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'''क्षुद्रक गणराज्य''' [[अलक्षेंद्र]] (सिकन्दर) के [[भारत]] पर आक्रमण के समय तथा उससे पूर्व अर्थात 320 ई. पू. के लगभग अस्तित्व में था। इस गणराज्य की स्थिति [[रावी नदी|रावी]] और [[व्यास नदी|व्यास]] नदियों के मध्यवर्ती प्रदेश में (मांटगोमरी ज़िला, प. [[पाकिस्तान]] के अंतर्गत) थीं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=250|url=}}</ref>
'''क्षुद्रक गणराज्य''' [[अलक्षेंद्र]] (सिकन्दर) के [[भारत]] पर आक्रमण के समय तथा उससे पूर्व अर्थात् 320 ई. पू. के लगभग अस्तित्व में था। इस गणराज्य की स्थिति [[रावी नदी|रावी]] और [[व्यास नदी|व्यास]] नदियों के मध्यवर्ती प्रदेश में (मांटगोमरी ज़िला, प. [[पाकिस्तान]] के अंतर्गत) थीं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=250|url=}}</ref>


*[[यूनानी]] लेखक एरियन ने क्षुद्रकों की शासन-व्यवस्था में उनके नगर मुख्यों तथा प्रांतीय शासकों का उल्लेख किया है।
*[[यूनानी]] लेखक एरियन ने क्षुद्रकों की शासन-व्यवस्था में उनके नगर मुख्यों तथा प्रांतीय शासकों का उल्लेख किया है।

07:44, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

क्षुद्रक गणराज्य अलक्षेंद्र (सिकन्दर) के भारत पर आक्रमण के समय तथा उससे पूर्व अर्थात् 320 ई. पू. के लगभग अस्तित्व में था। इस गणराज्य की स्थिति रावी और व्यास नदियों के मध्यवर्ती प्रदेश में (मांटगोमरी ज़िला, प. पाकिस्तान के अंतर्गत) थीं।[1]

  • यूनानी लेखक एरियन ने क्षुद्रकों की शासन-व्यवस्था में उनके नगर मुख्यों तथा प्रांतीय शासकों का उल्लेख किया है।
  • क्षुद्रक गण पंजाब में सभी गणों से अधिक सामर्थ्यवान था तथा इसके सैनिक वीरता में किसी से कम नहीं थे।
  • पाणिनि ने भी क्षुद्रकों का उल्लेख किया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 250 |

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