28 दिसम्बर, 2018 को भारत के केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मिशन गगनयान को मंज़ूरी दे दी है। इसके लिए कैबिनेट ने 10,000 करोड़ रुपये के बजट को भी मंजूरी दे दी है। इस मिशन में तीन अन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष में 5-7 दिनों के लिए अन्तरिक्ष में भेजा जायेगा। भारत ऐसा कारनामा करने वाला चौथा देश बनेगा।
मिशन के मुख्य बिंदु
गगनयान मिशन की लागत लगभग 10,000 करोड़ रुपये आएगी। यह मिशन पूर्ण रूप से स्वदेशी होगा। इस मिशन के वास्तविक लांच से पहले इसरो बिना मानव के दो मिशन लांच करेगा, पहला मिशन 30 महीने में तथा दूसरा मिशन 36 महीने बाद लांच किया जायेगा।
चरण
गगनयान मिशन के लिए GLSV Mk-III लांच व्हीकल का उपयोग किया जायेगा। मिशन गगनयान के स्पेस क्राफ्ट में एक क्रू मोड्यूल तथा एक सर्विस मोड्यूल होगा। इसका भार लगभग 7 टन होगा। इस मिशन में तीन अन्तरिक्ष यात्रियों को 5-7 दिन के लिए अन्तरिक्ष में भेजा जायेगा। इस स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की कक्षा में 300-400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जायेगा। क्रू मोड्यूल का आकार 3.7 मीटर तथा सर्विस मोड्यूल का आकार 7 मीटर होगा।
परिक्रमा
इस मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस पोर्ट से लांच किया जायेगा। यह स्पेसक्राफ्ट 16 मिनट में अपेक्षित ऊंचाई पर पहुँच जायेगा। इस मिशन के लिए क्रू का चयन भारतीय वायुसेना व इसरो द्वारा संयुक्त रूप से किया जायेगा। बाद में इस क्रू को 2-3 साल तक प्रशिक्षण दिया जायेगा।
वापसी
वापसी के लिए मोड्यूल के वेग को कम किया जाएगा और इसे विपरीत दिशा में घुमाया जायेगा। जब यह पूरा मोड्यूल पृथ्वी की सतह से 120 किलोमीटर की दूरी पर पहुंचेगा तो सर्विस मोड्यूल को अलग किया जायेगा। केवल क्रू वाला मोड्यूल ही पृथ्वी पर पहुंचेगा। इसे पृथ्वी पर पहुँचने में लगभग 36 मिनट लगेंगे। इसरो क्रू मोड्यूल को गुजरात के निकट अरब सागर अथवा गुजरात की खाड़ी में लैंड करवाने की योजना बना रहा है।
- इस मिशन को भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस से लगभग 6 महीने पहले क्रियान्वित किया जायेगा।
गगनयान के लिए इसरो द्वारा विकसित तकनीक
इसरो अन्तरिक्ष में मानव भेजने के लिए महत्वपूण तकनीकों का परीक्षण कर रहा है। इस मिशन को 10,000 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जायेगा। इसके लिए कई उपकरण तैयार किये जा चुके हैं। इसके लिए हैवी लिफ्ट लांच व्हीकल GSLV मार्क-III, रिकवरी टेक्नोलॉजी, क्रू मोड्यूल, अन्तरिक्ष यात्री प्रशिक्षण व्यवस्था, वातावरण नियंत्रण तथा लाइफ सपोर्ट सिस्टम का सफलतापूर्वक निर्माण कर लिया गया है।
- दिसम्बर, 2014 में GSLV मार्क-III का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।
- इसके बाद जून 2017 में GSLV मार्क-III की पहली डेवलपमेंटल उड़ान सफलतापूर्वक भरी थी।
- जुलाई, 2018 में क्रू एस्केप सिस्टम का परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया था।
- अभी भी कुछ एक टेक्नोलॉजी व उपकरणों का निर्माण किया जाना बाकी है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
- गगनयान मिशन: इसरो ने भारत के मानव अंतरिक्ष अंतरिक्ष मिशन के लिए योजनाओं का अनावरण किया
- मिशन 'गगनयान' को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी मंजूरी, अंतरिक्ष में भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजेगा इसरो
- गगनयान से अंतरिक्ष भेजे जाने वाले भारतीय कैसे चुने जाएंगे?
संबंधित लेख