"चित्तौड़गढ़ क़िला": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 12 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Chittorgarh-Fort-8.jpg|thumb|250px|चित्तौड़गढ़ क़िला]]  
{{सूचना बक्सा पर्यटन
*चित्तौड़गढ़ क़िला, [[उदयपुर]] ज़िले ([[राजस्थान]]) के प्राचीन नगर [[चित्तौड़गढ़]] में स्थित है।
|चित्र=Chittorgarh-Fort-8.jpg
|चित्र का नाम=चित्तौड़गढ़ का क़िला
|विवरण=चित्तौड़गढ़ का क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाईवाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है।
|राज्य=[[राजस्थान]]
|केन्द्र शासित प्रदेश=
|ज़िला=चित्तौड़गढ़
|निर्माता=[[मेवाड़]] के [[राजपूत काल|राजपूतों]]
|स्वामित्व=
|प्रबंधक=
|निर्माण काल=
|स्थापना=7 वीं शताब्दी
|भौगोलिक स्थिति=[http://maps.google.com/maps?q=24.8863,74.647&ll=24.886436,74.646993&spn=0.008954,0.021136&t=m&z=16&vpsrc=0&iwloc=near उत्तर- 24° 53' 10.68", पूर्व- 74° 38' 49.20"]
|मार्ग स्थिति=चित्तौड़गढ़ का क़िला, [[चित्तौड़गढ़]] [[बूँदी]] रोड से लगभग 4 से 5 किमी की दूरी पर स्थित है।
|मौसम=
|तापमान=
|प्रसिद्धि=
|कब जाएँ=[[अक्टूबर]] से [[मार्च]]
|कैसे पहुँचें=हवाई जहाज़, रेल, बस आदि
|हवाई अड्डा=महाराणा प्रताप हवाई अड्डा
|रेलवे स्टेशन=चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन, चंडेरिया रेलवे स्टेशन, शंभूपुरा रेलवे स्टेशन
|बस अड्डा=मुरली बस अड्डा 
|यातायात=स्थानीय बस, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा
|क्या देखें=जैन कीर्तिस्तंभ, महावीरस्वामी का मंदिर, पद्मिनी का महल, कालिका माई का मंदिर
|कहाँ ठहरें=होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
|क्या खायें=राजस्थानी भोजन
|क्या ख़रीदें=
|एस.टी.डी. कोड=01472
|ए.टी.एम=लगभग सभी
|सावधानी=
|मानचित्र लिंक=[http://maps.google.com/maps?saddr=Chittorgarh,+Rajasthan,+India&daddr=Chittorgarh+Fort,+Chittorgarh,+Rajasthan,+India&hl=en&ll=24.887838,74.635963&spn=0.035816,0.084543&sll=24.887449,74.646091&sspn=0.033947,0.084543&geocode=FajFewEdardyBCnZqBFNQqBoOTGNXzRpyJfweQ%3BFa2_ewEdRf9yBCGCY3KNCCP5Tg&vpsrc=6&mra=ls&t=m&z=14 गूगल मानचित्र]
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=भाषा
|पाठ 1=[[हिंदी भाषा|हिंदी]], [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]], [[अंग्रेजी भाषा|अंग्रेजी]]
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=दुर्ग अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पैदल पोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|15:07, 24 नवम्बर 2011 (IST)}}
}}
'''चित्तौड़गढ़ क़िला''' [[राजस्थान]] के इतिहास प्रसिद्ध [[चित्तौड़]] में स्थित है। यह क़िला 25.53 [[अक्षांश]] और 74.39 देशांतर पर स्थित है। क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाई वाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। परंपरा से प्रसिद्ध है कि इसे चित्रांगद मोरी ने बनवाया था। आठवीं शताब्दी में गुहिलवंशी बापा ने इसे हस्तगत किया। कुछ समय तक यह [[परमार वंश|परमारों]], [[सोलंकी वंश|सोलंकियों]] और [[चौहान वंश|चौहानों]] के अधिकार में भी रहा, किंतु सन 1175 ई. के आस-पास [[उदयपुर]] राज्य के राजस्थान में विलय होने तक यह प्राय: गुहिलवंशियों के हाथ में ही रहा।
==इतिहास==
==इतिहास==
किंवदंती है कि प्राचीन गढ़ को [[महाभारत]] के [[भीम (पांडव)|भीम]] ने बनवाया था। भीम के नाम पर भीमगोड़ी, भीमसत आदि कई स्थान आज भी क़िले के भीतर हैं। पीछे [[मौर्य वंश]] के राजा मानसिंह ने [[उदयपुर]] के महाराजाओं के पूर्वज बघा रावल को जो उनका भानजा था, यह क़िला सौंप दिया। यहीं बप्पारावल ने मेवाड़ के नरेशों की राजधानी बनाई, जो 16वीं शती में उदयपुर के बसने तक इसी रूप में रही। 1303 ई. में सुलतान [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया। इस अवसर पर महारानी [[पद्मिनी]] तथा अन्य वीरांगनाएँ अपने कुल के सम्मान तथा भारतीय नारीत्व की लाज रखने के लिए अग्नि में कूदकर भस्म हो गईं और राजपूत वीरों ने युद्ध में प्राण उत्सर्ग कर दिए। जिस स्थान पर रानी पद्मिनी सती हुई थीं वह समाधीश्वर नाम से विख्यात है। स्थानीय जनश्रुति के आधार पर कहा जाता है कि अलाउद्दीन ने चित्तौड़ पर दो आक्रमण किए थे, किन्तु आधुनिक खोजों से एक ही आक्रमण सिद्ध होता है। रानी पद्मिनी के महल नामक प्रासाद के खंडहर भी क़िले के अन्दर ही अवस्थित हैं। [इस भवन को 1535 ई. में [[गुजरात]] के सुलतान बहादुरशाह ने नष्ट कर दिया था। गुजरात के सुलतान बहादुरशाह (1405-1442ई.) ने चित्तौड़ विजय से लौटते समय [[चन्द्रावती]] को आँखों से देखकर इसका चित्रण अपनी पुस्तक 'ट्रेवल्स इन वेस्टर्न इण्डिया' में किया है। चित्तौड़ का दूसरा 'साका' या जौहर गुजरात के सुलतान बहादुरशाह के मेवाड़ पर आक्रमण के समय हुआ। इस अवसर पर महारानी कर्णावती ने [[हुमायूँ]] को राखी भेजकर उसे अपना राखीबंद भाई बनाया था। चित्तौड़ के निकट ही [[पिंडौली]] नामक ग्राम है, जहाँ अकबर और मेवाड़ की सेना में युद्ध हुआ था। तीसरा 'साका' अकबर के समय में हुआ, जिसमें वीर जयमल और पत्ता ने मेवाड़ की रक्षा के लिए हँसते-हँसते प्राणदान किया था। [[अकबर]] के समय में ही महाराणा उदयसिंह ने उदयपुर नामक नगर को बसाकर मेवाड़ की नई राजधानी वहाँ बनाई। चित्तौड़ के क़िले के अन्दर आठ विशाल सरोवर हैं। प्रसिद्ध भक्त कवयित्री [[मीराबाई]] (जन्म 1498 ई.) का भी यहाँ मन्दिर है, जिसे बहादुरशाह ने तोड़ डाला था।
प्राचीन चित्रकूट दुर्ग या चित्तौड़गढ़ क़िला [[राजपूत]] शौर्य के [[इतिहास]] में गौरवपूर्ण स्‍थान रखता है। यह क़िला 7वीं से 16वीं शताब्‍दी तक सत्ता का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हुआ करता था। लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह क़िला 500 फुट ऊँची पहाड़ी पर खड़ा है। यह माना जाता है कि 7वीं शताब्‍दी में मोरी राजवंश के चित्रांगद मोरी द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था।
====राजवंशों का शासन====
चित्तौड़गढ़ का क़िला कई राजवंशों के शासन का साक्षी रहा है, जैसे-
#मोरी या मौर्य (7वीं-8वीं शताब्‍दी ई.)
#प्रतिहार - 9वीं-10वीं शताब्‍दी ई.
#परमार - 10वीं-11वीं शताब्‍दी ई.
#सोलंकी - 12वीं शताब्‍दी ई.
#गुहीलोत या सिसोदिया
====आक्रमण====
क़िले के लम्‍बे इतिहास के दौरान इस पर तीन बार आक्रमण किए गए। पहला आक्रमण सन 1303 में [[अलाउद्दीन ख़िलज़ी]] द्वारा, दूसरा सन 1535 में [[गुजरात]] के [[बहादुर शाह (गुजरात का सुल्तान)|बहादुरशाह]] द्वारा तथा तीसरा सन 1567-68 में [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] द्वारा किया गया था। प्रत्‍येक बार यहाँ जौहर किया गया। इसकी प्रसिद्ध स्‍मारकीय विरासत की विशेषता इसके विशिष्‍ट मजबूत क़िले, प्रवेश द्वार, बुर्ज, महल, मंदिर, दुर्ग तथा जलाशय स्वयं बताते हैं, जो [[राजपूत]] वास्‍तुकला के उत्‍कृष्‍ट नमूने हैं।
==प्रवेश द्वार==
इस क़िले के सात प्रवेश द्वार हैं। प्रथम प्रवेश द्वार 'पैदल पोल' के नाम से जाना जाता है, जिसके बाद 'भैरव पोल', 'हनुमान पोल', 'गणेश पोल', 'जोली पोल', 'लक्ष्‍मण पोल' तथा अंत में 'राम पोल' है, जो सन 1459 में बनवाया गया था। क़िले की पूर्वी दिशा में स्‍थित प्रवेश द्वार को 'सूरज पोल' कहा जाता है।
====पर्यटन स्थल====
चित्तौड़गढ़ क़िला अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पाडलपोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है। महाराणा का प्रतिनिधि बनकर इसने गुजरातियों से युद्ध किया था। भैरवपोल के निकट कल्ला और जैमल की छतरियाँ हैं। रामपोल के पास पत्ता का स्मारक पत्थर है। इस क़िले के अंदर और भी कई आकर्षक स्थल हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं, जैसे-
#[[कुम्भा महल]]
#[[रानी पद्मिनी महल|पद्मिनी महल]]
#[[रत्न सिंह महल]]
#[[फतेह प्रकाश महल]]
#[[कलिका माता का मन्दिर चित्तौड़गढ़|कलिका माता मन्दिर]]
#[[समाधीश्वर मन्दिर]]
#[[कुम्भास्वामी मन्दिर]]
#[[सात बीस देवरी]]
#[[कीर्ति स्तम्भ]]
#[[जैन कीर्ति स्तम्भ]]
#[[गौमुख कुंड]]


=वीथिका=
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
<gallery width="200" perrow="3">
==वीथिका==
<gallery>
चित्र:Chittorgarh-Fort.jpg|चित्तौड़गढ़ क़िला, [[चित्तौड़गढ़]]
चित्र:Chittorgarh-Fort.jpg|चित्तौड़गढ़ क़िला, [[चित्तौड़गढ़]]
चित्र:Chittorgarh-Fort-11.jpg|चित्तौड़गढ़ क़िला, [[चित्तौड़गढ़]]
चित्र:Chittorgarh-Fort-11.jpg|चित्तौड़गढ़ क़िला, [[चित्तौड़गढ़]]
पंक्ति 16: पंक्ति 80:
चित्र:Chittorgarh-Fort-10.jpg|चित्तौड़गढ़ क़िला, [[चित्तौड़गढ़]]
चित्र:Chittorgarh-Fort-10.jpg|चित्तौड़गढ़ क़िला, [[चित्तौड़गढ़]]
</gallery>
</gallery>
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
हिन्दी विश्वकोश (खण्ड- 4) पृष्ठ संख्या- 219
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{भारत के दुर्ग}}
{{भारत के दुर्ग}}{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}
{{राजस्थान के पर्यटन स्थल}}
[[Category:राजस्थान]]
[[Category:राजस्थान]]
[[Category:राजस्थान के ऐतिहासिक नगर]]
[[Category:राजस्थान के ऐतिहासिक नगर]]

12:53, 30 जुलाई 2014 के समय का अवतरण

चित्तौड़गढ़ क़िला
चित्तौड़गढ़ का क़िला
चित्तौड़गढ़ का क़िला
विवरण चित्तौड़गढ़ का क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाईवाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है।
राज्य राजस्थान
ज़िला चित्तौड़गढ़
निर्माता मेवाड़ के राजपूतों
स्थापना 7 वीं शताब्दी
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 24° 53' 10.68", पूर्व- 74° 38' 49.20"
मार्ग स्थिति चित्तौड़गढ़ का क़िला, चित्तौड़गढ़ बूँदी रोड से लगभग 4 से 5 किमी की दूरी पर स्थित है।
कब जाएँ अक्टूबर से मार्च
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि
हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन, चंडेरिया रेलवे स्टेशन, शंभूपुरा रेलवे स्टेशन
बस अड्डा मुरली बस अड्डा
यातायात स्थानीय बस, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा
क्या देखें जैन कीर्तिस्तंभ, महावीरस्वामी का मंदिर, पद्मिनी का महल, कालिका माई का मंदिर
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
क्या खायें राजस्थानी भोजन
एस.टी.डी. कोड 01472
ए.टी.एम लगभग सभी
गूगल मानचित्र
भाषा हिंदी, राजस्थानी, अंग्रेजी
अन्य जानकारी दुर्ग अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पैदल पोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है।
अद्यतन‎

चित्तौड़गढ़ क़िला राजस्थान के इतिहास प्रसिद्ध चित्तौड़ में स्थित है। यह क़िला 25.53 अक्षांश और 74.39 देशांतर पर स्थित है। क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाई वाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। परंपरा से प्रसिद्ध है कि इसे चित्रांगद मोरी ने बनवाया था। आठवीं शताब्दी में गुहिलवंशी बापा ने इसे हस्तगत किया। कुछ समय तक यह परमारों, सोलंकियों और चौहानों के अधिकार में भी रहा, किंतु सन 1175 ई. के आस-पास उदयपुर राज्य के राजस्थान में विलय होने तक यह प्राय: गुहिलवंशियों के हाथ में ही रहा।

इतिहास

प्राचीन चित्रकूट दुर्ग या चित्तौड़गढ़ क़िला राजपूत शौर्य के इतिहास में गौरवपूर्ण स्‍थान रखता है। यह क़िला 7वीं से 16वीं शताब्‍दी तक सत्ता का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हुआ करता था। लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह क़िला 500 फुट ऊँची पहाड़ी पर खड़ा है। यह माना जाता है कि 7वीं शताब्‍दी में मोरी राजवंश के चित्रांगद मोरी द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था।

राजवंशों का शासन

चित्तौड़गढ़ का क़िला कई राजवंशों के शासन का साक्षी रहा है, जैसे-

  1. मोरी या मौर्य (7वीं-8वीं शताब्‍दी ई.)
  2. प्रतिहार - 9वीं-10वीं शताब्‍दी ई.
  3. परमार - 10वीं-11वीं शताब्‍दी ई.
  4. सोलंकी - 12वीं शताब्‍दी ई.
  5. गुहीलोत या सिसोदिया

आक्रमण

क़िले के लम्‍बे इतिहास के दौरान इस पर तीन बार आक्रमण किए गए। पहला आक्रमण सन 1303 में अलाउद्दीन ख़िलज़ी द्वारा, दूसरा सन 1535 में गुजरात के बहादुरशाह द्वारा तथा तीसरा सन 1567-68 में मुग़ल बादशाह अकबर द्वारा किया गया था। प्रत्‍येक बार यहाँ जौहर किया गया। इसकी प्रसिद्ध स्‍मारकीय विरासत की विशेषता इसके विशिष्‍ट मजबूत क़िले, प्रवेश द्वार, बुर्ज, महल, मंदिर, दुर्ग तथा जलाशय स्वयं बताते हैं, जो राजपूत वास्‍तुकला के उत्‍कृष्‍ट नमूने हैं।

प्रवेश द्वार

इस क़िले के सात प्रवेश द्वार हैं। प्रथम प्रवेश द्वार 'पैदल पोल' के नाम से जाना जाता है, जिसके बाद 'भैरव पोल', 'हनुमान पोल', 'गणेश पोल', 'जोली पोल', 'लक्ष्‍मण पोल' तथा अंत में 'राम पोल' है, जो सन 1459 में बनवाया गया था। क़िले की पूर्वी दिशा में स्‍थित प्रवेश द्वार को 'सूरज पोल' कहा जाता है।

पर्यटन स्थल

चित्तौड़गढ़ क़िला अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पाडलपोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है। महाराणा का प्रतिनिधि बनकर इसने गुजरातियों से युद्ध किया था। भैरवपोल के निकट कल्ला और जैमल की छतरियाँ हैं। रामपोल के पास पत्ता का स्मारक पत्थर है। इस क़िले के अंदर और भी कई आकर्षक स्थल हैं, जो पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं, जैसे-

  1. कुम्भा महल
  2. पद्मिनी महल
  3. रत्न सिंह महल
  4. फतेह प्रकाश महल
  5. कलिका माता मन्दिर
  6. समाधीश्वर मन्दिर
  7. कुम्भास्वामी मन्दिर
  8. सात बीस देवरी
  9. कीर्ति स्तम्भ
  10. जैन कीर्ति स्तम्भ
  11. गौमुख कुंड


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

हिन्दी विश्वकोश (खण्ड- 4) पृष्ठ संख्या- 219

संबंधित लेख