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ज़िला मुख्यालय सहित पड़ोसी ज़िले व विभिन्न प्रदेशों से '[[नवरात्र]]' के दिनों में श्रद्धालु यहाँ माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के महंत दुर्गाशंकर मीणा के अनुसार क़रीब 150 [[वर्ष]] पूर्व ठठेरा कुण्ड के समीप ब्रह्माणी माता का स्थान था। वहां माता की मूर्ति एक चबूतरे पर विराजित थी। उस दौरान [[मीणा]] समाज के एक 'जने'<ref>माताजी का भोपा</ref> से सपने में माताजी ने मूर्ति को बांकी माता मंदिर में स्थापित करने को कहा। तब मीणा समाज के लोगों ने ब्रह्मणी माता को यहां विराजित करवाया था।<ref>{{cite web |url= http://rajasthanpatrika.patrika.com/news/banki-mata-temple-of-faith-center/1189731.html|title= आस्था का केंद्र बांकी माता मंदिर|accessmonthday=11 अक्टूबर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= राजस्थान पत्रिका|language= हिन्दी}}</ref>
ज़िला मुख्यालय सहित पड़ोसी ज़िले व विभिन्न प्रदेशों से '[[नवरात्र]]' के दिनों में श्रद्धालु यहाँ माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के महंत दुर्गाशंकर मीणा के अनुसार क़रीब 150 [[वर्ष]] पूर्व ठठेरा कुण्ड के समीप ब्रह्माणी माता का स्थान था। वहां माता की मूर्ति एक चबूतरे पर विराजित थी। उस दौरान [[मीणा]] समाज के एक 'जने'<ref>माताजी का भोपा</ref> से सपने में माताजी ने मूर्ति को बांकी माता मंदिर में स्थापित करने को कहा। तब मीणा समाज के लोगों ने ब्रह्मणी माता को यहां विराजित करवाया था।<ref>{{cite web |url= http://rajasthanpatrika.patrika.com/news/banki-mata-temple-of-faith-center/1189731.html|title= आस्था का केंद्र बांकी माता मंदिर|accessmonthday=11 अक्टूबर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= राजस्थान पत्रिका|language= हिन्दी}}</ref>
====मान्यता====
====मान्यता====
ऐसी मान्यता है कि माता के दरबार में हाजिरी देने वाले श्रद्धालु पर मां की कृपा बनी रहती है। बताया जाता है कि मंदिर की स्थापना क़रीब 150 वर्ष पूर्व की गई थी। उस दौरान एक चबूतरे पर माता की मूर्ति विराजित थी। धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गई। माता के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
ऐसी मान्यता है कि माता के दरबार में हाजिरी देने वाले श्रद्धालु पर माँ की कृपा बनी रहती है। बताया जाता है कि मंदिर की स्थापना क़रीब 150 वर्ष पूर्व की गई थी। उस दौरान एक चबूतरे पर माता की मूर्ति विराजित थी। धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गई। माता के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
==मंदिर समिति==
==मंदिर समिति==
बांकी माता अपने [[भक्त|भक्तों]] पर कृपा अवश्य करती हैं। मंदिर समिति के एक सदस्य टीकाराम मीणा के अनुसार मंदिर की स्थापना से लेकर आज तक मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र नहीं किया गया है और न ही किसी से निर्माण में सहयोग करने कोे कहा गया है। श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर अपने स्तर पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराते हैं।
बांकी माता अपने [[भक्त|भक्तों]] पर कृपा अवश्य करती हैं। मंदिर समिति के एक सदस्य टीकाराम मीणा के अनुसार मंदिर की स्थापना से लेकर आज तक मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र नहीं किया गया है और न ही किसी से निर्माण में सहयोग करने कोे कहा गया है। श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर अपने स्तर पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराते हैं।

14:08, 2 जून 2017 के समय का अवतरण

बांकी माता मंदिर
बांकी माता मंदिर
बांकी माता मंदिर
विवरण 'बांकी माता मंदिर' राजस्थान के धार्मिक स्थलों में से एक है। यहाँ 'नवरात्र' में श्रद्धालुओं की काफ़ी भीड़ लगी रहती है।
राज्य राजस्थान
ज़िला सवाई माधोपुर
स्थापना लगभग 150 वर्ष पूर्व
धर्मस्थान हिन्दू
संबंधित लेख राजस्थान, राजस्थान पर्यटन, सवाई माधोपुर
अन्य जानकारी बताया जाता है कि मंदिर की स्थापना क़रीब 150 वर्ष पूर्व की गई थी। उस दौरान एक चबूतरे पर माता की मूर्ति विराजित थी। धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गई।

बांकी माता मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर शहर की राजबाग कॉलोनी में स्थित है। यह मंदिर कई दशकों से हिन्दू आस्था का केन्द्र बना हुआ है। वैसे तो इस मंदिर में प्रतिदिन ही काफ़ी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, किन्तु 'नवरात्र' में श्रद्धालुओं की काफ़ी भीड़ लगी रहती है।

किंवदंती

ज़िला मुख्यालय सहित पड़ोसी ज़िले व विभिन्न प्रदेशों से 'नवरात्र' के दिनों में श्रद्धालु यहाँ माता के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। मंदिर के महंत दुर्गाशंकर मीणा के अनुसार क़रीब 150 वर्ष पूर्व ठठेरा कुण्ड के समीप ब्रह्माणी माता का स्थान था। वहां माता की मूर्ति एक चबूतरे पर विराजित थी। उस दौरान मीणा समाज के एक 'जने'[1] से सपने में माताजी ने मूर्ति को बांकी माता मंदिर में स्थापित करने को कहा। तब मीणा समाज के लोगों ने ब्रह्मणी माता को यहां विराजित करवाया था।[2]

मान्यता

ऐसी मान्यता है कि माता के दरबार में हाजिरी देने वाले श्रद्धालु पर माँ की कृपा बनी रहती है। बताया जाता है कि मंदिर की स्थापना क़रीब 150 वर्ष पूर्व की गई थी। उस दौरान एक चबूतरे पर माता की मूर्ति विराजित थी। धीरे-धीरे लोगों की आस्था बढ़ती गई। माता के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।

मंदिर समिति

बांकी माता अपने भक्तों पर कृपा अवश्य करती हैं। मंदिर समिति के एक सदस्य टीकाराम मीणा के अनुसार मंदिर की स्थापना से लेकर आज तक मंदिर निर्माण के लिए चंदा एकत्र नहीं किया गया है और न ही किसी से निर्माण में सहयोग करने कोे कहा गया है। श्रद्धालु मन्नत पूरी होने पर अपने स्तर पर मंदिर का जीर्णोद्धार कराते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. माताजी का भोपा
  2. आस्था का केंद्र बांकी माता मंदिर (हिन्दी) राजस्थान पत्रिका। अभिगमन तिथि: 11 अक्टूबर, 2014।

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