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- ख़ज़ाइन-उल-फ़ुतूह
- ख़ज़ाइन उल फ़ुतूह
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- ख़ज़ीन
- ख़तम करना
- ख़तरनाक मोड़
- ख़तरे की घंटी
- ख़तरे से खाली न होना
- ख़त्म हुई बारिशे संग -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़दीजा
- ख़फ़ी ख़ाँ
- ख़बर उड़ना
- ख़बर करना
- ख़बर तक न करना
- ख़बर तक न देना
- ख़बर देना
- ख़बर रखना
- ख़बर है दोनों को -अना क़ासमी
- ख़बरों में रहना
- ख़म खाना
- ख़मियाज़ा उठाना
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- ख़याल से उतर जाना
- ख़याली पुलाव पकाना
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- ख़लीफ़ा की खोपड़ी -अशोक चक्रधर
- ख़लीफा
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- ख़लील जिब्रान
- ख़लील जिब्रान के अनमोल वचन
- ख़लील धनतेजवि
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- ख़ाक उड़ाना
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- ख़ाक में मिला देना
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- ख़ाकी (बहुविकल्पी)
- ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया -दाग़ देहलवी
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- ख़ामोश रात की तन्हाई में -फ़िरदौस ख़ान
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- ख़ुदा लगती कहना
- ख़ुदा वो वक़्त न लाये -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़ुदा वो वक़्त न लाये कि सोगवार -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- ख़ुदाबक़्श पुस्तकालय
- ख़ुद्दारियों के ख़ून को -साहिर लुधियानवी
- ख़ुमार बाराबंकवी
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- ख़ुर्द ज़िला
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- ख़ुशी के मारे
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- ख़ूँटे से बाँध देना
- ख़ून
- ख़ून-ख़राबा होना
- ख़ून उबलना
- ख़ून करना
- ख़ून कराना
- ख़ून का घूँट पीकर रह जाना
- ख़ून का प्यासा होना
- ख़ून का रिश्ता
- ख़ून की नदियाँ बहाना
- ख़ून की नदी बहाना
- ख़ून की होली जो खेली -सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला
- ख़ून के आँसू रोना
- ख़ून के हाथ रँगना
- ख़ून ख़ुश्क होना
- ख़ून गर्म होने लगना
- ख़ून चूसना
- ख़ून पसीना एक कर देना
- ख़ून पसीने की कमाई
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- ख़ून पीना
- ख़ून फिर ख़ून है -साहिर लुधियानवी
- ख़ून बहाना
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- ख़ून सिर पर चढ़ना या सवार होना
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- ख़ूब हँसे मस्तान मियाँ -शिवकुमार बिलगरामी
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