"ओखली": अवतरणों में अंतर
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*ओखली में धान आदि कूटने के लिए [[मूसल]] का प्रयोग होता है। | *ओखली में [[धान]] आदि कूटने के लिए [[मूसल]] का प्रयोग होता है। | ||
*ओखली हर [[परिवार]], हर घर के आँगन में होती थी अब तो कुछ ही घर होंगे जिनके आँगन इससे सजे होंगे ओखली का हमारे जीवन में आदि काल से बहुत ही महत्त्व रहा है। | *ओखली हर [[परिवार]], हर घर के आँगन में होती थी अब तो कुछ ही घर होंगे जिनके आँगन इससे सजे होंगे ओखली का हमारे जीवन में आदि काल से बहुत ही महत्त्व रहा है। | ||
*जब चक्की नहीं हुआ करती थी तो धान, मंडुआ, मसाले कुछ भी जैसे पाउडर बनाना या छिलका निकलना आदि काम इसी के द्वारा संपन होते थे। | *जब [[चक्की]] नहीं हुआ करती थी तो धान, मंडुआ, मसाले कुछ भी जैसे पाउडर बनाना या छिलका निकलना आदि काम इसी के द्वारा संपन होते थे। | ||
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*ओखली में सिर | *ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना | ||
*ओखली में सिर दिया तो मूसलों को क्या गिनना | |||
*ओखली में सिर | *ओखली में सिर देना... | ||
*ओखली में सिर देना | |||
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*[http://www.youtube.com/watch?v=ebeaY8pE0AY यू ट्यूब पर, फ़िल्मी गीत 'आंकी चली बांकी चली' (ओखली का विडियो)] | |||
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07:55, 4 जून 2013 के समय का अवतरण
- ओखली धान आदि कूटने के लिए काठ या पत्थर का एक गहरा पात्र होता है।
- ओखली में धान आदि कूटने के लिए मूसल का प्रयोग होता है।
- ओखली हर परिवार, हर घर के आँगन में होती थी अब तो कुछ ही घर होंगे जिनके आँगन इससे सजे होंगे ओखली का हमारे जीवन में आदि काल से बहुत ही महत्त्व रहा है।
- जब चक्की नहीं हुआ करती थी तो धान, मंडुआ, मसाले कुछ भी जैसे पाउडर बनाना या छिलका निकलना आदि काम इसी के द्वारा संपन होते थे।
- ओखली के ऊपर कुछ कहावतें भी मशहूर है जैसे-
- ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना
- ओखली में सिर दिया तो मूसलों को क्या गिनना
- ओखली में सिर देना...
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