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'''डावक''' का उल्लेख [[गुप्त साम्राज्य]] के प्रत्यन्त देशों के प्रसंग में सम्राट [[समुद्रगुप्त]] की प्रयाग प्रशस्ति में किया गया है-
'''डावक''' का उल्लेख [[गुप्त साम्राज्य]] के प्रत्यन्त देशों के प्रसंग में [[समुद्रगुप्त|सम्राट समुद्रगुप्त]] की प्रयाग प्रशस्ति में किया गया है-


<blockquote>'समतट डावक कामरूप नेपाल कृतपुरादि प्रत्यन्त नृपतिभि:।'
<blockquote>'समतट डावक कामरूप नेपाल कृतपुरादि प्रत्यन्त नृपतिभि:।'
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*डावक का अभिज्ञान पूर्व बंगाल ([[पाकिस्तान]]) के [[ढाका]] तथा उत्तरी ब्रह्मदेश के टगांग के निकटस्थ प्रदेश के साथ किया गया है।
*डावक का अभिज्ञान [[पूर्वी बंगाल]] ([[पाकिस्तान]]) के [[ढाका]] तथा उत्तरी ब्रह्मदेश के टगांग के निकटस्थ प्रदेश के साथ किया गया है।
*सम्राट समुद्रगुप्त के [[गुप्त साम्राज्य]] की पूर्वी सीमा पर डवाक स्थित था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=380|url=}}</ref>
*सम्राट समुद्रगुप्त के [[गुप्त साम्राज्य]] की पूर्वी सीमा पर डवाक स्थित था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=380|url=}}</ref>



06:31, 14 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण

डावक का उल्लेख गुप्त साम्राज्य के प्रत्यन्त देशों के प्रसंग में सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में किया गया है-

'समतट डावक कामरूप नेपाल कृतपुरादि प्रत्यन्त नृपतिभि:।'


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 380 |

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