"आसफ़ ख़ाँ (सूबेदार)" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (श्रेणी:नया पन्ना; Adding category Category:मध्य काल (Redirect Category:मध्य काल resolved) (को हटा दिया गया हैं।))
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{बहुविकल्पी|आसफ़ ख़ाँ}}
 
{{बहुविकल्पी|आसफ़ ख़ाँ}}
*आसफ़ ख़ाँ, बादशाह [[अकबर]] (1556-1605 ई.) के शासनकाल के आरम्भ में [[कड़ा]] का सूबेदार था।
+
आसफ़ ख़ाँ, बादशाह [[अकबर]] (1556-1605 ई.) के शासनकाल के आरम्भ में [[कड़ा]] का [[सूबेदार]] था। यह [[अकबर|बादशाह अकबर]] की सेना में उच्चपदस्थ अधिकारी था, जिसकी उपाधि '"अब्दुल मजीद"' थी। सन्‌ 1565 ई. में इन्होंने [[नर्मदा नदी|नर्मदा]] तटवर्ती गढ़कोट ([[बुंदेलखंड]]) पर आक्रमण किया। गढ़कोट की तत्कालीन [[रानी दुर्गावती]] ने ससैन्य इनका मुकाबला किया। किंतु आसफ खां की कूटनीति के कारण रानी की हार हुई। आसफ खां ने योजना बनाई कि रानी को जीवित बंदी बना लिया जाए पर असम्मान के भय से [[रानी दुर्गावती]] ने तलवार से स्वयं अपनी गर्दन काट डाली। आसफ खाँ ने रानी की संपत्ति एवं धनराशि को अकेले हड़पने की चेष्टा की लेकिन भेद खुल गया और आसफ खाँ को विद्रोह करना पड़ा।
*1564 ई. में उसने अकबर के आदेश से [[गोंडवाना]] का राज्य जीता, जो आधुनिक मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में था।
+
*1564 ई. मेंआसफ खाँ ने [[अकबर]] के आदेश से [[गोंडवाना]] का राज्य जीता, जो आधुनिक मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में था।
*उसने गोंडवाना की शासिका रानी [[दुर्गावती]] और उसके नाबालिग पुत्र राजा [[वीरनारायण]] को हटाया।
 
 
*कुछ समय आसफ़ ख़ाँ ने नये विजित क्षेत्र का प्रशासन चलाया, लेकिन बाद में वहाँ से उसका तबादला कर दिया गया।
 
*कुछ समय आसफ़ ख़ाँ ने नये विजित क्षेत्र का प्रशासन चलाया, लेकिन बाद में वहाँ से उसका तबादला कर दिया गया।
*1576 ई. में उसे राजा [[मानसिंह]] के साथ उस [[मुग़ल]] सेना का सेनापति बनाकर भेजा गया, जिसने [[राणा प्रताप]] को [[हल्दीघाटी]] के युद्ध में अप्रैल 1576 में पराजित किया था।
+
*1576 ई. में उसे राजा [[मानसिंह]] के साथ उस [[मुग़ल]] सेना का सेनापति बनाकर भेजा गया, जिसने [[राणा प्रताप]] को [[हल्दीघाटी]] के युद्ध में अप्रैल 1576 में पराजित किया था। बाद में इन्होंने चित्तोड़ पर विजय प्राप्त की और इसके उपलक्ष्य में इन्हें वहां जागीर मिली।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=461 |url=}}</ref>
  
{{प्रचार}}
+
 
{{लेख प्रगति
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
|आधार=आधार1
 
|प्रारम्भिक=
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 +
==संबंधित लेख==
 +
{{मध्य काल}}
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
 
[[Category:मध्य काल]]
 
[[Category:मध्य काल]]
 +
[[Category:इतिहास कोश]]
 +
[[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]

11:18, 24 जून 2018 के समय का अवतरण

आसफ़ ख़ाँ, बादशाह अकबर (1556-1605 ई.) के शासनकाल के आरम्भ में कड़ा का सूबेदार था। यह बादशाह अकबर की सेना में उच्चपदस्थ अधिकारी था, जिसकी उपाधि '"अब्दुल मजीद"' थी। सन्‌ 1565 ई. में इन्होंने नर्मदा तटवर्ती गढ़कोट (बुंदेलखंड) पर आक्रमण किया। गढ़कोट की तत्कालीन रानी दुर्गावती ने ससैन्य इनका मुकाबला किया। किंतु आसफ खां की कूटनीति के कारण रानी की हार हुई। आसफ खां ने योजना बनाई कि रानी को जीवित बंदी बना लिया जाए पर असम्मान के भय से रानी दुर्गावती ने तलवार से स्वयं अपनी गर्दन काट डाली। आसफ खाँ ने रानी की संपत्ति एवं धनराशि को अकेले हड़पने की चेष्टा की लेकिन भेद खुल गया और आसफ खाँ को विद्रोह करना पड़ा।

  • 1564 ई. मेंआसफ खाँ ने अकबर के आदेश से गोंडवाना का राज्य जीता, जो आधुनिक मध्य प्रदेश के उत्तरी भाग में था।
  • कुछ समय आसफ़ ख़ाँ ने नये विजित क्षेत्र का प्रशासन चलाया, लेकिन बाद में वहाँ से उसका तबादला कर दिया गया।
  • 1576 ई. में उसे राजा मानसिंह के साथ उस मुग़ल सेना का सेनापति बनाकर भेजा गया, जिसने राणा प्रताप को हल्दीघाटी के युद्ध में अप्रैल 1576 में पराजित किया था। बाद में इन्होंने चित्तोड़ पर विजय प्राप्त की और इसके उपलक्ष्य में इन्हें वहां जागीर मिली।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 461 |

संबंधित लेख