चार दिन -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’

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चार दिन -वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’
जन्म 18 अगस्त, 1968
जन्म स्थान किशनगढ़, छतरपुर, मध्यप्रदेश
मुख्य रचनाएँ शेष बची चौथाई रात (ग़ज़ल संग्रह), सुबह की दस्तक (ग़ज़ल-गीत संग्रह), अंगारों पर शबनम (ग़ज़ल संग्रह)
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ


आराम के, सुकून के राहत के चार दिन
या रब अता हों तेरी इनायत के चार दिन

अब ये न पूछ कैसे कटे हैं तेरे बग़ैर
कट ही गए हैं तेरी ज़रूरत के चार दिन

पगले तू ज़िन्दगी के किसी काम का नहीं
भारी पड़े हैं तुझको मुसीबत के चार दिन

मर्ज़ी किसी से वक़्त ने पूछी कहाँ कभी
किसको मिले हैं अपनी तबीयत के चार दिन

मुजरिम समझ के दे दे सज़ा या बरी ही कर
बहला न मुझको देके ज़मानत के चार दिन

दर्दों का दौर ख़त्म भी होगा, यक़ीन रख
होते कहाँ हैं एक सी सूरत के चार दिन

ये तो बता ‘अकेला’ जो गुज़रे सुकून से
ख़्वाबों के थे या थे वो हक़ीक़त के चार

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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