"सायण": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
छो (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
(4 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''सायण / Sayan'''<br />
*[[वेद|वेदों]] के सर्वमान्य भाष्यकर्ता सायण दक्षिण [[भारत]] के निवासी थे।  
*[[वेद|वेदों]] के सर्वमान्य भाष्यकर्ता सायण दक्षिण भारत के निवासी थे।  
*वे महान् राजनीतिज्ञ भी थे।  
*वे महान राजनीतिज्ञ भी थे।  
*इनका समय चौदहवीं शताब्दी माना जाता है।  
*इनका समय चौदहवीं शताब्दी माना जाता है।  
*पहले ये विजयनगर राज्य के मंत्री थे।  
*पहले ये [[विजयनगर साम्राज्य|विजयनगर]] राज्य के मंत्री थे।  
*बाद में सन्यास ले लिया और श्रृंगेरी मठ के अधिष्ठाता बन गए।  
*बाद में सन्न्यास ले लिया और [[श्रृंगेरी]] मठ के अधिष्ठाता बन गए।  
*अपने जीवन के पच्चीस वर्षों में ये वेदों के भाष्य करते रहे।  
*अपने जीवन के पच्चीस वर्षों में ये वेदों के भाष्य करते रहे।  
*सायण से पहले किसी ने भी समस्त वेद ग्रन्थ राशि का इतना सुविचारित भाष्य नहीं किया था।  
*सायण से पहले किसी ने भी समस्त वेद ग्रन्थ राशि का इतना सुविचारित भाष्य नहीं किया था।  
*इनके भाष्य में वैदिक विधि-विधानों का भी स्पष्टीकरण है और उनके आध्यात्मिक अर्थ का भी।  
*इनके भाष्य में वैदिक विधि-विधानों का भी स्पष्टीकरण है और उनके आध्यात्मिक अर्थ का भी।  
*लोग यह मानते हैं कि वेदों के विषय दुर्ग के रहस्य को खोलने के लिए सायण-भाष्य सचमुच चाबी का काम करता है।  
*लोग यह मानते हैं कि वेदों के विषय दुर्ग के रहस्य को खोलने के लिए सायण-भाष्य सचमुच चाबी का काम करता है।  
*सायण की मृत्यु 1387 ई॰ में हुई।
*सायण की मृत्यु 1387 ई. में हुई।
 
{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==संबंधित लेख==
{{संस्कृत साहित्यकार}}
[[Category:संस्कृत साहित्यकार]]
[[Category:संस्कृत साहित्यकार]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

11:01, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

  • वेदों के सर्वमान्य भाष्यकर्ता सायण दक्षिण भारत के निवासी थे।
  • वे महान् राजनीतिज्ञ भी थे।
  • इनका समय चौदहवीं शताब्दी माना जाता है।
  • पहले ये विजयनगर राज्य के मंत्री थे।
  • बाद में सन्न्यास ले लिया और श्रृंगेरी मठ के अधिष्ठाता बन गए।
  • अपने जीवन के पच्चीस वर्षों में ये वेदों के भाष्य करते रहे।
  • सायण से पहले किसी ने भी समस्त वेद ग्रन्थ राशि का इतना सुविचारित भाष्य नहीं किया था।
  • इनके भाष्य में वैदिक विधि-विधानों का भी स्पष्टीकरण है और उनके आध्यात्मिक अर्थ का भी।
  • लोग यह मानते हैं कि वेदों के विषय दुर्ग के रहस्य को खोलने के लिए सायण-भाष्य सचमुच चाबी का काम करता है।
  • सायण की मृत्यु 1387 ई. में हुई।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख