रदीफ़ वह समांत शब्द अथवा शब्द समूह है जो मतले के दोनों मिसरों के अंत में आता है तथा अन्य अश'आर के मिसरा-ए-सानी अर्थात दूसरी पंक्ति के अंत में आता है और पूरी ग़ज़ल में एक सा रहता है।
- उदाहरण
आग के दरमियान से निकला
मैं भी किस इम्तिहान से निकला
चाँदनी झांकती है गलियों में
कोई साया मकान से निकला - (शकेब जलाली)[1]
प्रस्तुत अश'आर में से 'निकला' रदीफ़ है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ (हिंदी) open books online। अभिगमन तिथि: 23 फ़रवरी, 2013।
बाहरी कड़ियाँ
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