"हरिश्चंद्र (खण्डकाव्य)": अवतरणों में अंतर
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'''हरिश्चंद्र''' [[भारत]] के प्रसिद्ध कवियों में से एक [[जगन्नाथदास 'रत्नाकर']] द्वारा रचित [[खण्ड काव्य]] है। | '''हरिश्चंद्र''' [[भारत]] के प्रसिद्ध कवियों में से एक [[जगन्नाथदास 'रत्नाकर']] द्वारा रचित [[खण्ड काव्य]] है। | ||
*'भारतेन्दु युग' की पुरानी कविता धारा में श्री जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’ एक ही मात्र ऐसे [[कवि]] थे, जिन्होंने मौलिक खण्ड काव्यों की रचना की। | *'[[भारतेन्दु युग]]' की पुरानी कविता धारा में श्री जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’ एक ही मात्र ऐसे [[कवि]] थे, जिन्होंने मौलिक खण्ड काव्यों की रचना की। | ||
*‘हरिश्चन्द्र’ और ‘उद्धवशतक’ जगन्नाथदास 'रत्नाकर' के सुन्दर खण्ड काव्य हैं। इनमें से ‘हरिश्चन्द्र' नामक खण्ड काव्य की रचना भारतेन्दु युग में हुई। | *‘हरिश्चन्द्र’ और ‘उद्धवशतक’ जगन्नाथदास 'रत्नाकर' के सुन्दर खण्ड काव्य हैं। इनमें से ‘हरिश्चन्द्र' नामक खण्ड काव्य की रचना भारतेन्दु युग में हुई। | ||
*‘[[उद्धवशतक]]’ की रचना छायावाद काल में हुई। इस पर उसी युग के अन्तर्गत विचार किया जाएगा। | *‘[[उद्धवशतक]]’ की रचना छायावाद काल में हुई। इस पर उसी युग के अन्तर्गत विचार किया जाएगा। |
12:45, 9 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
हरिश्चंद्र भारत के प्रसिद्ध कवियों में से एक जगन्नाथदास 'रत्नाकर' द्वारा रचित खण्ड काव्य है।
- 'भारतेन्दु युग' की पुरानी कविता धारा में श्री जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’ एक ही मात्र ऐसे कवि थे, जिन्होंने मौलिक खण्ड काव्यों की रचना की।
- ‘हरिश्चन्द्र’ और ‘उद्धवशतक’ जगन्नाथदास 'रत्नाकर' के सुन्दर खण्ड काव्य हैं। इनमें से ‘हरिश्चन्द्र' नामक खण्ड काव्य की रचना भारतेन्दु युग में हुई।
- ‘उद्धवशतक’ की रचना छायावाद काल में हुई। इस पर उसी युग के अन्तर्गत विचार किया जाएगा।
- ‘हरिश्चन्द्र’ खण्ड काव्य की रचना रत्नाकर ने संवत 1950 में की थी। यह ब्रजभाषा का चार सर्गों में विभाजित खण्ड काव्य है, जो राजा हरिश्चन्द्र की सत्यवादिता की परीक्षा सम्बन्धी प्रमुख घटना पर आधारित है।[1]
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