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'''स्वाति तिरुनल | {{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | ||
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*मात्र 16 वर्ष की आयु में ही स्वाति तिरुनल दक्षिण भारतीय राज्य के शासक बन थे। | |चित्र का नाम=स्वाति तिरुनल | ||
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स्वाति तिरुनल
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पूरा नाम | स्वाति तिरुनल रामा वर्मा |
अन्य नाम | स्वाति तिरुनल बलराम वर्मा |
जन्म | 13 अप्रैल, 1813 |
जन्म भूमि | त्रावणकोर, केरल |
मृत्यु | 25 दिसम्बर, 1846 |
मुख्य रचनाएँ | 'वर्णम', 'कृति', 'स्वरजाति', 'पदम' और 'जवाली' के साथ-साथ उन्होंने दो गीति-नाट्यों की भी रचना की थी। |
भाषा | 10 से अधिक भाषाओं में पारंगत थे, जिनमें संस्कृत, तेलुगू, कन्नड़, मराठी, हिन्दी और अंग्रेज़ी शामिल थीं। |
प्रसिद्धि | त्रावणकोर के महाराजा |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | स्वाति तिरुनल ने कई ध्रुपद, ख़याल और ठुमरियों की भी रचना की, लेकिन उन्हें कर्नाटक संगीत, विशेषकर 'पदम' (प्रेम गीत) के लिए सबसे अधिक ख्याति मिली। |
स्वाति तिरुनल (अंग्रेज़ी: Swathi Thirunal, पूरा नाम: स्वाति तिरुनल रामा वर्मा, जन्म- 13 अप्रैल, 1813, त्रावणकोर, केरल; मृत्यु- 25 दिसम्बर, 1846) त्रावणकोर (वर्तमान तिरुवंगूर, केरल) के महाराजा थे। ये दक्षिण भारतीय कर्नाटक संगीत परंपरा के सर्वोत्कृष्ट संगीतज्ञों में से एक थे।
संक्षिप्त परिचय
- मात्र 16 वर्ष की आयु में ही स्वाति तिरुनल दक्षिण भारतीय राज्य के शासक बन गये थे।
- अपने शासन काल के समय में कला के महानतम संरक्षकों में वह गिने जाते थे।
- स्वाति तिरुनल स्वयं भी 10 से अधिक भाषाओं में पारंगत थे, जिनमें संस्कृत, तेलुगू, कन्नड़, मराठी, हिन्दी और अंग्रेज़ी शामिल थीं। वह इन भाषाओं में कविताएँ लिखते थे।
- चित्रकला, शिल्पकारी और अन्य कलाओं में भी स्वाति तिरुनल काफ़ी निपुण थे। माना जाता है कि उन्होंने लगभग 500 गीतों की रचना की थी।
- 'वर्णम', 'कृति', 'स्वरजाति', 'पदम' और 'जवाली' के साथ-साथ उन्होंने दो गीति-नाट्यों की भी रचना की थी।
- स्वाति तिरुनल ने कई ध्रुपद, ख़याल और ठुमरियों की भी रचना की, लेकिन उन्हें कर्नाटक संगीत, विशेषकर 'पदम' (प्रेम गीत) के लिए सबसे अधिक ख्याति मिली।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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