इंसाफ़ की ज़ंजीर मुग़ल बादशाह जहाँगीर द्वारा 1605 ई. में सिंहासनारूढ़ होने के तत्काल बाद लटकवायी गयी थी।
- इस ज़ंजीर में 60 घण्टियाँ थीं। यह आगरा के क़िले में शाहबुरजी और यमुना नदी के तट पर स्थित एक पाषाण स्तम्भ के बीच स्थित थी।
- किसी फ़रियादी द्वारा ज़ंजीर खींचने से सभी घण्टियाँ बज उठती थीं।
- इंसाफ़ की ज़ंजीर द्वारा जहाँगीर की प्रजा का छोटे-से-छोटा प्राणी भी अपनी शिकायत सीधे सम्राट तक पहुँचा सकता था। इससे प्रजा के प्रति जहाँगीर के प्रेम और उसकी न्यायप्रियता का संकेत मिलता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 49 |