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*[[महात्मा गाँधी]] जी की अध्यक्षता में [[1918]] में [[इन्दौर]] में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' आयोजित हुआ और उसी में पारित एक प्रस्ताव के द्वारा [[हिन्दी]] [[राष्ट्रभाषा]] मानी गयी। इस प्रस्ताव के स्वीकृत होने के बाद दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये ''[[दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा]]'' की भी स्थापना हुयी जिसका मुख्यालय [[मद्रास]] में था।
'''राष्ट्रभाषा''' राष्ट्र द्वारा मान्यताप्राप्त भाषा जो एक देश की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा होती है, जिसे सम्पूर्ण राष्ट्र में भाषा कार्यों में (जैसे लिखना, पढना और वार्तालाप) के लिए प्रमुखता से प्रयोग में लाया जाता है। वह भाषा जिसमें राष्ट्र के काम किए जाएँ। राष्ट्र के कामधाम या सरकारी कामकाज के लिये स्वीकृत भाषा ही राष्ट्रभाषा कहलाती है। अन्य शब्दों में 'राष्ट्रभाषा' वह भाषा है, जिसे राष्ट्र के समग्र नागरिक अन्य भाषा भाषी होते हुए भी जानते समझते हों और उसका व्यवहार करते हों। [[महात्मा गाँधी]] जी की अध्यक्षता में [[1918]] में [[इन्दौर]] में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' आयोजित हुआ और उसी में पारित एक प्रस्ताव के द्वारा [[हिन्दी]] [[राष्ट्रभाषा]] मानी गयी। इस प्रस्ताव के स्वीकृत होने के बाद दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये ''[[दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा]]'' की भी स्थापना हुई जिसका मुख्यालय [[मद्रास]] में था।<ref>{{cite web |url=http://www.hindisahityasamiti.com/webforms/EventDtls.aspx?id=24|title= गांधीजी की अध्यक्षता में हिन्दी साहित्य सम्मलेन का 8वां अधिवेशन सन 1918 में |accessmonthday=4 जून |accessyear=2015 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher= सर्व सेवा संघ प्रकाशन वाश्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इंदौर  |language=हिंदी }}</ref>
*[[1947]] में आजादी मिलने के बाद जब भारतीय संविधान लागू हुआ तो उसके अनुच्छेद 343 के द्वारा भारतीय संघ की भाषा हिन्दी और [[देवनागरी लिपि|लिपि देवनागरी]] निर्धारित की गयी परन्तु संविधान लागू होने के वर्ष [[1950]] से 15 वर्ष तक की अवधि [[1965]] तक के लिये संघ की भाषा के रूप में [[अंगेजी]] का प्रयोग किया जा सकता था। भारतीय संसद को यह अधिकार दिया गया था कि वह चाहे तो संघ की भाषा के रूप में अंगेजी के प्रयोग की अवधि को बढा सकती थी। वर्ष [[1963]] में संसद में राजभाषा अधिनियम 1963 पारित करते हुये यह व्यवस्था कर दी थी कि [[1971]] तक भारतीय संघ के रूप में अंग्रेजी भाषा का उपयोग होता रहेगा । कालान्तर में 1971 की कालावधि समाप्त कर अनिश्चितकाल के लिये इस व्यवस्था को लागू किया गया।  
==इतिहास==
*[[संविधान]] के अनुच्छेद 344 के द्वारा 22 भाषाओं को [[राजभाषा]] की मान्यता प्रदान की गयी है। जिनके नाम इस प्रकार है:- (1)[[असमिया भाषा|असमिया]] (2)[[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] (3)[[गुजराती भाषा|गुजराती]](4)[[हिन्दी भाषा|हिन्दी]](5)[[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]](6)[[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]](7)[[कोंकणी भाषा|कोंकणी]](8)[[मलयालम भाषा|मलयालम]](9)[[मणिपुरी भाषा|मणिपुरी]](10)[[मराठी भाषा|मराठी]](11)[[नेपाली भाषा|नेपाली]](12)[[उड़िया भाषा|उड़िया]](13)[[पंजाबी भाषा|पंजाबी]](14)[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]](15)[[सिंधी भाषा|सिंधी]](16)[[तमिल भाषा|तमिल]](17)[[उर्दू भाषा|उर्दू]](18)[[तेलुगु भाषा|तेलुगु]](19)[[बोडो भाषा|बोडो]](20)[[डोगरी भाषा|डोगरी]](21)[[मैथिली भाषा|मैथिली]](22)[[संथाली भाषा|संथाली]]।
[[1947]] में आजादी मिलने के बाद जब [[भारतीय संविधान]] लागू हुआ तो उसके अनुच्छेद 343 के द्वारा भारतीय संघ की भाषा [[हिन्दी]] और [[देवनागरी लिपि|लिपि देवनागरी]] निर्धारित की गयी परन्तु संविधान लागू होने के वर्ष [[1950]] से 15 वर्ष तक की अवधि [[1965]] तक के लिये संघ की भाषा के रूप में [[अंग्रेज़ी]] का प्रयोग किया जा सकता था। भारतीय [[संसद]] को यह अधिकार दिया गया था कि वह चाहे तो संघ की भाषा के रूप में अंग्रेज़ी के प्रयोग की अवधि को बढा सकती थी। वर्ष [[1963]] में संसद में [[राजभाषा अधिनियम 1963]] पारित करते हुये यह व्यवस्था कर दी थी कि [[1971]] तक भारतीय संघ के रूप में अंग्रेजी भाषा का उपयोग होता रहेगा। कालान्तर में 1971 की कालावधि समाप्त कर अनिश्चितकाल के लिये इस व्यवस्था को लागू किया गया। [[संविधान]] के अनुच्छेद 344 के द्वारा 22 भाषाओं को [[राजभाषा]] की मान्यता प्रदान की गयी है। जिनके नाम इस प्रकार है:-  
*सन् [[2001]] की [[जनगणना]] के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं।
# [[असमिया भाषा|असमिया]]  
# [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]]  
# [[गुजराती भाषा|गुजराती]]
# [[हिन्दी भाषा|हिन्दी]]
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# [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]]
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# [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]
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# [[डोगरी भाषा|डोगरी]]
# [[मैथिली भाषा|मैथिली]]
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*सन् [[2001]] की [[जनगणना]] के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय [[हिंदी]] का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं।
 
 
 
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07:41, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

राष्ट्रभाषा राष्ट्र द्वारा मान्यताप्राप्त भाषा जो एक देश की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा होती है, जिसे सम्पूर्ण राष्ट्र में भाषा कार्यों में (जैसे लिखना, पढना और वार्तालाप) के लिए प्रमुखता से प्रयोग में लाया जाता है। वह भाषा जिसमें राष्ट्र के काम किए जाएँ। राष्ट्र के कामधाम या सरकारी कामकाज के लिये स्वीकृत भाषा ही राष्ट्रभाषा कहलाती है। अन्य शब्दों में 'राष्ट्रभाषा' वह भाषा है, जिसे राष्ट्र के समग्र नागरिक अन्य भाषा भाषी होते हुए भी जानते समझते हों और उसका व्यवहार करते हों। महात्मा गाँधी जी की अध्यक्षता में 1918 में इन्दौर में 'हिन्दी साहित्य सम्मेलन' आयोजित हुआ और उसी में पारित एक प्रस्ताव के द्वारा हिन्दी राष्ट्रभाषा मानी गयी। इस प्रस्ताव के स्वीकृत होने के बाद दक्षिण भारत में हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा की भी स्थापना हुई जिसका मुख्यालय मद्रास में था।[1]

इतिहास

1947 में आजादी मिलने के बाद जब भारतीय संविधान लागू हुआ तो उसके अनुच्छेद 343 के द्वारा भारतीय संघ की भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी निर्धारित की गयी परन्तु संविधान लागू होने के वर्ष 1950 से 15 वर्ष तक की अवधि 1965 तक के लिये संघ की भाषा के रूप में अंग्रेज़ी का प्रयोग किया जा सकता था। भारतीय संसद को यह अधिकार दिया गया था कि वह चाहे तो संघ की भाषा के रूप में अंग्रेज़ी के प्रयोग की अवधि को बढा सकती थी। वर्ष 1963 में संसद में राजभाषा अधिनियम 1963 पारित करते हुये यह व्यवस्था कर दी थी कि 1971 तक भारतीय संघ के रूप में अंग्रेजी भाषा का उपयोग होता रहेगा। कालान्तर में 1971 की कालावधि समाप्त कर अनिश्चितकाल के लिये इस व्यवस्था को लागू किया गया। संविधान के अनुच्छेद 344 के द्वारा 22 भाषाओं को राजभाषा की मान्यता प्रदान की गयी है। जिनके नाम इस प्रकार है:-

  1. असमिया
  2. बांग्ला
  3. गुजराती
  4. हिन्दी
  5. कन्नड़
  6. कश्मीरी
  7. कोंकणी
  8. मलयालम
  9. मणिपुरी
  10. मराठी
  11. नेपाली
  12. उड़िया
  13. पंजाबी
  14. संस्कृत
  15. सिंधी
  16. तमिल
  17. उर्दू
  18. तेलुगु
  19. बोडो
  20. डोगरी
  21. मैथिली
  22. संथाली
  • सन् 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गांधीजी की अध्यक्षता में हिन्दी साहित्य सम्मलेन का 8वां अधिवेशन सन 1918 में (हिंदी) सर्व सेवा संघ प्रकाशन वाश्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इंदौर। अभिगमन तिथि: 4 जून, 2015।

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