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*11 वीं शताब्दी में [[कलचुरी वंश|कलचुरी शासकों]] की यहां राजधानी थी।  
*11 वीं शताब्दी में [[कलचुरी वंश|कलचुरी शासकों]] की यहां राजधानी थी।  
*कर्णावती को मूलतः [[कर्णदेव|कलचुरी नरेश कर्णदेव]]<ref>( 1041- 1073 ईसवी)</ref> ने अपने [[पुत्र]] का राज्याभिषेक करने के पश्चात स्वयं अपने निवास के लिए बसाया था, बाद में कलचुरिया ने करण वेल में अपनी राजधानी ही बना ली।  
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*कलचुरी नरेश के आराध्य देव [[शिव]] थे। और इसी कारण नगर में में उन्होंने शिव के विशाल मंदिर बनवाए थे। आज भी करण वेल के प्राचीन ध्वस्त किले के चिह्न 2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में दिखाई देते हैं।
*कलचुरी नरेश के आराध्य देव [[शिव]] थे और इसी कारण नगर में उन्होंने शिव के विशाल मंदिर बनवाए थे। आज भी कणवेल के प्राचीन ध्वस्त क़िले के चिह्न 2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में दिखाई देते हैं।
 


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*ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 144| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार
==संबंधित लेख==
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11:58, 30 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

कणवेल या 'कर्णावती' एक ऐतिहासिक स्थान है जो ज़िला जबलपुर, मध्य प्रदेश में स्थित है।

  • 11 वीं शताब्दी में कलचुरी शासकों की यहां राजधानी थी।
  • कर्णावती को मूलतः कलचुरी नरेश कर्णदेव[1] ने अपने पुत्र का राज्याभिषेक करने के पश्चात स्वयं अपने निवास के लिए बसाया था, बाद में कलचुरियों ने कणवेल में अपनी राजधानी ही बना ली।
  • कलचुरी नरेश के आराध्य देव शिव थे और इसी कारण नगर में उन्होंने शिव के विशाल मंदिर बनवाए थे। आज भी कणवेल के प्राचीन ध्वस्त क़िले के चिह्न 2 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में दिखाई देते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (1041-1073 ईसवी)
  • ऐतिहासिक स्थानावली | पृष्ठ संख्या= 144| विजयेन्द्र कुमार माथुर |  वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार

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