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*सुमेरियन लोगों ने 'क्यूनिफार्म लिपि' विकसित की थी। सबसे पहले एक ब्रिटिश अफसर हेनरी रॉलिन्सन ने इसे इसे पढ़ा था। | *सुमेरियन लोगों ने 'क्यूनिफार्म लिपि' विकसित की थी। सबसे पहले एक ब्रिटिश अफसर हेनरी रॉलिन्सन ने इसे इसे पढ़ा था। | ||
*पाइथोगोरस प्रमेय भी मेसोपोटामिया सभ्यता की ही देन है। | *पाइथोगोरस प्रमेय भी मेसोपोटामिया सभ्यता की ही देन है। |
09:49, 22 मार्च 2015 का अवतरण
मेसोपोटामिया
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विवरण | 'मेसोपोटामिया' विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता वाला स्थान है। यह कांस्ययुगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। |
सम्मिलित क्षेत्र | इराक़, उत्तर-पूर्वी सीरिया, दक्षिण-पूर्वी तुर्की तथा ईरान का क़ुज़ेस्तान प्रांत |
संबंधित लेख | हड़प्पामोहनजोदाड़ोचन्हूदड़ोंहड़प्पा समाज और संस्कृतिसिन्धु लिपि |
अन्य जानकारी | मेसोपोटामिया के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। कुम्हार के चाक का प्रयोग सर्वप्रथम इसी सभ्यता में हुआ। |
मेसोपोटामिया (अंग्रेज़ी: Mesopotamia) प्राचीन सभ्यता से जुड़ा एक महत्त्वपूर्ण इलाक़ा है। यह एक कांस्य युगीन सभ्यता थी। यह इलाक़ा दजला[1] और फरात[2] नदियों के बीच के क्षेत्र में पड़ता है। इसमें आधुनिक इराक़, उत्तर-पूर्वी सीरिया, दक्षिण-पूर्वी तुर्की तथा ईरान का क़ुज़ेस्तान प्रांत के क्षेत्र सम्मिलित हैं। मेसोपोटामिया का यूनानी अर्थ है- "दो नदियों के बीच"।
कांस्य युगीन सभ्यता
यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहाँ सुमेर, अक्कदी सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुये थे। मेसोपोटामिया हज़ारों साल तक एक कृषि प्रधान समाज था। उसके बाद ही वह एक आधुनिक राज्य के रूप में उभरा।
विशेषताएँ
- हम्मूराबी बेबीलोन का महान शासक था। उसने 'क़ानून की संहिता' बनाई थी।
- मेसोपोटामिया के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। कुम्हार के चाक का प्रयोग सर्वप्रथम इसी सभ्यता में हुआ।
- सुमेरियन लोगों ने 'क्यूनिफार्म लिपि' विकसित की थी। सबसे पहले एक ब्रिटिश अफसर हेनरी रॉलिन्सन ने इसे इसे पढ़ा था।
- पाइथोगोरस प्रमेय भी मेसोपोटामिया सभ्यता की ही देन है।
- इस सभ्यता के लोग खगोलविद्या में भी निपुण थे। इन लोगों ने दिन और रात की लम्बाई की गणना की तथा सूर्य और चन्द्रमा के उदय व अस्त होने के समय की गणना की।
- यहाँ के खगोलविदों ने एक दिन को 24 घण्टों में बाँटा। उन्होंने आकाश को 12 हिस्सों में बाँटा व प्रत्येक को एक नाम दिया। इन्हें राशियाँ कहा गया। चन्द्र कलैण्डर भी इनके द्वारा बनाया गया।
इन्हें भी देखें: हड़प्पा, मोहनजोदाड़ो, चन्हूदड़ों, हड़प्पा समाज और संस्कृति एवं सिन्धु लिपि
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख