फ़ैज़ी

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  • फ़ैज़ी शेख़ मुबारक़ नागौरी का पुत्र और अबुल फ़ज़ल का बड़ा भाई था।
  • मध्यकालीन भारत का वह एक विद्वान् साहित्यकार और प्रसिद्ध फ़ारसी कवि था।
  • वह अकबर के नवरत्नों में से एक था, जिसका मुग़ल साम्राज्य में बहुत मान-सम्मान था।
  • फ़ैज़ी का पूरा नाम 'शेख अबु अल फ़ैज़' था।
  • फ़ैज़ी का पिता शेख़ मुबारक़ नागौरी सिंध प्रदेश के सिस्तान, सहवान के पास एक सिंधी, शेख़ मूसा की पीढ़ी से सम्बन्ध रखता था।
  • शेख़ नागौरी सभी लोगों से समानता का व्यवहार करते थे। उन्होंने शिया और सुन्नी में कभी कोई भेद नहीं किया।
  • फ़ैज़ी ने अपनी शिक्षा काफ़ी हद तक अपने पिता शेख़ नागौरी से ही प्राप्त की थी।
  • 1567 ई. में फ़ैज़ी पहली बार अकबर से मिला था।
  • अकबर ने पहले से ही फ़ैज़ी के बारे में बहुत सुन रखा था, इसीलिए उसने फ़ैज़ी की अपने दरबार में बहुत आव-भगत की।
  • सम्राट अकबर ने फ़ैज़ी को गणित के शिक्षक के रूप में अपने बेटे के लिए नियुक्त किया था।
  • 27 जून 1579 को पहली बार अकबर ने पुलपिट पर खड़े होकर जो ख़ुतबा पढ़ा था, उसकी रचना फ़ैज़ी ने ही की थी।
  • इसके बाद ही अकबर ने नये धर्म का प्रवर्तन किया था, जो कि 'दीन-ए-इलाही' के नाम से विख्यात हुआ।
  • 1591 ई. में अकबर ने फ़ैज़ी को ख़ानदेश और अहमदनगर अपना दूत बनाकर भेजा।
  • वह ख़ानदेश को अधीन करने में सफल हुआ, लेकिन अहमदनगर में उसे सफलता नहीं प्राप्त हुई। इस प्रकार राज दौत्यकर्म में उसे आंशिक सफलता प्राप्त हुई।
  • फ़ैज़ी की 1595 ई. में उसकी मृत्यु हो गई थी।


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