कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
| |
विवरण | 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' मध्य प्रदेश राज्य में स्थित मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है। इस अभयारण्य में दुर्लभ बारहसिंगा भी पाया जाता है, जो सम्पूर्ण विश्व में और कहीं नहीं मिलता। |
राज्य | मध्य प्रदेश |
ज़िला | मंडला और बालाघाट |
स्थापना | 1935 |
कब जाएँ | 16 अक्टूबर से 30 जून |
जबलपुर और नागपुर | |
जबलपुर | |
संबंधित लेख | मध्य प्रदेश, बाघ, बारहसिंगा
|
अन्य जानकारी | अभयारण्य के पर्यटन क्षेत्र में सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच पर्यटकों को अनुमति दी जाती है। मानसून के मौसम में 1 जुलाई से 15 अक्टूबर तक यह उद्यान बन्द रखा जाता है। |
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है। यह मुख्यत: एक बाघ अभयारण्य है, जो 2051.74 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभयारण्य का मूल्यांकन एशिया के सबसे अच्छे उद्यान के रूप में होता । 'कान्हा अभयारण्य' में घास के मैदान, साल के पेड़ और बांस के जंगल, वन्यजीवन के लिए मानो स्वर्ग हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान में बाघ का मुक्त संचार है, जो अभयारण्य के उद्देश्य को सफल साबित करता है। इस अभयारण्य में दुर्लभ बारहसिंगा भी पाया जाता है, जो सम्पूर्ण विश्व में और कहीं नहीं मिलता। वन्य जीवों के साथ-साथ इस अभयारण्य में पक्षियों की 300 से भी अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
स्थिति
वन्य जीवन की सभी आश्चर्यजनक विविधता के साथ 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' बाघ के निवास के लिए विशेष रूप में जाना जाता है। मध्य भारत मे ऊंचाईं पर बसा यह सबसे ख़ूबसूरत स्थान मंडला और बालाघाट ज़िलों में स्थित है। सन 1935 से आज तक देश के सबसे पुराने अभयारण्यों में से एक होने के साथ इस स्थान के वन्य जीवन के संरक्षण का एक लंबा इतिहास रहा है, जो वास्तव में गर्व की बात है। विश्व पर्यटन के नक्शे पर इस राष्ट्रीय उद्यान ने अपनी एक जगह बना ली है। बाघों के साथ बारसिंगा भी यहाँ का अनमोल रत्न है। किसी समय विलुप्त होने की दहलीज पर खडा दुर्लभ बारहसिंगा अब कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में अपने प्राकृतिक निवास स्थान में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।[1]
वनमंडल
इस अभयारण्य के दो वनमंडल हैं-
- कोर क्षेत्र
- बफ़र क्षेत्र
'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' का यह बाघ अभयारण्य 2051.74 वर्ग कि.मी. पर फैला है, जिसमें 917.43 वर्ग कि.मी. कोर, 1134.31 वर्ग कि.मी. बफ़र जोन और 110.74 वर्ग कि.मी. उपग्रह मिनीकोर क्षेत्र शामिल हैं। बाघ अभयारण्य के कोर क्षेत्र में मानवी गतिविधियाँ प्रतिबंधित की गई हैं और यहाँ बाघ को आजाद माहौल में घूमते हुए देखा जा सकता है। 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' रेखांश 80 26 10 से 81 4 40 के बीच और अक्षांश 80 1 5 से 81 27 48 के बीच स्थित है।
जीव-जंतु
इस राष्ट्रीय उद्यान से बंजर और हेलॉन नदियाँ बहती हैं, जिनमें से हेलॉन बारहमासी है। यहाँ बनाई गई कई टंकीयाँ और बाँध भी वन्य जीवन के लिए पानी की आपूर्ति के प्रमुख स्रोत हैं। उद्यान के अंदर फैला हुआ वन प्रमुखता से उष्ण कटिबंधीय नम पर्णपाती प्रकार का है। कान्हा में स्तनधारियों की 22 प्रजातियाँ है। यहाँ के अन्य निवासियों में चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, बारहसिंगा, काले हिरण, नील गाय और गौर जैसी हिरण और मृग की प्रजातियाँ पायी जाती हैं। अन्य निवासियों में सुस्त भालू तथा जंगली कुत्तें, सियार और धारीदार लकड़बग्घें जैसे शिकारी शामिल हैं।[1]
पक्षी
यहाँ पक्षियों की 300 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें मोर, इग्रेट (एक प्रकार के काले पक्षी), गाने वाले पक्षी, हरे कबूतर, गरुड़, बाज़, पेड़ पाई आदि शामिल है। जल पक्षियों को उद्यान में कई नाले और पूलों के पास देखा जा सकता है। यह उद्यान 16 अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहता है। फ़रवरी और जून के बीच की अवधि कान्हा की यात्रा का आदर्श समय होता है। मानसून के मौसम में 1 जुलाई से 15 अक्टूबर तक यह उद्यान बन्द रखा जाता है।
कैसे पहुँचें
मंडला और जबलपुर शहर से सड़क मार्ग द्वारा 'कान्हा राष्ट्रीय उद्यान' तक पहुँचा जा सकता है। इस बाघ अभयारण्य में प्रवेश के लिए खतियाँ (किसली से 3 कि.मी. और मंडला से 68 कि.मी.); मंडला और मुक्की की ओर (बालाघाट से 82 कि.मी.); तथा बालाघाट और सर्ही की ओर (जबलपुर से 150 कि.मी.) यह तीन प्रवेश द्वार हैं। साथ ही जबलपुर एक सुविधाजनक रेल स्थानक रहेगा। जबलपुर और नागपुर में निकटतम हवाई अड्डे स्थित हैं। जबलपुर से किसली और मुक्की तक तथा वहाँ से वापसी के लिए दैनिक बस सेवा उपलब्ध है। अभयारण्य के पर्यटन क्षेत्र में सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच पर्यटकों को अनुमति दी जाती है।[1]
|
|
|
|
|
वीथिका
-
बाघ, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
-
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
-
हिरन, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
-
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 कान्हा बाघ अभयारण्य (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 जुलाई, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख