गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
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− | [[कृष्ण]] को मारने के उद्देश्य से यह [[असुर]] एक दिन [[गाय|गायों]] के बीच वृषभ का रूप धारण करके आया था। उसके देखते ही गाएँ भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगीं। कृष्ण ने उसे पहिचान लिया। वृषभासुर कृष्ण को भी मारने के लिए दौड़ा। लेकिन कृष्ण ने उसे पैर पकड़कर मार डाला। इसे अरिष्टासुर भी कहा गया है। | + | * [[कृष्ण]] को मारने के उद्देश्य से यह [[असुर]] एक दिन [[गाय|गायों]] के बीच वृषभ का रूप धारण करके आया था। उसके देखते ही गाएँ भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगीं। कृष्ण ने उसे पहिचान लिया। वृषभासुर कृष्ण को भी मारने के लिए दौड़ा। लेकिन कृष्ण ने उसे पैर पकड़कर मार डाला। |
+ | * इसे अरिष्टासुर भी कहा गया है। | ||
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10:07, 9 अगस्त 2011 का अवतरण
- कृष्ण को मारने के उद्देश्य से यह असुर एक दिन गायों के बीच वृषभ का रूप धारण करके आया था। उसके देखते ही गाएँ भयभीत होकर इधर-उधर भागने लगीं। कृष्ण ने उसे पहिचान लिया। वृषभासुर कृष्ण को भी मारने के लिए दौड़ा। लेकिन कृष्ण ने उसे पैर पकड़कर मार डाला।
- इसे अरिष्टासुर भी कहा गया है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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