"उठ महान -माखन लाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर
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|मृत्यु=[[30 जनवरी]], 1968 ई. | |मृत्यु=[[30 जनवरी]], 1968 ई. | ||
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− | |मुख्य रचनाएँ=कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, | + | |मुख्य रचनाएँ=कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, ग़रीब इरादे |
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<poem> | <poem> | ||
− | उठ महान ! तूने अपना स्वर | + | उठ महान! तूने अपना स्वर, |
− | यों क्यों | + | यों क्यों बेच दिया? |
− | प्रज्ञा दिग्वसना, कि | + | प्रज्ञा दिग्वसना, कि प्राण का, |
पट क्यों खेंच दिया? | पट क्यों खेंच दिया? | ||
− | वे गाये, अनगाये स्वर सब | + | वे गाये, अनगाये स्वर सब, |
− | वे आये, बन आये वर सब | + | वे आये, बन आये वर सब, |
− | जीत-जीत कर, हार गये से | + | जीत-जीत कर, हार गये से, |
प्रलय बुद्धिबल के वे घर सब! | प्रलय बुद्धिबल के वे घर सब! | ||
− | तुम बोले, युग बोला अहरह | + | तुम बोले, युग बोला अहरह, |
− | गंगा थकी नहीं प्रिय बह-बह | + | गंगा थकी नहीं प्रिय बह-बह, |
− | इस घुमाव पर, उस बनाव पर | + | इस घुमाव पर, उस बनाव पर, |
कैसे क्षण थक गये, असह-सह! | कैसे क्षण थक गये, असह-सह! | ||
− | पानी बरसा | + | पानी बरसा, |
− | + | बाग़ ऊग आये अनमोले, | |
− | रंग-रँगी पंखुड़ियों ने | + | रंग-रँगी पंखुड़ियों ने, |
अन्तर तर खोले; | अन्तर तर खोले; | ||
− | पर बरसा पानी ही था | + | पर बरसा पानी ही था, |
वह रक्त न निकला! | वह रक्त न निकला! | ||
सिर दे पाता, क्या | सिर दे पाता, क्या | ||
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प्रज्ञा दिग्वसना? कि प्राण का पट क्यों खेंच दिया! | प्रज्ञा दिग्वसना? कि प्राण का पट क्यों खेंच दिया! | ||
− | उठ महान् तूने अपना स्वर यों क्यों | + | उठ महान् तूने अपना स्वर यों क्यों बेच दिया! |
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09:17, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
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उठ महान! तूने अपना स्वर, |
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