"शीश महल, जयपुर" के अवतरणों में अंतर

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चित्र:Sheesh-Mahal-Interior.jpg|शीश महल का भीतरी दृश्य
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चित्र:Mirrors-In-Sheesh-Mahal.jpg|महल में काँच का शिल्प
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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11:06, 6 अक्टूबर 2014 का अवतरण

शीश महल, जयपुर
शीश महल
विवरण 'शीश महल' आमेर, राजस्थान की प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इस महल में शीशे के टुकड़ों को बहुत ही सुंदर भित्ति चित्रकला के अनुरूप सजाया गया है।
राज्य राजस्थान
स्थान आमेर, जयपुर
निर्माण काल 1623
निर्माणकर्ता जयसिंह
विशेषता यदि इस महल में अंधेरे में मोमबत्ती जलाई जाए तो चारों ओर लाखों प्रकाश-पुंज जगमग हो जाते हैं। यही इस महल की ख़ूबसूरती और विशेषता है।
अन्य जानकारी भारत की बेहद सफल हिन्दी फ़िल्म 'मुग़ल-ए-आज़म' के मशहूर गीत "जब प्यार किया तो डरना क्या" में शीश महल की खूबियों को बखूबी उजागर किया गया है।

शीश महल राजस्थान के जयपुर नगर में स्थित आमेर की ख़ूबसूरत इमारत है। यह महल 'दर्पण हॉल' के नाम से लोकप्रिय है। शीश महल 'जय मंदिर' का एक हिस्‍सा है, जो बेहद ख़ूबसूरती से दर्पणों से सजाया गया है। छत और दीवारों पर लगे शीशे के टुकड़े, प्रकाश पड़ने पर प्रतिबिंबित होते हैं और चमक पूरे महल में फैल जाती है। जयपुर के राजा जयसिंह ने इस महल का निर्माण अपने विशेष मेहमानों के लिए करवाया था।[1] चालीस खंभों वाले इस शीश महल में माचिस की तीली जलाने पर सारे महल में दीपावलियाँ आलोकित हो उठती हैं।

निर्माण

शीश महल का निर्माण 1623 ई. में करवाया गया था। महल में लगे हुए शीशों को बेल्जियम से आयात किया गया था।

भित्ति चित्रकला

चालीस खंभों पर टिकी इस शानदार इमारत के शीशे के टुकड़ों को बहुत ही सुंदर भित्ति चित्रकला के अनुरूप सजाया गया है। इन शीशों की संख्या लाखों में आंकी जाती है। यहां अगर अंधेरे में मोमबत्ती जलाई जाए तो चारों ओर लाखों प्रकाश-पुंज जगमग हो जाते हैं। यही इस महल की ख़ूबसूरती और विशेषता है। शीशे की बारीकी वाले काम की ख़ूबसूरती के कारण ही इसे 'शीश महल' के नाम से जाना जाता है।[2]

हिन्दी सिनेमा से सम्बंध

प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेता दिलीप कुमार द्वारा अभिनीत सुपरहिट फ़िल्म 'मुग़ल-ए-आज़म' में अपने समय की ख़ूबसूरत और ख्यातिप्राप्त अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माए गए मशहूर गीत "जब प्यार किया तो डरना क्या" की वह शानदार लोकेशन याद कीजिए। इस गीत में शीश महल की खूबियों को बखूबी उजागर किया गया है। कई रंगों के ये शीशे जब रोशनी में जगमगाते हैं तो लगता है किसी ने दमकते बेशकीमती रत्नों और आभूषणों की मंजूषा खोल दी है।

जीर्णोद्धार

आज जो शीश महल का निखरा रूप दिखाई देता है, वह 1970 से 1980 के दौरान यहां प्रशासन की ओर से किए गए जीर्णोद्धार के कारण भी है। लेकिन यह दावे से कहा जा सकता है कि अपने निर्माण के समय मौलिक रूप में यह आज से कहीं बेहतर रहा होगा। क्योंकि इसकी सजावट में शीशों के साथ क़ीमती रत्नों का भी प्रयोग किया गया था। शीश महल के चारों ओर की दीवार पर संगमरमर पर की गई कारीगरी भी जादू पैदा करती है। महल की खिड़कियों, झरोखों से 'मावठा झील' और आमेर का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है।


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चित्र वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शीश महल, जयपुर (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 06 अक्टूबर, 2014।
  2. चालीस खम्भों पर टिकी खूबसूरत इमारत (हिन्दी) पिंकसिटी.कॉम। अभिगमन तिथि: 06 अक्टूबर, 2014।

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