"अंजलि के फूल गिरे जाते हैं -माखन लाल चतुर्वेदी": अवतरणों में अंतर
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|मृत्यु=[[30 जनवरी]], 1968 ई. | |मृत्यु=[[30 जनवरी]], 1968 ई. | ||
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|मुख्य रचनाएँ=कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, | |मुख्य रचनाएँ=कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, ग़रीब इरादे | ||
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अंजलि के फूल गिरे जाते हैं | अंजलि के फूल गिरे जाते हैं | ||
आये आवेश फिरे जाते | आये आवेश फिरे जाते हैं॥ | ||
चरण | चरण ध्वनि पास - दूर कहीं नहीं, | ||
साधें आराधनीय रही नहीं | साधें आराधनीय रही नहीं, | ||
उठने,उठ पड़ने की बात रही | उठने, उठ पड़ने की बात रही, | ||
साँसों से गीत बे-अनुपात | साँसों से गीत बे-अनुपात रही॥ | ||
बागों में पंखनियाँ झूल रहीं | बागों में पंखनियाँ झूल रहीं, | ||
कुछ अपना, कुछ सपना भूल रहीं | कुछ अपना, कुछ सपना भूल रहीं, | ||
फूल-फूल धूल लिये मुँह बाँधे | फूल-फूल धूल लिये मुँह बाँधे, | ||
किसको अनुहार रही चुप | किसको अनुहार रही चुप साधे॥ | ||
दौड़ के विहार उठो अमित रंग | दौड़ के विहार उठो अमित रंग, | ||
तू ही `श्रीरंग' कि मत कर विलम्ब | तू ही `श्रीरंग' कि मत कर विलम्ब, | ||
बँधी-सी पलकें मुँह खोल उठीं | बँधी-सी पलकें मुँह खोल उठीं, | ||
कितना रोका कि मौन बोल उठीं | कितना रोका कि मौन बोल उठीं, | ||
आहों का रथ माना भारी है | आहों का रथ माना भारी है, | ||
चाहों में क्षुद्रता कुँआरी | चाहों में क्षुद्रता कुँआरी है॥ | ||
आओ तुम अभिनव उल्लास भरे | आओ तुम अभिनव उल्लास भरे, | ||
नेह भरे, ज्वार भरे, प्यास भरे | नेह भरे, ज्वार भरे, प्यास भरे, | ||
अंजलि के फूल गिरे जाते हैं | अंजलि के फूल गिरे जाते हैं, | ||
आये आवेश फिरे जाते | आये आवेश फिरे जाते हैं॥ | ||
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09:17, 12 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
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अंजलि के फूल गिरे जाते हैं |
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