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'''प्रबन्ध काव्य''' [[साहित्य]] की एक विधा है। प्रबन्ध काव्य में कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे [[रामचरितमानस]]। प्रबन्ध काव्य के दो भेद होते हैं -
'''प्रबन्ध काव्य''' [[साहित्य]] की एक विधा है। प्रबन्ध काव्य में कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे [[रामचरितमानस]]। प्रबन्ध काव्य के दो भेद होते हैं -
# [[महाकाव्य]]- इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है।
# [[महाकाव्य]]- इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है। जैसे- [[रामायण]], [[महाभारत]]
# [[खंड काव्य|खण्डकाव्य]]- इसमें किसी की संपूर्ण जीवनकथा का वर्णन न होकर केवल जीवन के किसी एक ही भाग का वर्णन होता है।
# [[खंड काव्य|खण्डकाव्य]]- इसमें किसी की संपूर्ण जीवनकथा का वर्णन न होकर केवल जीवन के किसी एक ही भाग का वर्णन होता है। जैसे- [[वीसलदेव रासो]], [[सुदामाचरित]]
==काव्य के भेद==
==काव्य के भेद==
{{Main|काव्य}}
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[[काव्य]] के भेद दो प्रकार से किए गए हैं–
काव्य के भेद दो प्रकार से किए गए हैं–
# स्वरूप के अनुसार काव्य के भेद
# स्वरूप के अनुसार काव्य के भेद
# शैली के अनुसार काव्य के भेद
# शैली के अनुसार काव्य के भेद

14:07, 7 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण

रामचरितमानस

प्रबन्ध काव्य साहित्य की एक विधा है। प्रबन्ध काव्य में कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है। कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं। जैसे रामचरितमानस। प्रबन्ध काव्य के दो भेद होते हैं -

  1. महाकाव्य- इसमें किसी ऐतिहासिक या पौराणिक महापुरुष की संपूर्ण जीवन कथा का आद्योपांत वर्णन होता है। जैसे- रामायण, महाभारत
  2. खण्डकाव्य- इसमें किसी की संपूर्ण जीवनकथा का वर्णन न होकर केवल जीवन के किसी एक ही भाग का वर्णन होता है। जैसे- वीसलदेव रासो, सुदामाचरित

काव्य के भेद

काव्य के भेद दो प्रकार से किए गए हैं–

  1. स्वरूप के अनुसार काव्य के भेद
  2. शैली के अनुसार काव्य के भेद

स्वरूप के आधार पर काव्य के दो भेद हैं -

  1. श्रव्यकाव्य
  2. दृष्यकाव्य

श्रव्य काव्य

जिस काव्य का रसास्वादन दूसरे से सुनकर या स्वयं पढ़ कर किया जाता है उसे श्रव्य काव्य कहते हैं। जैसे रामायण और महाभारत । श्रव्य काव्य के भी दो भेद होते हैं -

  1. प्रबन्ध काव्य
  2. मुक्तक काव्य



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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