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'''लट्टू''' एक प्रकार का [[खिलौना]] है जिसमें [[सूत]] लपेट कर झटके से खींचने पर वह घूमने या नाचने लगता है।
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==संक्षिप्त परिचय==
 
*इसके बीच में जो कील गड़ी होती है, उसी पर लट्टू चक्कर लगाता है।
 
*इसके बीच में जो कील गड़ी होती है, उसी पर लट्टू चक्कर लगाता है।
 
*यह लट्टू के आकार की गोल रचना वाला होता है।
 
*यह लट्टू के आकार की गोल रचना वाला होता है।
 
*लट्टू [[लकड़ी]] का बना होता है।
 
*लट्टू [[लकड़ी]] का बना होता है।
 
*लट्टू को अक्सर लड़के हाथों पर रस्सी द्वारा नचाते हैं और फिर फर्श पर फेंकते हैं।
 
*लट्टू को अक्सर लड़के हाथों पर रस्सी द्वारा नचाते हैं और फिर फर्श पर फेंकते हैं।
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*एक बार छोड़ने पर लट्टू काफ़ी देर तक घूमता रहता है। गति बहुत कम हो जाने पर ही वह गिरता है। तेज गति से घूमते लट्टू को अगर हल्का-सा छू भी लें तो वह गिरता नहीं। यह सारा कमाल लट्टू की तेज गति के कारण पैदा होने वाली गतिज ऊर्जा का है। एक बार जब कोई वस्तु घूमना शुरू कर देती है तो घर्षण के न होने पर वह घूमती रहती है। लट्टू पर जब धागा कस कर बाँध कर खींचा जाता है, तो यह गोलाई में घूमने लगता है। घूमने के इस काम में लट्टू का संतुलित भार भी मदद करता है। अगर लट्टू का आकार ठीक गोलाई में नहीं हो तो वह घूमता नहीं। घूमते वक्त लट्टू का झुकाव बाहर की ओर होता है, इससे भी घूमने में उसे मदद मिलती है। लट्टू के घूमने की गति जितनी तेज होगी, उसे उतनी ही अधिक ऊर्जा मिलेगी। वह अधिक देर तक घूमेगा। तेज गति वाले लट्टू को रोकना भी उतना ही कठिन होता है। हवा के घर्षण से जब इसकी गति बहुत धीमी हो जाती है, तभी लट्टू गिरता है, तब इसे ऊर्जा जो नहीं मिलती।<ref>{{cite web |url=http://balsansar.blogspot.in/2009/12/blog-post.html |title=घूमता लट्टू गिरता क्यों नहीं? |accessmonthday=12 दिसम्बर |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=बाल संसार |language=हिंदी }}</ref>
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लट्टू

लट्टू एक प्रकार का खिलौना है जिसमें सूत लपेट कर झटके से खींचने पर वह घूमने या नाचने लगता है।

संक्षिप्त परिचय

  • इसके बीच में जो कील गड़ी होती है, उसी पर लट्टू चक्कर लगाता है।
  • यह लट्टू के आकार की गोल रचना वाला होता है।
  • लट्टू लकड़ी का बना होता है।
  • लट्टू को अक्सर लड़के हाथों पर रस्सी द्वारा नचाते हैं और फिर फर्श पर फेंकते हैं।
  • एक बार छोड़ने पर लट्टू काफ़ी देर तक घूमता रहता है। गति बहुत कम हो जाने पर ही वह गिरता है। तेज गति से घूमते लट्टू को अगर हल्का-सा छू भी लें तो वह गिरता नहीं। यह सारा कमाल लट्टू की तेज गति के कारण पैदा होने वाली गतिज ऊर्जा का है। एक बार जब कोई वस्तु घूमना शुरू कर देती है तो घर्षण के न होने पर वह घूमती रहती है। लट्टू पर जब धागा कस कर बाँध कर खींचा जाता है, तो यह गोलाई में घूमने लगता है। घूमने के इस काम में लट्टू का संतुलित भार भी मदद करता है। अगर लट्टू का आकार ठीक गोलाई में नहीं हो तो वह घूमता नहीं। घूमते वक्त लट्टू का झुकाव बाहर की ओर होता है, इससे भी घूमने में उसे मदद मिलती है। लट्टू के घूमने की गति जितनी तेज होगी, उसे उतनी ही अधिक ऊर्जा मिलेगी। वह अधिक देर तक घूमेगा। तेज गति वाले लट्टू को रोकना भी उतना ही कठिन होता है। हवा के घर्षण से जब इसकी गति बहुत धीमी हो जाती है, तभी लट्टू गिरता है, तब इसे ऊर्जा जो नहीं मिलती।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. घूमता लट्टू गिरता क्यों नहीं? (हिंदी) बाल संसार। अभिगमन तिथि: 12 दिसम्बर, 2013।

बाहरी कड़ियाँ

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