भाई धर्मसिंह (जन्म- 1666 ई., सैफपुर, हस्तिनापुर; मृत्यु- 1708 ई., नानदेव साहिब) सिक्ख धर्म में प्रसिद्ध 'पंच प्यारे' में से एक थे, जिन्हें सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु गोविन्द सिंह ने चुना था।
- भाई धर्मसिंह मूलत: जाट समुदाय के थे। उनका वास्तविक नाम 'धर्म दास' था। वह भाई संतराम और माई सबहो के पुत्र थे।
- सैफपुर-करमचंद, हस्तिनापुर में 1666 में भाई धर्मसिंह का जन्म हुआ था। ये काफ़ी धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे।
- धर्मसिंह जी ने सिक्ख धर्म को उस समय पेश किया, जब वह मात्र 13 वर्ष के थे।
- गुरु गोविन्द सिंह ने अपने शिष्यों में से उन पाँच लोगों का नाम पूछा था, जो उनके कारण अपना आत्म-बलिदान करने को तैयार हो जाएँ। 'पंच प्यारे' को ही पहले समूह में सिक्खों के वफादारों के रूप में जाना जाता है। इन्हीं पाँच स्वंय सेवकों में से एक भाई धर्मसिंह भी थे।
- अपना अधिकतर समय भाई धर्मसिंह ने ज्ञान प्राप्ति की खोज में बिताया।
- 42 साल की उम्र में 1708 ई. में भाई धर्मसिंह का देहावसान गुरुद्वारा नानदेव साहिब में हुआ।
- हस्तिनापुर में भाई धर्मसिंह की स्मृति में स्थापित "भाई धर्मसिंह गुरुद्वारा" को सिक्ख समुदाय के सबसे पवित्र केंद्रों में से एक माना जाता है।
|
|
|
|
|