जब से होश संभाला
यही सुनते रहे,
यही पढ़ते रहे,
जब भी भारत का परिचय दिया
यही कहने को कहा गया,
यही कहते रहे ...
जय जवान, जय किसान
कि भारत जवानों का देश है
कि भारत किसानों का देश है...!
कई मौके आए जब देखा
कि भारत कैसे जवानों का देश है !
मगर,
जीवन के तकरीबन
साठ बासठ साल बिताने के बाद,
इस साल देखा है ...
कि भारत सही मायनों में,
दहकानों का देश है,
काश्तकारों का देश है,
किसानों का देश है।
ये हलधर हैं, बलबीर हैं,
बलदाऊ हैं, बलराम हैं,
टकराने वालो, याद रहे,
कि संग खड़े घनश्याम हैं...
ये धूप, आग, आंधी, पानी सहनेवाले,
ये थोड़ा लेकर कितना कुछ देनेवाले,
हक पर इनके जो गिरा सियासी कुठार है,
कुछ नहीं मांगने वालों का,
सदियों से देनेवालों का
आहत, लथपथ अधिकार है...
भारत का नायक रोता है,
तो देखो, अब क्या होता है !
नीलम प्रभा