विश्व साइकिल दिवस
विश्व साइकिल दिवस
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विवरण | साइकिल की विशेषता और बहुमुखी प्रतिभा को पहचानने के लिए पूरी दुनिया में 'विश्व साइकिल दिवस' मनाया जाता है |
तिथि | 3 जून |
शुरुआत | 3 जून, 2018 |
उद्देश्य | दैनिक जीवन में साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय बनाना। |
अन्य जानकारी | नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम में 40% लोग काम पर जाने के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं, यह संख्या विश्व में सर्वाधिक है। |
विश्व साइकिल दिवस (अंग्रेज़ी: World Bicycle Day) प्रतिवर्ष 3 जून को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा पहला आधिकारिक विश्व साइकिल दिवस 3 जून, 2018 को परिवहन के एक सरल, किफायती, भरोसेमंद, स्वच्छ और पर्यावरणीय रूप से फिट टिकाऊ साधनों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया गया था। इसका उद्देश्य दैनिक जीवन में साइकिल के उपयोग को लोकप्रिय बनाना है।
पृष्ठभूमि
2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी। विश्व साइकिल दिवस मनाये जाने के लिए अमेरिका के मोंटगोमेरी कॉलेज के प्रोफेसर लेस्ज़ेक सिबिल्सकी और उनकी सोशियोलॉजी की कक्षा ने याचिका की थी। बाद में प्रोफेसर सिबिल्सकी तथा उनकी कक्षा ने सोशल मीडिया के द्वारा इसका काफी प्रचार किया और 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया। इस अभियान को तुर्कमेनिस्तान समेत 56 देशों का सहयोग प्राप्त हुआ।[1]
हर साल विश्व साइकिल दिवस विकास रणनीतियों के मुद्दों को पार पाने, साइकिल पर विशेष ध्यान देने और सड़क सुरक्षा में सुधार करने के साथ-साथ इसे स्थायी गतिशीलता और परिवहन बुनियादी ढांचे की योजना और डिजाइन में एकीकृत करने के लिए सदस्य राष्ट्रों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जा रहा है। इसके अलावा इसका उद्देश्य समुदाय के सभी वर्गों के बीच साइकिल को बढ़ावा देना भी है।
महत्व
साइकिल परिवहन का स्वच्छ तथा सस्ता माध्यम है, इससे किसी भी किस्म का पर्यावरण प्रदूषण नहीं होगा और यह फिटनेस की दृष्टि से भी उपयोगी है। इससे देशों को कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायता मिलेगी।
रोचक तथ्य
एम्स्टर्डम (नीदरलैंड की राजधानी) में 40% लोग काम पर जाने के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं, यह संख्या विश्व में सर्वाधिक है।
साइकिल का इतिहास
- यूरोपीय देशों में साइकिल के प्रयोग का विचार 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ही लोगों के दिमाग में आ चुका था। हालांकि सर्वप्रथम साल 1816 में पेरिस के एक कारीगर ने इसे मूर्तरूप दिया। इसे हॉबी हॉर्स यानी काठ का घोड़ा कहा गया।
- पैर से घुमाए जाने वाले पैडल युक्त पहिए का आविष्कार साल 1865 में पेरिस के लाले मेंट ने किया। इसे वेलॉसिपीड कहा गया। इसे चलाने पर बहुत थकावट होने के कारण इसे हाड़तोड भी कहा जाने लगा।
- वेलॉसिपीड के लोकप्रिय होने और मांग बढ़ने के कारण इंग्लैंड, फ्रांस और अमेरिका के यंत्र निर्माताओं ने इसमें बहुत सारे सुधार किए और साल 1872 में एक सुंदर रूप दे दिया। इसमें लोहे की पतली पट्टी के तानयुक्त पहिए लगाए गए। आगे का पहिया 30 इंच से लेकर 64 इंच व्यास तक और पीछे का पहिया लगभग 12 इंच के व्यास का होता था। इसमें क्रैंकों के अतिरिक्त गोली के वेयरिंग और ब्रेक भी लगाए गए थे। यह आधुनिक साइकिल कहा गया। आज दुनिया भर में कई तरह के साइकिल उपलब्ध हैं।
- भारत में साइकिल के पहियों ने आर्थिक तरक्की में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आजादी के बाद कई दशकों तक साईकिल यातायात का जरूरी हिस्सा रही। 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल थी। यह महत्वपूर्ण और किफायती साधन था।
- गांवों में किसानों के लिए मंडियों तक फसलों को पहुंचाने का साधन रहा, जो आज भी है। दूध बिक्रेताओं के लिए यह आज भी महत्वपूर्ण साधन है। वहीं मजदूरों के लिए यह बड़े काम का वाहन है।
- भारतीय डाक विभाग का तो पूरा तंत्र ही साइकिल से चलता था। आज भी डाकिया साइकिल से चिट्ठियां बांटते हैं।[2]
लाभ
- हर दिन आधा घंटा साइकिल चलाने से मोटापा खासकर पेट की चर्बी कम होती है।
- हर दिन सुबह के समय साइकिल चलाने से ताजी हवा भी मिलती है और आपकी फिटनेस बनी रहती है।
- विशेषज्ञ बताते हैं कि साइकिल चलाने से इम्यून सिस्टम भी अच्छा रहता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़, साइकिल चलाने से इम्यून सेल्स एक्टिव हो जाते हैं और बीमारी का खतरा कम हो जाता है।
- एक शोध के अनुसार रोजाना 30 मिनट साइकिल चलाने वाले व्यक्ति का दिमाग साधारण व्यक्ति के मुकाबले ज्यादा एक्टिव रहता है और ब्रेन पाॅवर भी 15 से 20 फीसदी ज्यादा बढ़ता है।
- साइकिल यातायात का बहुत ही सस्ता साधन है। इसमें डीजल या पेट्रोल नहीं लगता और सेहत भी बनी रहती है। इससे प्रदूषण नहीं फैलता, इसलिए यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विश्व साइकिल दिवस (हिंदी) hindi.gktoday.in। अभिगमन तिथि: 03 जून, 2020।
- ↑ विश्व साइकिल दिवस (हिंदी) amarujala.com। अभिगमन तिथि: 03 जून, 2020।