"पद्मावती (स्थान)": अवतरणों में अंतर

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*पद्मावती तृतीय-चतुर्थ शती में नाग राजाओं की राजधानी थी।  
*पद्मावती तृतीय-चतुर्थ शती में नाग राजाओं की राजधानी थी।  
*यहाँ के लोग [[शिव]] के अनन्य भक्त थे, वे अपने कन्धों पर शिवलिंग वहन करते थे, अतः उन्हें भारशिव कहा गया।  
*यहाँ के लोग [[शिव]] के अनन्य भक्त थे, वे अपने कन्धों पर शिवलिंग वहन करते थे, अतः उन्हें भारशिव कहा गया।  
*नाग राजाओं के अनेक सिक़्क़े यहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा प्रथम शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के अनेक ऐतिहासिक अवशेष भी मिले हैं।  
*नाग राजाओं के अनेक सिक्के यहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा प्रथम शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के अनेक ऐतिहासिक अवशेष भी मिले हैं।  
*इनमें प्रमुख अवशेष ईंटों से बना एक विशाल भवन है।  
*इनमें प्रमुख अवशेष ईंटों से बना एक विशाल भवन है।  
*यह भवन कई खण्डों का था।  
*यह भवन कई खण्डों का था।  

07:53, 2 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

पद्मावती एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- पद्मावती (बहुविकल्पी)
  • मध्य प्रदेश के ग्वालियर के समीप वर्तमान पद्मपवैया नामक स्थान ही प्राचीन काल का पद्मावती नगर था।
  • कुछ विद्वानों के अनुसार यह नगर विदर्भ में सिन्धु एवं पारा (पार्वती) नामक दो नदियों के संगम पर स्थित था।
  • इसकी पहचान आधुनिक विजयनगर से की गई है, जो नलपुर या नरवर से 25 मील आगे विद्यानगर का एक भ्रष्ट रूप है।
  • भवभूति ने (मालवी माधव, प्रथम अंक में) इस नगरी के सौंदर्य तथा वैभव विलास का वर्णन किया है।
  • इस स्थान को उनकी जन्मस्थली माना जाता था।
  • यह भवन कई खण्डों का था।
  • यह भवन राजप्रासाद प्रतीत होता है।
  • गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त की प्रयाग-प्रशास्ति में राजा गणपति नाग का उल्लेख है, जिसे समुद्रगुप्त ने हराकर अपने अधीन कर लिया था।
  • विसेंट स्मिथ के अनुसार पद्मावती गणपतिनाग की राजधानी थी।
  • पद्मावती तृतीय-चतुर्थ शती में नाग राजाओं की राजधानी थी।
  • यहाँ के लोग शिव के अनन्य भक्त थे, वे अपने कन्धों पर शिवलिंग वहन करते थे, अतः उन्हें भारशिव कहा गया।
  • नाग राजाओं के अनेक सिक्के यहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा प्रथम शताब्दी से आठवीं शताब्दी तक के अनेक ऐतिहासिक अवशेष भी मिले हैं।
  • इनमें प्रमुख अवशेष ईंटों से बना एक विशाल भवन है।
  • यह भवन कई खण्डों का था।
  • यह भवन राजप्रासाद प्रतीत होता है।
  • भारत में इस स्थान के अतिरिक्त केवल अहिच्छत्र में ही इस प्रकार के विशालकाय भवनों के अवशेष मिले हैं।
  • लगता है कि ये भवन नाग वास्तुकला के उदाहरण हैं, क्योंकि दोनों ही स्थानों पर नाग नरेशों का आधिपत्य था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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