इरफ़ान हबीब
इरफ़ान हबीब
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पूरा नाम | इरफ़ान हबीब |
जन्म | 12 अगस्त, 1931 |
अभिभावक | पिता- मोहम्मद हबीब |
पति/पत्नी | सायरा हबीब |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | अध्यापन तथा इतिहास लेखन |
विद्यालय | ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ युनिवर्सिटी |
पुरस्कार-उपाधि | वतोमल इनाम (1982), पद्म भूषण (2005), यश भारती (2016) |
प्रसिद्धि | इतिहासकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | इरफ़ान हबीब ने 1556-1707 एग्रेरियन सिस्टम ऑफ़ मुग़ल इंडिया (Agrarian System of Mughal India) सहित कई किताबें लिखी हैं। |
बाहरी कड़ियाँ | 15:35, 23 दिसम्बर 2020 (IST)
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इन्हें भी देखें | कवि सूची, साहित्यकार सूची |
इरफ़ान हबीब (अंग्रेज़ी: Irfan Habib, जन्म- 12 अगस्त, 1931) भारतीय इतिहासकार हैं। वह काफ़ी समय तक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से जुड़े रहे हैं। प्राचीन और मध्यकालीन भारत के इतिहास पर उनका अध्ययन मुख्यत: रहा है। इरफ़ान हबीब ने प्राचीन भारत के ऐतिहासिक भूगोल, भारतीय प्रौद्योगिकी के इतिहास, मध्यकालीन प्रशासनिक और आर्थिक इतिहास, उपनिवेशवाद और भारत पर इसके प्रभाव और इतिहास लेखन पर काम किया है। भारत सरकार द्वारा 2005 में इरफ़ान हबीब को 'पद्म भूषण' प्रदान किया गया।
परिचय
इरफ़ान हबीब का जन्म 12 अगस्त, 1931 को भारतीय मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता मोहम्मद हबीब मार्क्सवादी इतिहासकार और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के विचारक थे। इरफ़ान हबीब की पत्नी सायरा हबीब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर थीं। वहीं इरफ़ान हबीब के दादा मोहम्मद नसीम बैरिस्टर और कांग्रेस के सदस्य थे। इरफ़ान हबीब के तीन बेटे और एक बेटी है। इरफ़ान हबीब ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। वहां से लौटकर एएमयू में शिक्षक बन गए।[1]
लेखन कार्य
साल 1969-1991 तक अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में वह इतिहास के प्रोफेसर थे। उन्होंने प्राचीन और मध्य भारत के इतिहास पर अध्ययन किया है। वह हिंदुत्व और मुस्लिम सांप्रदायिकता के खिलाफ कड़े रुख के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने 1556-1707 एग्रेरियन सिस्टम ऑफ़ मुग़ल इंडिया (Agrarian System of Mughal India) सहित कई किताबें लिखी हैं।
इरफ़ान हबीब ने प्राचीन भारत के ऐतिहासिक भूगोल, भारतीय प्रौद्योगिकी के इतिहास, मध्यकालीन प्रशासनिक और आर्थिक इतिहास, उपनिवेशवाद और भारत पर इसके प्रभाव और इतिहास लेखन पर काम किया है। अमिया कुमार बागची ने उनको "भारत के दो सबसे प्रमुख मार्क्सवादी इतिहासकारों में से एक" के रूप में वर्णित किया है। साथ ही बारहवीं और अठारहवीं शताब्दी के बीच भारत के सबसे महान जीवित मार्क्सवादी इतिहासकारों में से एक कहा है।
सम्मान व पुरस्कार
- जवाहरलाल नेहरू फेलोशिप (1968)
- वातुमुल पुरस्कार (1982, संयुक्त रूप से तपन राय चौधरी के साथ)
- पद्म भूषण (2005)
- यश भारती (2016)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ Who is Irfan Habib? (हिंदी) aajtak.in। अभिगमन तिथि: 23 दिसंबर, 2020।
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