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*[[प्रद्युम्न]] के पुत्र तथा [[कृष्ण]] के पौत्र अनिरुद्ध की पत्नी के रूप में [[उषा]] की ख्याति है।   
==उषा-अनिरुद्ध / Usha-Anirudh==
*वह शोणितपुर के राजा वाणासुर की कन्या थी। [[पार्वती देवी|पार्वती]] के वरदान से उषा ने स्वप्न में अनिरुद्ध के दर्शन किये तथा उन पर रीझ गयी।  
*[[प्रद्युम्न]] के पुत्र तथा [[कृष्ण]] के पौत्र अनिरूद्ध की पत्नी के रूप में [[उषा]] की ख्याति है।   
*वह शोणितपुर के राजा वाणासुर की कन्या थी। [[पार्वती]] के वरदान से उषा ने स्वप्न में अनिरूद्ध के दर्शन किये तथा उन पर रीझ गयी।  
*उषा की मनोदशा जानकर चित्रलेखा ने अनेक राजकुमारों के चित्र के साथ उनका भी चित्र निर्मित किया।  
*उषा की मनोदशा जानकर चित्रलेखा ने अनेक राजकुमारों के चित्र के साथ उनका भी चित्र निर्मित किया।  
*उषा ने हावभाव द्वारा चित्रलेखा के सामने प्रकट कर दिया कि अनिरूद्ध ही उसका प्रेम-पात्र है।  
*उषा ने हावभाव द्वारा चित्रलेखा के सामने प्रकट कर दिया कि अनिरुद्ध ही उसका प्रेम-पात्र है।  
*चित्रलेखा ने योग बल से सुप्तावस्था में उनका अपहरण किया और दोनों का गान्धर्व-विवाह कराकर चार मास तक दोनों को गुप्त स्थान में रखा।  
*चित्रलेखा ने योग बल से सुप्तावस्था में उनका अपहरण किया और दोनों का गान्धर्व-विवाह कराकर चार मास तक दोनों को गुप्त स्थान में रखा।  
*वाण को सेवकों द्वारा जब यह रहस्य ज्ञात हुआ तो उसने अनिरूद्ध को पकड़ने के लिए उन्हे भेजा किन्तु अनिरूद्ध ने उन सबको गदा से मार गिराया।  
*वाण को सेवकों द्वारा जब यह रहस्य ज्ञात हुआ तो उसने अनिरुद्ध को पकड़ने के लिए उन्हें भेजा किन्तु अनिरुद्ध ने उन सबको [[गदा]] से मार गिराया।  
*इस पर वाण ने उन्हें माया युद्ध में पराजित कर बन्दी कर लिया।  
*इस पर वाण ने उन्हें माया युद्ध में पराजित कर बन्दी कर लिया।  
*यह समाचार मालूम होने पर [[कृष्ण]], [[बलराम]] तथा [[प्रद्युम्न]] ने वाण को पराजित किया।  
*यह समाचार मालूम होने पर [[कृष्ण]], [[बलराम]] तथा [[प्रद्युम्न]] ने वाण को पराजित किया।  
*वाण की माता कोटरा की प्रार्थना पर कृष्ण ने वाण को जीवनदान दिया। इस पर वाण ने विधिवत उषा-अनिरूद्ध का विवाह कर इन्हें विदा किया।  
*वाण की माता कोटरा की प्रार्थना पर कृष्ण ने वाण को जीवनदान दिया। इस पर वाण ने विधिवत उषा-अनिरुद्ध का विवाह कर इन्हें विदा किया।  
*[[सूरसागर]] में उषा-अनिरूद्ध की कथा संक्षेप में दी गयी है। (पद 4815-4816)।  
*[[सूरसागर]] में उषा-अनिरुद्ध की कथा संक्षेप में दी गयी है। (पद 4815-4816)।  
*परन्तु इस कथा को लेकर अनेक प्रेमाख्यान रचे गये हैं। भारतीय साहित्य में कदाचित यह एक अनोखी प्रेम-कथा है जिसमें एक प्रेमिका स्त्री द्वारा पुरुष का हरण वर्णित है।  
*परन्तु इस कथा को लेकर अनेक प्रेमाख्यान रचे गये हैं। भारतीय साहित्य में कदाचित यह एक अनोखी प्रेम-कथा है जिसमें एक प्रेमिका स्त्री द्वारा पुरुष का हरण वर्णित है।  


 
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09:19, 14 जून 2011 के समय का अवतरण

  • प्रद्युम्न के पुत्र तथा कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध की पत्नी के रूप में उषा की ख्याति है।
  • वह शोणितपुर के राजा वाणासुर की कन्या थी। पार्वती के वरदान से उषा ने स्वप्न में अनिरुद्ध के दर्शन किये तथा उन पर रीझ गयी।
  • उषा की मनोदशा जानकर चित्रलेखा ने अनेक राजकुमारों के चित्र के साथ उनका भी चित्र निर्मित किया।
  • उषा ने हावभाव द्वारा चित्रलेखा के सामने प्रकट कर दिया कि अनिरुद्ध ही उसका प्रेम-पात्र है।
  • चित्रलेखा ने योग बल से सुप्तावस्था में उनका अपहरण किया और दोनों का गान्धर्व-विवाह कराकर चार मास तक दोनों को गुप्त स्थान में रखा।
  • वाण को सेवकों द्वारा जब यह रहस्य ज्ञात हुआ तो उसने अनिरुद्ध को पकड़ने के लिए उन्हें भेजा किन्तु अनिरुद्ध ने उन सबको गदा से मार गिराया।
  • इस पर वाण ने उन्हें माया युद्ध में पराजित कर बन्दी कर लिया।
  • यह समाचार मालूम होने पर कृष्ण, बलराम तथा प्रद्युम्न ने वाण को पराजित किया।
  • वाण की माता कोटरा की प्रार्थना पर कृष्ण ने वाण को जीवनदान दिया। इस पर वाण ने विधिवत उषा-अनिरुद्ध का विवाह कर इन्हें विदा किया।
  • सूरसागर में उषा-अनिरुद्ध की कथा संक्षेप में दी गयी है। (पद 4815-4816)।
  • परन्तु इस कथा को लेकर अनेक प्रेमाख्यान रचे गये हैं। भारतीय साहित्य में कदाचित यह एक अनोखी प्रेम-कथा है जिसमें एक प्रेमिका स्त्री द्वारा पुरुष का हरण वर्णित है।


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