लागत समीर लँक लहकै समूल अँग , फूल से दुकूलनि सुगँध बिथुरयो परै । इन्दु सो बदन मँद हास सुधा बिँदु , अरबिँदु ज्योँ मुदित मकरँदनि मुरयो परै । ललित ललार श्रम झलक अलक भार , मग मे धरत पगु जावक घुरयो परै । देव मनि नूपुर पदुम पद दूपुर ह्वै , भू पर अनूप रँग रूप निचुरयो परै ।