"सिटी पैलेस जयपुर": अवतरणों में अंतर

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सवाई [[जयसिंह]] ने [[जयपुर]] शहर की स्‍थापना करते हुये चार दीवारी का लगभग सातवां हिस्‍सा अपने निजी निवास के लिये बनवाया। [[राजपूत]] और मुग़ल स्‍थापत्‍य में बना महाराजा का यह राजकीय आवास चन्‍द्र महल के नाम से विख्‍यात हुआ। चन्‍द्र महल में प्रवेश करते ही मुबारक महल के नाम से एक चतुष्‍कोणीय महल बना हुआ है। इस महल में स्थित पोथीखाने में बहुमूल्‍य दुर्लभ हस्‍तलिखित ग्रन्‍थो की पाण्‍डुलिपियां सरंक्षित है। महल की उपरी मंज़िल पर बने वस्‍त्रागार में संग्रहालय में राजकीय पोशाकें, अलंकरण, आभूषण आदि संग्रहित किये गये है। इसके समीप ही संग्रहालय का शस्‍त्रागार है जिसमें महाराजाओं द्वारा काम में लिये गये हथियार और शस्‍त्र प्रदर्शित किये गये है जिसमें शस्‍त्रागार में जयपुर के महाराजाओं को विभिन्‍न अवसरों पर पुरस्‍कार स्‍वरूप मिले शस्‍त्रों को भी प्रदर्शित किये गये हैं।
'''सिटी पैलेस''' [[जयपुर]], [[राजस्थान]] के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक तथा पर्यटन स्थलों में से एक है। यह एक महल परिसर है। 'गुलाबी शहर' जयपुर के बिल्कुल बीच में यह स्थित है। इस खूबसूरत परिसर में कई इमारतें, विशाल आंगन और आकर्षक बाग़ हैं, जो इसके राजसी इतिहास की निशानी हैं। इस परिसर में 'चंद्र महल' और 'मुबारक महल' जैसे महत्वपूर्ण भवन भी हैं। पिछले ज़माने के कीमती सामान को यहां संरक्षित किया गया है। इसके महल के छोटे से भाग को संग्रहालय और आर्ट गैलेरी में तब्दील किया गया है। महल की खूबसूरती को देखने के लिए सैलानी दुनिया भर से हज़ारों की संख्या में सिटी पैलेस में आते हैं।
==इतिहास==
सिटी पैलेस का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1729 से 1732 ई. के मध्य कराया था। शाही वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य और [[अंग्रेज़]] शिल्पकार सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने उस समय बींसवी सदी का आधुनिक नगर रचा था। साथ ही बेहतरीन, खूबसूरत, सभी सुविधाओं और सुरक्षा से लैस शाही प्रासाद।<ref name="aa">{{cite web |url= http://www.pinkcity.com/hi/places-to-visit/city-palace-of-jaipur/|title= सिटी पैलेस, जयपुर|accessmonthday=26 दिसम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= पिंकसिटी.कॉम|language= हिन्दी}}</ref>
====सुन्दरता====
सिटी पैलेस की भवन शैली [[राजपूत]], [[मुग़ल]] और यूरोपियन शैलियों का अतुल्य मिश्रण है। लाल और गुलाबी सेंडस्टोन से निर्मित इन इमारतों में पत्थर पर की गई बारीक कटाई और दीवारों पर की गई चित्रकारी मन मोह लेती है। [[कछवाहा वंश|कछवाहा]] शासकों के पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी। इसलिए महाराजा जयसिंह द्वितीय पूरी तरह नियोजित सुरक्षित, सुंदर और समृद्ध शहर बसाना चाहते थे। जयपुर शहर अठारहवीं सदी में बना पहला नियोजित शहर था। इसके साथ ही इसका वैभव बेहतरीन और हैरान कर देने वाला था।
==अवस्थिती==
पर्यटक 'बड़ी चौपड़' से '[[हवामहल जयपुर|हवामहल]]' मार्ग होते हुए सिरहड्योढी दरवाजा से जलेब चौक पहुंचते हैं। यहाँ वे अपने वाहन खड़ा कर सकते हैं। सिरहड्योढी दरवाजे के सामने पैलेस में प्रवेश के लिए उदयपोल दरवाजा है। चौक के दक्षिणी द्वार से जंतर-मंतर के वीरेन्द्र पोल गेट से सिटी पैलेस में प्रवेश का द्वार है। द्वार के ठीक दायीं ओर टिकिट खिड़की है, जहां महल में प्रवेश के लिए निर्धारित शुल्क अदा करने के साथ महत्वपूर्ण जानकारियां ली जा सकती हैं। वीरेन्द्रपोल के बायें ओर सुरक्षाकर्मी कक्ष है और दायें ओर फोटोग्राफी कक्ष। यहां से प्रवेश करने पर पर्यटकों को मेटल डिटेक्टर सुरक्षा तंत्र से गुजरना होता है।


मुबारक महल में श्‍वेत संगमरमर से निर्मित राजेन्‍द्र पोल से दीवाने आम में प्रवेश किया जाता है। इस समय दीवाने आम में महारजा सवाई [[माधोसिंह द्वितीय]] द्वारा अपनी इंग्लैण्‍ड यात्रा के दौरान गंगाजल ले जाने के लिये दो विशाल रजत कलश रखे हुए हैं।
जयपुर के सिटी पैलेस के बारे में यह उक्ति सटीक है कि "शहर के बीच सिटी पैलेस नहीं, सिटी पैलेस के चारों ओर शहर है।" इस गूढ़ तथ्य का राज है जयपुर के वास्तु में। जयपुर की स्थापना पूरी तरह से वास्तु आधारित थी। जिस प्रकार [[सूर्य]] के चारों ओर [[ग्रह]] होते हैं। उसी तरह जयपुर का सूर्य चंद्रमहल यानि सिटी पैलेस है। जिस तरह सूर्य सभी ग्रहकक्षों का स्वामी होता है, उसी प्रकार जयपुर शहर भी सिटी पैलेस की कृपा पर केंद्रित था। नौ ग्रहों की तर्ज पर जयपुर को नौ खण्डों यानि ब्लॉक्स में बसाया गया। नाहरगढ़ से ये ब्लॉक साफ नजर आते हैं। इन नौ ब्लॉक्स में से दो में सिटी पैलेस बसाया गया और शेष सात में जयपुर शहर यानि परकोटा। इस प्रकार शहर के बहुत बड़े हिस्से में स्थित सिटी पैलेस के दायरे में बहुत-सी इमारतें आती थीं। इनमें चंद्रमहल, सूरजमहल, तालकटोरा, हवामहल, चांदनी चौक, जंतरमंतर, जलेब चौक और चौगान स्टेडियम शामिल हैं। वर्तमान में चंद्रमहल में शाही परिवार के लोग निवास करते हैं। शेष हिस्से शहर में शुमार हो गए हैं और सिटी पैलेस के कुछ हिस्सों को संग्रहालय बना दिया गया है।<ref>{{cite web |url= http://www.pinkcity.com/hi/places-to-visit/city-palace-2/|title= सिटी पैलेस, जयपुर-मुख्य आकर्षण|accessmonthday= 26 दिसम्बर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= पिंकसिटी.कॉम|language= हिन्दी}}</ref>
==मुबारक महल चौक==
वीरेन्द्र पोल में प्रवेश करने पर एक बड़ा चौक आता है, जिसके बीच में एक दो मंजिला खूबसूरत महल है। इसे 'मुबारक महल' कहा जाता है। [[चित्र:Jaipur-City-Palace-Clock-tower.jpg|thumb|left|250px|एक विशाल घड़ी मंजिला इमारत]] चौक से दायीं ओर एक विशाल घड़ी जो दो मंजिला इमारत पर बने एक वर्गाकार टावर पर दिखाई देती है। मुबारक महल उस समय का रिसेप्शन काउंटर था। इमारत की दूसरी मंजिल पर सिटी पैलेस प्रशासन के अधिकारी बैठते हैं, जबकि निचले तल में वस्त्रागार संग्रहालय है। संग्रहालय में [[जयपुर]] के राजाओं, रानियों, राजकुमारों और राजकुमारियों के वस्त्र संग्रहीत किए गए हैं। चौक के दक्षिण-पश्चिम कोने में सिंहपोल है। यह दरवाजा चांदनी चौक में खुलता है। इस दरवाजे से आम आवाजाही नहीं होती। मुबारक महल के पश्चिम में में महाराजा सवाई भवानीसिंह गैलेरी है। इसी चौक के उत्तरी-पश्चिमी कोने में एक बरामदे में जयपुर की प्रसिद्ध कलात्मक [[कठपुतली|कठपुतलियों]] का खेल दिखाने वाले कलाकार गायन के साथ अपनी कला का प्रदर्शन कर पर्यटकों का मनोरंजन करते हैं। चौक के उत्तरी ऊपरी बरामदे में सिलहखाना है। ऐसा स्थान, जहां [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्र]] रखे जाते हैं। यहां 15 वीं सदी के सैंकड़ों तरह के छोटे-बड़े, आधुनिक प्राचीन शस्त्रों को बहुत सलीके से संजोया गया है। सबसे आकर्षक है, [[इंग्लैण्ड]] की [[महारानी विक्टोरिया]] द्वारा महाराजा रामसिंह को भेंट की गई तलवार, जिस पर रूबी और एमरल्ड का काम सुखद हैरत में डाल देता है।<ref name="aa"/>
==सर्वतोभद्र==
'सर्वतोभद्र' यानि 'प्राईवेट ऑडियंस हॉल' को 'दीवान-ए-खास' के नाम से भी जाना जाता है। सर्वतोभद्र में रखे [[चांदी]] के दो बड़े घड़े कौतुहल का विषय हैं। महाराजा माधोसिंह इनमें [[गंगाजल]] भरकर इंग्लैण्ड ले गए थे। इसीलिए इन्हें 'गंगाजली' कहा जाता है। गिनीज बुक में कीमती [[धातु]] के विशाल पात्रों की श्रेणी में गंगाजलियों का विश्व रिकॉर्ड है। सर्वतोभद्र के ही पूर्व में एक छोटा द्वार है, जो 'सभानिवास' यानि 'दीवान-ए-आम' की ओर ले जाता है। यह आने वाले पर्यटकों के लिए बनवाया गया भव्य हॉल है।
==प्रीतम निवास==
[[चित्र:City-Palace-Jaipur-4.jpg|thumb|400px|सिटी पैलेस, [[जयपुर]]]]
'चंद्रमहल' के ठीक दक्षिण में स्थित अंत:पुर का छोटा चौक है। चौक में चार कोनों में बने चार द्वार अदभुद कलात्मकता और कारीगरी पेश करते हैं। इन्हें 'रिद्धि-सिद्धि पोल' कहा जाता है। चारों की बनावट एक जैसी है, लेकिन कलात्मकता एक से बढ़कर एक। चौक के उत्तर-पूर्व में मयूरद्वार सम्मोहन जगाता है। द्वार पर मयूराकृतियों, नाचते [[मोर|मोरों]] के भित्तिचित्र शानदार हैं। यह द्वार [[विष्णु|भगवान विष्णु]] को समर्पित है। दक्षिण पूर्व में कमलद्वार। यह द्वार [[शिव]]-[[पार्वती]] को समर्पित है। [[ग्रीष्म ऋतु]] को इंगित करने वाले इस द्वार पर बनी कलात्मकता शीतलता प्रदान करती है। इस द्वार के ठीक सामने चौक के दक्षिण पश्चिम में है गुलाब द्वार। कछवाहा राजपूतों की कुल देवी को समर्पित। लहरिया द्वार को ग्रीन गेट भी कहा जाता है। लहरिया प्रतीक है [[सावन]] का। [[हरा रंग]] हरियाली का और लहरिया डिजाईन [[जयपुर]] की संस्कृति का प्रतीक है।


चन्‍द्र महल के संग्रहालय को दिये हिस्‍से में महाराजाओं के आदमक़द विशाल चित्र मानचित्र, ग़लीचे एवं बहुमूल्‍य राजकीय सामग्री के साथ ही अनेक दुर्लभ पाण्‍डुलिपियां भी प्रदर्शित की गयी है। परिसर में बने दीवाने ख़ास में तत्‍कालीन नरेशों और महत्‍वपूर्ण दरवाबारियों की विशेष बैठकें आयोजित की जाती थी।
[[चित्र:City-Palace-Jaipur -7.jpg|thumb|चंद्रमहल [[जयपुर]]|left]]
==चंद्रमहल==
वर्तमान में राजपरिवार के रहवास बने इस महल को 'चंद्रनिवास' भी कहा जाता है। सात मंजिला इस खूबसूरत ईमारत की सातों मंजिलों की विशेषताओं के अनुरूप ही उनके नाम हैं, जैसे- 'सुखनिवास', 'रंग मंदिर', 'पीतम निवास', 'श्रीनिवास', 'मुकुट महल' आदि। महल का आकार मुकुट की भांति है, निचली मंजिलों का विस्तार ज्यादा, ऊपर की मंजिलों का कम, शीर्ष बिल्कुल मुकुट की किलंगी की भांति शोभायमान है।<ref name="aa"/>


चन्‍द्र महल महाराजाओं के सुख सुविधा की दृष्टि से स्‍थापत्‍य और वास्‍तुशिल्‍प का अनूठा नमूना है। मध्‍य युग में निर्मित यह भवन भूकम्‍प झटकों से सुरक्षित रखने के लिए तडित चालक की व्‍यवस्‍था से भी जुड़ा हुआ है।
सर्वतोभद्र के ठीक उत्तर में कैफे पैलेस है। सर्वतोभद्र के उत्तर-पूर्व में बग्गीखाना है। यह एक खुला चौक है, जिसमें शाही सवारियों और तोपों को प्रदर्शित किया गया है। कहा जा सकता ही कि सिटी पैलेस से [[जयपुर|जयपुर शहर]] की शोभा है। देश विदेश से आने वाले मेहमान यहां अतीत की खुशबू और शाही अंदाज़को अपनी सांसों में महसूस करते हैं। दुनिया के वे राजघराने जो आज भी आबाद हैं, उनमें जयपुर सिटी पैलेस मुख्य स्थान रखता है।


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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://hindi.mapsofindia.com/rajasthan/travel/city-palace-jaipur.html सिटी पैलेस जयपुर]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
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[[Category:जयपुर के पर्यटन स्थल]]
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06:41, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

सिटी पैलेस जयपुर
सिटी पैलेस, जयपुर
सिटी पैलेस, जयपुर
विवरण राजपूत और मुग़ल स्‍थापत्‍य में बना महाराजा का यह राजकीय आवास चन्‍द्र महल के नाम से विख्‍यात हुआ।
राज्य राजस्थान
ज़िला जयपुर
निर्माता सवाई जयसिंह
निर्माण काल 1729 ई.-1732 ई.
स्थापना 1732 ई.
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 26° 55' 31.80", पूर्व- 75° 49' 24.96"
मार्ग स्थिति सिटी पैलेस हवा महल जयपुर से लगभग 1 से 2 किमी की दूरी पर स्थित है।
कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि से पहुँचा जा सकता है।
हवाई अड्डा जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन जयपुर रेलवे स्टेशन, बैस गोदाम रेलवे स्टेशन
बस अड्डा सिन्धी कैंप बस अड्डा
यातायात स्थानीय बस, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा
क्या देखें आर्ट गैलरी, छवि निवास, मुकुट महल, श्री गोविन्द देव मंदिर।
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
एस.टी.डी. कोड 0141
ए.टी.एम लगभग सभी
गूगल मानचित्र
संबंधित लेख जन्‍तर मन्‍तर, हवा महल, अल्‍बर्ट हॉल संग्रहालय, जल महल, ईसरलाट, आमेर का क़िला


अन्य जानकारी चन्‍द्र महल महाराजाओं के सुख सुविधा की दृष्टि से स्‍थापत्‍य और वास्‍तुशिल्‍प का अनूठा नमूना है।
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सिटी पैलेस जयपुर, राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक तथा पर्यटन स्थलों में से एक है। यह एक महल परिसर है। 'गुलाबी शहर' जयपुर के बिल्कुल बीच में यह स्थित है। इस खूबसूरत परिसर में कई इमारतें, विशाल आंगन और आकर्षक बाग़ हैं, जो इसके राजसी इतिहास की निशानी हैं। इस परिसर में 'चंद्र महल' और 'मुबारक महल' जैसे महत्वपूर्ण भवन भी हैं। पिछले ज़माने के कीमती सामान को यहां संरक्षित किया गया है। इसके महल के छोटे से भाग को संग्रहालय और आर्ट गैलेरी में तब्दील किया गया है। महल की खूबसूरती को देखने के लिए सैलानी दुनिया भर से हज़ारों की संख्या में सिटी पैलेस में आते हैं।

इतिहास

सिटी पैलेस का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1729 से 1732 ई. के मध्य कराया था। शाही वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य और अंग्रेज़ शिल्पकार सर सैमुअल स्विंटन जैकब ने उस समय बींसवी सदी का आधुनिक नगर रचा था। साथ ही बेहतरीन, खूबसूरत, सभी सुविधाओं और सुरक्षा से लैस शाही प्रासाद।[1]

सुन्दरता

सिटी पैलेस की भवन शैली राजपूत, मुग़ल और यूरोपियन शैलियों का अतुल्य मिश्रण है। लाल और गुलाबी सेंडस्टोन से निर्मित इन इमारतों में पत्थर पर की गई बारीक कटाई और दीवारों पर की गई चित्रकारी मन मोह लेती है। कछवाहा शासकों के पास धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी। इसलिए महाराजा जयसिंह द्वितीय पूरी तरह नियोजित सुरक्षित, सुंदर और समृद्ध शहर बसाना चाहते थे। जयपुर शहर अठारहवीं सदी में बना पहला नियोजित शहर था। इसके साथ ही इसका वैभव बेहतरीन और हैरान कर देने वाला था।

अवस्थिती

पर्यटक 'बड़ी चौपड़' से 'हवामहल' मार्ग होते हुए सिरहड्योढी दरवाजा से जलेब चौक पहुंचते हैं। यहाँ वे अपने वाहन खड़ा कर सकते हैं। सिरहड्योढी दरवाजे के सामने पैलेस में प्रवेश के लिए उदयपोल दरवाजा है। चौक के दक्षिणी द्वार से जंतर-मंतर के वीरेन्द्र पोल गेट से सिटी पैलेस में प्रवेश का द्वार है। द्वार के ठीक दायीं ओर टिकिट खिड़की है, जहां महल में प्रवेश के लिए निर्धारित शुल्क अदा करने के साथ महत्वपूर्ण जानकारियां ली जा सकती हैं। वीरेन्द्रपोल के बायें ओर सुरक्षाकर्मी कक्ष है और दायें ओर फोटोग्राफी कक्ष। यहां से प्रवेश करने पर पर्यटकों को मेटल डिटेक्टर सुरक्षा तंत्र से गुजरना होता है।

जयपुर के सिटी पैलेस के बारे में यह उक्ति सटीक है कि "शहर के बीच सिटी पैलेस नहीं, सिटी पैलेस के चारों ओर शहर है।" इस गूढ़ तथ्य का राज है जयपुर के वास्तु में। जयपुर की स्थापना पूरी तरह से वास्तु आधारित थी। जिस प्रकार सूर्य के चारों ओर ग्रह होते हैं। उसी तरह जयपुर का सूर्य चंद्रमहल यानि सिटी पैलेस है। जिस तरह सूर्य सभी ग्रहकक्षों का स्वामी होता है, उसी प्रकार जयपुर शहर भी सिटी पैलेस की कृपा पर केंद्रित था। नौ ग्रहों की तर्ज पर जयपुर को नौ खण्डों यानि ब्लॉक्स में बसाया गया। नाहरगढ़ से ये ब्लॉक साफ नजर आते हैं। इन नौ ब्लॉक्स में से दो में सिटी पैलेस बसाया गया और शेष सात में जयपुर शहर यानि परकोटा। इस प्रकार शहर के बहुत बड़े हिस्से में स्थित सिटी पैलेस के दायरे में बहुत-सी इमारतें आती थीं। इनमें चंद्रमहल, सूरजमहल, तालकटोरा, हवामहल, चांदनी चौक, जंतरमंतर, जलेब चौक और चौगान स्टेडियम शामिल हैं। वर्तमान में चंद्रमहल में शाही परिवार के लोग निवास करते हैं। शेष हिस्से शहर में शुमार हो गए हैं और सिटी पैलेस के कुछ हिस्सों को संग्रहालय बना दिया गया है।[2]

मुबारक महल चौक

वीरेन्द्र पोल में प्रवेश करने पर एक बड़ा चौक आता है, जिसके बीच में एक दो मंजिला खूबसूरत महल है। इसे 'मुबारक महल' कहा जाता है।

एक विशाल घड़ी मंजिला इमारत

चौक से दायीं ओर एक विशाल घड़ी जो दो मंजिला इमारत पर बने एक वर्गाकार टावर पर दिखाई देती है। मुबारक महल उस समय का रिसेप्शन काउंटर था। इमारत की दूसरी मंजिल पर सिटी पैलेस प्रशासन के अधिकारी बैठते हैं, जबकि निचले तल में वस्त्रागार संग्रहालय है। संग्रहालय में जयपुर के राजाओं, रानियों, राजकुमारों और राजकुमारियों के वस्त्र संग्रहीत किए गए हैं। चौक के दक्षिण-पश्चिम कोने में सिंहपोल है। यह दरवाजा चांदनी चौक में खुलता है। इस दरवाजे से आम आवाजाही नहीं होती। मुबारक महल के पश्चिम में में महाराजा सवाई भवानीसिंह गैलेरी है। इसी चौक के उत्तरी-पश्चिमी कोने में एक बरामदे में जयपुर की प्रसिद्ध कलात्मक कठपुतलियों का खेल दिखाने वाले कलाकार गायन के साथ अपनी कला का प्रदर्शन कर पर्यटकों का मनोरंजन करते हैं। चौक के उत्तरी ऊपरी बरामदे में सिलहखाना है। ऐसा स्थान, जहां अस्त्र-शस्त्र रखे जाते हैं। यहां 15 वीं सदी के सैंकड़ों तरह के छोटे-बड़े, आधुनिक प्राचीन शस्त्रों को बहुत सलीके से संजोया गया है। सबसे आकर्षक है, इंग्लैण्ड की महारानी विक्टोरिया द्वारा महाराजा रामसिंह को भेंट की गई तलवार, जिस पर रूबी और एमरल्ड का काम सुखद हैरत में डाल देता है।[1]

सर्वतोभद्र

'सर्वतोभद्र' यानि 'प्राईवेट ऑडियंस हॉल' को 'दीवान-ए-खास' के नाम से भी जाना जाता है। सर्वतोभद्र में रखे चांदी के दो बड़े घड़े कौतुहल का विषय हैं। महाराजा माधोसिंह इनमें गंगाजल भरकर इंग्लैण्ड ले गए थे। इसीलिए इन्हें 'गंगाजली' कहा जाता है। गिनीज बुक में कीमती धातु के विशाल पात्रों की श्रेणी में गंगाजलियों का विश्व रिकॉर्ड है। सर्वतोभद्र के ही पूर्व में एक छोटा द्वार है, जो 'सभानिवास' यानि 'दीवान-ए-आम' की ओर ले जाता है। यह आने वाले पर्यटकों के लिए बनवाया गया भव्य हॉल है।

प्रीतम निवास

सिटी पैलेस, जयपुर

'चंद्रमहल' के ठीक दक्षिण में स्थित अंत:पुर का छोटा चौक है। चौक में चार कोनों में बने चार द्वार अदभुद कलात्मकता और कारीगरी पेश करते हैं। इन्हें 'रिद्धि-सिद्धि पोल' कहा जाता है। चारों की बनावट एक जैसी है, लेकिन कलात्मकता एक से बढ़कर एक। चौक के उत्तर-पूर्व में मयूरद्वार सम्मोहन जगाता है। द्वार पर मयूराकृतियों, नाचते मोरों के भित्तिचित्र शानदार हैं। यह द्वार भगवान विष्णु को समर्पित है। दक्षिण पूर्व में कमलद्वार। यह द्वार शिव-पार्वती को समर्पित है। ग्रीष्म ऋतु को इंगित करने वाले इस द्वार पर बनी कलात्मकता शीतलता प्रदान करती है। इस द्वार के ठीक सामने चौक के दक्षिण पश्चिम में है गुलाब द्वार। कछवाहा राजपूतों की कुल देवी को समर्पित। लहरिया द्वार को ग्रीन गेट भी कहा जाता है। लहरिया प्रतीक है सावन का। हरा रंग हरियाली का और लहरिया डिजाईन जयपुर की संस्कृति का प्रतीक है।

चंद्रमहल जयपुर

चंद्रमहल

वर्तमान में राजपरिवार के रहवास बने इस महल को 'चंद्रनिवास' भी कहा जाता है। सात मंजिला इस खूबसूरत ईमारत की सातों मंजिलों की विशेषताओं के अनुरूप ही उनके नाम हैं, जैसे- 'सुखनिवास', 'रंग मंदिर', 'पीतम निवास', 'श्रीनिवास', 'मुकुट महल' आदि। महल का आकार मुकुट की भांति है, निचली मंजिलों का विस्तार ज्यादा, ऊपर की मंजिलों का कम, शीर्ष बिल्कुल मुकुट की किलंगी की भांति शोभायमान है।[1]

सर्वतोभद्र के ठीक उत्तर में कैफे पैलेस है। सर्वतोभद्र के उत्तर-पूर्व में बग्गीखाना है। यह एक खुला चौक है, जिसमें शाही सवारियों और तोपों को प्रदर्शित किया गया है। कहा जा सकता ही कि सिटी पैलेस से जयपुर शहर की शोभा है। देश विदेश से आने वाले मेहमान यहां अतीत की खुशबू और शाही अंदाज़को अपनी सांसों में महसूस करते हैं। दुनिया के वे राजघराने जो आज भी आबाद हैं, उनमें जयपुर सिटी पैलेस मुख्य स्थान रखता है।


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वीथिका

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 सिटी पैलेस, जयपुर (हिन्दी) पिंकसिटी.कॉम। अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2014।
  2. सिटी पैलेस, जयपुर-मुख्य आकर्षण (हिन्दी) पिंकसिटी.कॉम। अभिगमन तिथि: 26 दिसम्बर, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख