"नीमच": अवतरणों में अंतर

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*यह नगर [[मध्य प्रदेश]] राज्य के मंदसौर ज़िले के पास 500 मीटर की ऊँचाई पर बंजर बैसाल्ट पर्वत चौटी पर स्थित है।  
[[चित्र:Nava-Torana-Temple.jpg|thumb|250px|नव तोरण मंदिर, नीमच]]
'''नीमच''' [[मध्य प्रदेश]] राज्य के [[मंदसौर ज़िला|मंदसौर ज़िले]] के पास 500 मीटर की ऊँचाई पर बंजर बैसाल्ट पर्वत चौटी पर स्थित है।  
*[[ग्वालियर]] रियासत की पूर्व ब्रिटिश छावनी रहा यह नगर 1822 में संयुक्त राजपूताना-[[मालवा]] राजनीतिक एजेंसी का और 1895 में मालवा एजेंसी का मुख्यालय बना।
*[[ग्वालियर]] रियासत की पूर्व ब्रिटिश छावनी रहा यह नगर 1822 में संयुक्त राजपूताना-[[मालवा]] राजनीतिक एजेंसी का और 1895 में मालवा एजेंसी का मुख्यालय बना।
*नीमच के पास बारूखेड़ा है, जहाँ विशाल पत्थरों से निर्मित आकर्षक धर्मस्थल है।  
*नीमच के पास बारूखेड़ा है, जहाँ विशाल पत्थरों से निर्मित आकर्षक धर्मस्थल है।  
*नीमच के समीप ही प्राचीन बालसहर गाँव में कई [[जैन]] मन्दिर हैं।  
*नीमच के समीप ही प्राचीन बालसहर गाँव में कई जैन मन्दिर हैं।  
*यह नगर [[अजमेर]] सूबे की सरकार (ज़िला) का एक महल था।
*नीमच [[अजमेर]] सूबे की सरकार (ज़िला) का एक महल था।
*यह मूलतः [[उदयपुर]] राज्य का हिस्सा था और 1768 ई. में [[मेवाड़]] के राणा द्वारा लिए गए कर्ज़ की अदायगी के रूप में सिंधिया शासकों को दे दिया गया।  
*यह मूलतः [[उदयपुर]] राज्य का हिस्सा था और 1768 ई. में [[मेवाड़]] के राणा द्वारा लिए गए कर्ज़ की अदायगी के रूप में सिंधिया शासकों को दे दिया गया।  
*उसके बाद से यह ग्वालियर राज्य का हिस्सा रहा।  
*उसके बाद से यह ग्वालियर राज्य का हिस्सा रहा।  
*1799 ई. और 1844 ई. में कुछ समय के लिए यह इससे अलग रहा।
*1799 ई. और 1844 ई. में कुछ समय के लिए यह इससे अलग रहा।
*1857 के महान् विद्रोह में नीमच छावनी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और यह मालवा में उपद्रव का केन्द्र था।  
*1857 के महान् विद्रोह में नीमच छावनी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और यह मालवा में उपद्रव का केन्द्र था।  
*नीमच के दर्शनीय स्थलों में भादवा माता का मंदिर है, जिसमें [[शैलपुत्री]], [[ब्रह्मचारिणी]], [[चंद्रघंटा तृतीय|चंद्रघटा]], [[काली]], [[स्कन्दमाता]], और [[कात्यायनी]] माता की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।  
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*इस मंदिर में काले पत्थर से निर्मित [[विष्णु]] की प्रतिमा भी है।  
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नव तोरण मंदिर, नीमच

नीमच मध्य प्रदेश राज्य के मंदसौर ज़िले के पास 500 मीटर की ऊँचाई पर बंजर बैसाल्ट पर्वत चौटी पर स्थित है।

  • ग्वालियर रियासत की पूर्व ब्रिटिश छावनी रहा यह नगर 1822 में संयुक्त राजपूताना-मालवा राजनीतिक एजेंसी का और 1895 में मालवा एजेंसी का मुख्यालय बना।
  • नीमच के पास बारूखेड़ा है, जहाँ विशाल पत्थरों से निर्मित आकर्षक धर्मस्थल है।
  • नीमच के समीप ही प्राचीन बालसहर गाँव में कई जैन मन्दिर हैं।
  • नीमच अजमेर सूबे की सरकार (ज़िला) का एक महल था।
  • यह मूलतः उदयपुर राज्य का हिस्सा था और 1768 ई. में मेवाड़ के राणा द्वारा लिए गए कर्ज़ की अदायगी के रूप में सिंधिया शासकों को दे दिया गया।
  • उसके बाद से यह ग्वालियर राज्य का हिस्सा रहा।
  • 1799 ई. और 1844 ई. में कुछ समय के लिए यह इससे अलग रहा।
  • 1857 के महान् विद्रोह में नीमच छावनी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और यह मालवा में उपद्रव का केन्द्र था।
  • नीमच के दर्शनीय स्थलों में भादवा माता का मंदिर है, जिसमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघटा, काली, स्कन्दमाता, और कात्यायनी माता की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।
  • इस मंदिर में काले पत्थर से निर्मित विष्णु की प्रतिमा भी है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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