बड़ी संख्या में प्राइवेट होटल भी हैं। शिरडी में स्थित सभी उद्यम, रेस्तरां, शोरूम, स्कूल, कॉलेज और होटल शहर के 10 किलोमीटर के दायर में ही हैं। इन सबके साथ साईं का नाम जुड़ा हुआ है। साईं शब्द के उच्चारण से आशा और आदर का भाव उत्पन्न होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ साईं बाबा का शहर शिरडी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 सितम्बर, 2013।
- ↑ शिरडी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 सितम्बर, 2013।
- ↑ कैसे पहुँचें शिरडी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 15 सितम्बर, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख