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'''इंद्रायुध''' यह कन्नौज में हर्ष और यशोवर्मन के बाद होने वाले आयुधकुल का राजा था। जैन 'हरिवंश' से प्रमाणित है कि इंद्रायुध 783-84 ई. में राज करता था। संभवत: उसी के शासनकाल में कश्मीर के राजा जयापीड विजयदित्य ने कन्नौज पर चढ़ाई कर उसे जीता था इंद्रायुध को अनेक चोटें सहनी पड़ीं और विजयादित्य के लौटते ही उसे ध्रव राष्ट्रकूट का सामना करना पड़ा जिसने उसे परास्त कर अपने राजचिह्नों में गंगा और यमुना की धाराएँ भी अंकित कराई। पाल नरेश धर्मपाल इंद्रायुध की यह दुर्बलता न सह सका और राष्ट्रकूट राजा के दक्षिण लौटते ही वह भी कन्नौज पर जा टूटा । इंद्रायुध को उसने गद्दी से उतारकर उसकी जगह चक्रायुध को बैठाया।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1|लेखक= |अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी|संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=502-03 |url=}}</ref>
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*जैन 'हरिवंश' से प्रमाणित है कि इंद्रायुध 783-784 ई. में राज करता था। संभवत: उसी के शासन काल में [[कश्मीर]] के राजा जयापीड विजयादित्य ने कन्नौज पर चढ़ाई कर उसे जीता था।
 
*इंद्रायुध को युद्ध में अनेक चोटें सहनी पड़ीं और विजयादित्य के लौटते ही उसे ध्रव राष्ट्रकूट का सामना करना पड़ा, जिसने उसे परास्त कर अपने राजचिह्नों में [[गंगा]] और [[यमुना]] की धाराएँ भी अंकित कराई।
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इंद्रायुध कन्नौज में हर्ष और यशोवर्मन के बाद होने वाले आयुध कुल का राजा था।

  • जैन 'हरिवंश' से प्रमाणित है कि इंद्रायुध 783-784 ई. में राज करता था। संभवत: उसी के शासन काल में कश्मीर के राजा जयापीड विजयादित्य ने कन्नौज पर चढ़ाई कर उसे जीता था।
  • इंद्रायुध को युद्ध में अनेक चोटें सहनी पड़ीं और विजयादित्य के लौटते ही उसे ध्रव राष्ट्रकूट का सामना करना पड़ा, जिसने उसे परास्त कर अपने राजचिह्नों में गंगा और यमुना की धाराएँ भी अंकित कराई।
  • पाल नरेश धर्मपाल इंद्रायुध की यह दुर्बलता न सह सका और राष्ट्रकूट राजा के दक्षिण लौटते ही वह भी कन्नौज पर जा टूटा। इंद्रायुध को उसने गद्दी से उतारकर उसकी जगह चक्रायुध को बैठाया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 502-03 |

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