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'''नीलकंठ महादेव मंदिर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Neelkanth Mahadev Temple'') [[अलवर]], [[राजस्थान]] के राजगढ़ तहसील में स्थित है। यह मंदिर [[शिव]] के निवास के लिए प्रसिद्ध है, जो उनके नीलकंठ [[अवतार]] को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 6वीं और 9वीं शताब्दी के बीच महाराजाधिराज मथानदेव द्वारा किया गया था, जिसकी संरचना समय के साथ-साथ जीर्णशीर्ण हो गई है, जिसमें मंदिर का एक बड़ा हिस्सा अब क्षतिग्रस्त हो गया है जबकि थोड़ा हिस्सा अभी भी बरकरार है।
'''नीलकंठ महादेव मंदिर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Neelkanth Mahadev Temple'') [[अलवर]], [[राजस्थान]] के राजगढ़ तहसील में स्थित है। यह मंदिर [[शिव]] के निवास के लिए प्रसिद्ध है, जो उनके नीलकंठ [[अवतार]] को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 6वीं और 9वीं शताब्दी के बीच महाराजाधिराज मथानदेव द्वारा किया गया था, जिसकी संरचना समय के साथ-साथ जीर्णशीर्ण हो गई है, जिसमें मंदिर का एक बड़ा हिस्सा अब क्षतिग्रस्त हो गया है जबकि थोड़ा हिस्सा अभी भी बरकरार है।
==महत्त्व==
==महत्त्व==

12:12, 5 नवम्बर 2020 के समय का अवतरण

नीलकंठ महादेव मंदिर, अलवर

नीलकंठ महादेव मंदिर (अंग्रेज़ी: Neelkanth Mahadev Temple) अलवर, राजस्थान के राजगढ़ तहसील में स्थित है। यह मंदिर शिव के निवास के लिए प्रसिद्ध है, जो उनके नीलकंठ अवतार को समर्पित है। मंदिर का निर्माण 6वीं और 9वीं शताब्दी के बीच महाराजाधिराज मथानदेव द्वारा किया गया था, जिसकी संरचना समय के साथ-साथ जीर्णशीर्ण हो गई है, जिसमें मंदिर का एक बड़ा हिस्सा अब क्षतिग्रस्त हो गया है जबकि थोड़ा हिस्सा अभी भी बरकरार है।

महत्त्व

भगवान शिव के भक्तों के बीच एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना हुआ है। मंदिर की दीवारें मूर्तियों से सुशोभित हैं जो मिनी खजुराहो की कामुक शैली में निर्मित हैं। मंदिर के अंदर एक शिवलिंग भी मौजूद है जहाँ भक्त अपना सिर झुकाते हैं और प्रार्थना करते हैं। मंदिर अपने धार्मिक महत्त्व, उत्कृष्ट पत्थर की नक्काशी और यहां के हरे-भरे जंगलों के लिए अलवर के आकर्षक तीर्थ स्थलों में से एक है।[1]

इतिहास

नीलकंठ मंदिर का इतिहास कई सौ साल पुराना माना जाता है जिसके बारे में कोई ठोस प्रमाण तो नहीं मिले लेकिन माना जाता है की नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण 6वीं और 9वीं शताब्दी के बीच महाराजा मथानदेव द्वारा किया गया था और जिसे ग्रामीणों द्वारा 1950 के दशक में खोजा गया।

वास्तुकला

नीलकंठ महादेव मंदिर की वास्तुकला की बात करें, तो मंदिर के चार स्तंभों पर एक रंगमंडप खड़ा है, जिसमें मूल रूप से तीन पंचतत्व (तीन देवता) का निवास था। जहाँ इन तीन पंचतत्व में से दो को नष्ट कर दिया गया है, जबकि बीच में तीसरा अपने शिखर के साथ बरकरार है। जहाँ मंदिर की जंघा के पूर्व में हरिहर के, दक्षिण में नरसिंह और दक्षिण में ही त्रिपुरंतक की मूर्तियों से सजाया गया है। इसके अलावा, रंगमंडप की छत को पद्माशिला ,सुंदरियों और गंधर्वों की मूर्तियों के साथ बनाया गया है।

दर्शन समय व शुल्क

मंदिर श्रद्धालुओं के लिए प्रतिदिन सुबह 6.00 बजे से रात 9.00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर की पूर्ण यात्रा के लिए 1-2 घंटा का समय निकालकर यात्रा सुनिश्चित करें। अलवर में नीलकंठ महादेव मंदिर की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश के लिए कोई एंट्री फीस नहीं ली जाती है। नीलकंठ महादेव मंदिर घूमने जाने का प्लान बना रहे हैं तो नवंबर से मार्च का समय यहाँ के अन्य भागों की यात्रा के लिए भी सबसे अच्छा है क्योंकि रात में मौसम के दौरान तापमान 8 डिग्री और जबकि दिन का 32 डिग्री सेल्यियस होता है। जो अलवर की यात्रा के लिए सबसे अनुकूल समय होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अलवर के आकर्षक स्थलों की जानकारी (हिंदी) hindi.holidayrider.com। अभिगमन तिथि: 05 नवंबर, 2020।

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